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लोहिया अस्पताल में मरीजों को झटका, मुफ्त दवा का संकट

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित लोहिया अस्पताल (Lohia Hospital) का लोहिया संस्थान में विलय अब मरीजों को दिक्कत पैदा कर रहा है। यहां इलाज की मुफ्त सुविधाओं पर तलवार लटकने लगी है।

 लोहिया अस्पताल (Lohia Hospital) का लोहिया संस्थान में विलय अब मरीजों के गले की फांस बन रहा है। कारण, यहां इलाज की मुफ्त सुविधाओं पर तलवार लटकना है। स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सा शिक्षा विभाग में अस्पताल के हैंडओवर होते ही निशुल्क सेवाओं के बजट में कटौती होने लगी है। अब यूपी मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन ने दवा आपूर्ति का पोर्टल ब्लॉक कर दिया। ऐसे में अस्पताल की फार्मेसी में दवा का संकट गहरा गया है।

लोहिया अस्पताल को करोड़ों का झटका – विलय के बाद रुका बजट

लोहिया अस्पताल (Lohia Hospital) (हॉस्पिटल ब्लॉक) के विलय का आदेश 27 अगस्त 2019 को जारी हुआ था। वहीं लोहिया संस्थान प्रशासन ने छह सितंबर 2019 से मुफ्त चिकित्सकीय सेवाएं रन करने का दावा किया। विलय के बाद स्वास्थ्य विभाग से अस्पताल का बजट रुक गया है। कारण यह अस्पताल अब चिकित्सा शिक्षा विभाग का हो गया है। वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग के लोहिया संस्थान में सभी सेवाओं का शुल्क लगता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल से मुंह फेरते ही मरीजों के मुफ्त इलाज में अड़चनें आ गई।

दवा का नहीं हो पा रहा आर्डर

मामला बढ़ने पर हरकत में आई सरकार ने संस्थान प्रशासन को तलब कर मरीजों की समस्या का निस्तारण किया  लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति करने वाले यूपी मेडिकल कॉर्पोरेशन ने लोहिया अस्पताल का दवा पोर्टल ब्लॉक कर दिया। कुछ दिन पहले बंद किए गए दवा पोर्टल से अस्पताल से दवा का ऑर्डर नहीं जा सका। लिहाजा अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली मुफ्त दवा का संकट गहरा गया है। संस्थान प्रशासन ने दवा आपूर्ति हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड से मुहैया कराने का निर्देश दिया। मगर, उसकी रेट कांट्रेक्ट की लिस्ट में सुपर स्पेशयलिटी विभागों से जुड़ीं बीमारियों की दवा शामिल नहीं हैं, जबकि अस्पताल में सामान्य विभाग हैं।

ओपीडी में आए मरीज दवा के लिए भटक रहे हैं। उन्हें हृदय रोग की दवा कोंवार्सिल-एम, स्किन की फ्लूकोनाजोल, शुगर की ग्लिम प्राइड-2 एमजी, सूजन की सेरेसियोपेप्टीडेज, थायरॉयड की थायरॉक्स मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ीं। वहीं सीफोपैरोजोम समेत तमाम एंटीबायोटिक इंजेक्शन नहीं हैं. सर्जिकल सामान का भी संकट है। साथ ही जनऔषधि केंद्रों पर ताला लगा होने से मरीजों पर डबल आफत बन गई है।

अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर वर्ष छह करोड़ रुपये आवंटित होते थे। अस्पताल के फार्मेसी प्रभारी पोर्टल पर ऑनलाइन दवा डिमांड भेजते थे। कॉर्पोरेशन दवाओं के अनुसार ऑनलाइन पैसा काटकर आपूर्ति करता रहता था। अब पोर्टल ब्लॉक होने से हॉस्पिटल ब्लॉक में मेडिसिन, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, ईएनटी, नेत्र रोग विभाग, टीबी एंड चेस्ट, त्वचा रोग विभाग, मानसिक रोग विभाग, बाल रोग विभाग, ऑब्स एंड गाइनी, रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी समेत 12 विभागों में दवा, सर्जिकल सामान का संकट खड़ा हो गया।

डॉ. श्रीकेश सिंह, प्रवक्ता, लोहिया संस्थान के अनुसार-

यूपी मेडिकल कॉर्पोरेशन ने अस्पताल को मिलने वाली दवाएं देने से इनकार कर दिया है। उसका पोर्टल ब्लॉक हो गया है। अब एचआरएफ से दवाएं खरीद कर मरीजों को दी जाएंगी। अस्पताल में जिन दवाओं की कमी है, वह खरीदी जाएंगी और मरीज को मुफ्त ही दी जाएंगी।

 

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