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रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगते हुए पुछा इनकी मंशा जहाज खरीदने की थी ही नहीं?

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नई दिल्ली।राफेल डील को लेकर विवाद गर्माता ही जा रहा है एक के बाद एक बायनो के बीच एक दूसरे पर आरोपों का सिलसिला भी जारी है। जहाँ एक तरफ लोकसभा में पहले कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमत्री पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी राफेल के मुद्दे पर बात क्यों नहीं करते साथ ही ट्वीट करके भी तीन सवालों की एक लिस्ट दी वही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बोफोर्स मामले को भी उठाया।अब इसी क्रम में लोकसभा में शुक्रवार को भी राफेल डील पर चर्चा हुई। चर्चा का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार ने जब डील की थी, तब 18 विमान तैयार हालात में मिलने थे। बाकी 108 विमान 11 साल की अवधि में बनाए जाने थे। 2006 के बाद 2014 तक आप 18 जहाज भी हासिल नहीं कर सके। ऐसा क्यों? हमारी डील में पहला एयरक्राफ्ट 2016 में हुई डील के 3 सालों के भीतर आना था और इसके बाद आखिरी विमान 2022 तक आखिरी विमान भी हमें मिल जाना था। इस साल सितंबर में आपको पहला विमान मिल जाएगा यानी कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के 3 साल के भीतर ही यह मिलेगा। आपने अगस्ता-वेस्टलैंड का ऑर्डर एचएएल को क्यों नहीं दिया? इसलिए क्योंकि एचएएल आपको कुछ और दे नहीं सकती थी?

साथ ही रक्षा मंत्री ने आगे कहा- आपने यह जानते हुए भी डील को अटका दिया कि वायुसेना परेशानी झेल रही है। यहां रक्षा सौदे और सुरक्षा के लिए हुए सौदे में अंतर है। हम कोई रक्षा सौदा नहीं कर रहे हैं। यह सुरक्षा के लिए की गई डील है, क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। मैं यहां तथ्य रख रही हूं। मैं आरोप लगाती हूं कि इनकी मंशा जहाज खरीदने की थी ही नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में होने के बावजूद इन्होंने इस डील को अटकाया।इसके बाद सीतारमण ने कहा- आपके 18 फ्लाईअवे जहाजों को हमने 36 तक पहुंचाया और बाकी जहाजों की खरीद के लिए भी हमने आरएफपी भेज दी है। जब भी कभी आपातकालीन खरीद की जाती है, तब यह केवल 2 स्क्वॉड्रन की होती है। 1982 में जब पाकिस्तान एप-16 खरीद रहा था, तब भारत सरकार ने फैसला किया था कि मिग-23 एमएफ की दो स्क्वॉड्रन लायक विमान खरीदे जाएंगे। 1985 में भी दो स्क्वॉड्रन बनाने लायक मिराज फ्रांस से खरीदे गए थे। 1987 में दो स्क्वॉड्रन लायक मिग-29 विमान सोवियत यूनियन से खरीदे गए थे। भारतीय वायुसेना आमतौर पर सरकार को यही सुझाव देती है कि दो स्क्वॉड्रन खरीदे जाएं।

बता दें कि रक्षा मंत्री ने कहा- राहुल गांधी सदन के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बेंगलुरु में एचएएल गए थे। उसके सामने कहा था- राफेल आपका अधिकार है और आपको इसे बनाना चाहिए था। मैं कहना चाहती हूं कि मल्लिकार्जुन खड़गे जी उस स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य भी थे, जिसने डिफेंस से जुड़े कई मामलों को देखा था। स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में कहा था- कमेटी इस बात से निराश है कि 3 दशकों बाद भी एचएएल वायुसेना की जरूरत के मुताबिक लड़ाकू विमान बनाने में सक्षम नहीं हो पाई। आपने 2005 से 2014 के बीच एचएएल के लिए कुछ नहीं किया। हमने 1 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट एचएएल को दिए, आपने तो सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाए। जब राफेल कॉन्ट्रैक्ट हो रहा था, तब कहा गया कि एचएएल को यही जहाज बनाने में 2.7 गुना ज्यादा वक्त चाहिए। दैसो ने इस बात की गारंटी भी नहीं दी कि 108 विमानों को एचएएल प्रोड्यूस करे।

इसके बाद रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पे फिर से निशाना साधते हुए कहा कि – कांग्रेस का राफेल पर पूरा अभियान पूरी तरह से झूठ और गैरजिम्मेदार आरोपों पर आधारित था। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा था कि हम किसी राष्ट्र प्रमुख के साथ डिफेंस डील पर बात नहीं करेंगे, क्योंकि यह भारत का अंदरूनी मसला है।
28 जुलाई को संसद में राहुल गांधी जी ने कहा- मैंने फ्रांस के राष्ट्रपति से गुप्त समझौते के बारे में बात की थी। यानी कांग्रेस प्रवक्ता कुछ और कह रहे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष अलग बात कर रहे हैं। दोनों में से कोई एक देश को भ्रमित कर रहा है।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी राफेल मुद्दा ठंडा नहीं पड़ रहा और कांग्रेस बार बार मोदी सरकार पर निशाना साध रही है।

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