Arvind Kejriwal

दिल्ली भी तो निभाए राजधानी होने का धर्म

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भारत में कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक हो गई है।  इस लहर से वैसे ही पूरादेश परेशान है। इस बीच तीसरी लहर की आशंका ने  आम आदमी केजीवन में भय और हताशा का संचार कर  दिया है। अब तो मोबाइल पर  आने वाली हर काल किसी  अप्रिय  घटना  की सूचक प्रतीत हो रही है।  पहली लहर में बुजुर्ग प्रभावित हो रहे थे लेकिन इस लहर ने बुजुर्गों और जवानों के अंतर को भी पाट दिया है।  देश में चार लाख से अधिक संक्रमण के मामले आ रहे हैं और बड़ी संख्या में ऐसे मरीज होते हैं जिनको कई दिनों तक ऑक्सीजन (Oxygen)  सपोर्ट की जरूरत पड़ती है।  इससे देश में अचानक ऑक्सीजन की मांग आठ-दस गुना बढ़ गयी है।

देश में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए केन्द्र एवं राज्यों की सरकारें, सेना, केन्द्र सरकार की अनेक संस्थाएं, पीएसयू, कारपोरेट के साथ ही दुनिया के पचास से अधिक देशों ने भारत की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। हर दिन दर्जनों उड़ानें विदेशों दवाएं, ऑक्सीजन सिलेण्डर, कंस्टेटर लेकर आ रही हैं। इससे यह उम्मीद बंधी है कि सरकार तमाम संसाधनों एवं स्रोतों को मोबलाइज कर अगले कुछ दिनों में हालात सामान्य करने में सफल हो जायेगी। लेकिन तब तक देश के अनेक भागों में आॅक्सीजन की कमी से मौतें हो रही हैं और अनेक राज्य आॅक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं। देश में 21 अपै्रल तक ऑक्सीजन (Oxygen)  का उत्पादन करीब 7500 मीट्रिक टन था जबकि अचानक कोरोना के मामले बढ़ने के कारण मांग कई गुना बढ़ गयी है। इसके कारण न सिर्फ आॅक्सीजन की कमी पड़ गयी बल्कि विभिन्न राज्यों की मांग को पूरा करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक आॅक्सीजन (Oxygen)  की सप्लाई के लिए जरूरी ऑक्सीजन कंटेनर, टैंकर एवं संबंधित लॉजिस्टिक्स की भी भारी कमी पड़ गयी है। दरअसल दूसरी लहर इतनी भयानक होगी ऐसा अनुमान किसी को नहीं था और शायद यही कारण है कि तमाम चेतावनी के बाद भी किसी ने दूसरी लहर को गंभीरता से नहीं लिया। देश की सरकार भी खतरे  का अनुमान लगाने में चूक गयी जिसके कारण कोरोना की दूसरी लहर इतनी हाहाकारी हो गयी। संक्रमण की संख्या बढ़ने से अस्पतालों पर लोड बढ़ने लगा और तेजी से एक्टिव केस बढ़ने के कारण अस्पतालों में बेड, दवा, आॅक्सीजन (Oxygen)  सबकी किल्लत हो गयी। इसी बीच महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली से ऑक्सीजन (Oxygen)   की कमी के कारण मौत की घटनाएं भी हुर्इं जो बहुत ही दुखद है। दिल्ली में आॅक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति के लिए दिल्ली सरकार अदालत पहुंची जहां पहले हाईकोर्ट ने और फिर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को 700 टन ऑक्सीजन (Oxygen)  हर हाल में देने का निर्देश दिया। केन्द्र सरकार ने अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए कई राज्यों के ऑक्सीजन जन कोटे में कटौती करके दिल्ली को आॅक्सीजन (Oxygen)  की आपूर्ति की। इससे दिल्ली के मरीजों को बड़ी राहत मिली। दिल्ली में पर्याप्त आॅक्सीजन की आपूर्ति हो और लोगों की जीवन रक्षा हो सके ऐसी मंशा सबकी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा या किसी और राज्य के आॅक्सीजन में कटौती की जाये। देश में आॅक्सीजन की कमी है और इसको बढ़ाने का प्रयास हो रहा है, लेकिन तब तक यह जरूरी है कि सभी राज्यों को उनकी जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन (Oxygen) मिले और सभी मरीजों की जीवन रक्षा हो सके। अगर दूसरे राज्यों का आॅक्सीजन (Oxygen)  दिल्ली को दे दिया जायेगा, आधे से अधिक  लॉजिस्टिक संसाधन दिल्ली को ऑक्सीजन आपूर्ति में लगा दिये जायेंगे तो फिर पूरे देश का क्या होगा। हमे यह ध्यान रखना होगा कि यह देश 1 अरब 40 करोड़ लोगों का है और दिल्ली इसकी राजधानी है। दिल्ली ही पूरा देश है ऐसा समझना घातक है। जिस तरह  दिल्ली की सरकार वहां के लिएआक्सीजन की मांग कर रही है, वैसी ही मांग अन्य राज्योंकी भी हैं। कुछ राज्य तो ऐसे हैं जिनकी आबादी दिल्ली से कहीं अधिक है। ऐसे में अगर दिल्ली को ही अधिक आक्सीजन देने पर ध्यान केंद्रित कितना उचित है।  दिल्ली को देश की राजधनी होने के नाते विशेष तरजीह मिलनी चाहिए लेकिन मांग करते वक्त दिल्ली को भी देश के व्यापकहितों का ध्यान रखना चाहिए और अपने राजधानी होनेके धर्म का निर्वाह करना चाहिए।

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