भारतीयों को सुझाए ये कारगर उपाय

कोरोना पॉजिटिव इटली के 11 मुसाफिरों का इलाज करने वाली डॉक्टर ने भारतीयों को सुझाए ये कारगर उपाय

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नई दिल्ली। कोरोना के ख़िलाफ़ जंग में भारत बेहद अहम मोड़ पर खड़ा है। देश में कुल संक्रमित मामलों की आंकड़ा 500 को पार कर गया है। इसके साथ ही 10 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। कई शहरों में लॉक डाउन है और अगले 15 दिन बेहद अहम हैं।

इटली के कोरोना पॉजिटिव 14 पर्यटकों का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज डॉक्टर सुशीला कटारिया के नेतृत्व में एक टीम ने किया

भारत में सबसे पहले कोरोना संक्रमित इटली से आए पर्यटकों में मिला था जो राजस्थान की सैर कर रहे थे। इनमें से 14 को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर डॉक्टर सुशीला कटारिया के नेतृत्व में एक टीम उनका इलाज कर रही थी।

 डॉक्टर सुशीला कटारिया बीते दो सप्ताह से अपने परिवार से ठीक से नहीं मिल सकी

बता दें कि डॉक्टर सुशीला कटारिया की टीम 11 संक्रमितों को ठीक कर चुकी है। इस दौरान उन्होंने कई सबक़ हासिल किए हैं। इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में फ़्रंट लाइन पर खड़ी डॉक्टर सुशीला कटारिया बीते दो सप्ताह से अपने परिवार से ठीक से नहीं मिल सकी हैं। उनका अधिकतर समय अस्पताल में ही बीतता है। घर पर वह न ही अपने बच्चों से मिलती हैं और न ही उनके साथ खाना खाती हैं और न ही किसी तरह का कोई स्पेस उनसे शेयर करती हैं। एक तरह से उन्होंने अपने आपको परिवार से अलग थलग कर लिया है।

हम उम्मीद करते हैं कि महामारी पूरे देश में बाक़ी दुनिया की तरह नहीं फैलेगी

डॉक्टर कटारिया एक न्यूज चैनल से बात करते हुए बताया कि मैं तो बस प्रतीक बन गई हूं। मेरे जैसे बहुत से डॉक्टर हैं जो हिन्दुस्तान में और दुनिया के कई देशों में इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मेरे पास ये मरीज़ चार तारीख़ को आए थे। क़रीब 20 दिनों से ये हमारे साथ हैं। हम सीख रहे हैं नए तज़ुर्बे हासिल कर रहे हैं। ये नया चैलेंज है। हमें इससे जूझ रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि महामारी पूरे देश में बाक़ी दुनिया की तरह नहीं फैलेगी।

हाल के दिनों में जुटाए अपने और बाक़ी दुनिया में जुटाए गए अनुभव के हिसाब से इलाज किया

डॉक्टर सुशीला कटारिया बताती है कि कुल 14 मरीज़ों में से 11 ठीक हो गए हैं। कोरोना वायरस का अभी कोई इलाज या टीका नहीं है। डॉक्टर सुशाला कटारिया की टीम ने कोरोना संक्रमित मरीज़ों पर कई दवाओं का इस्तेमाल किया। वह बताती हैं कि इस नई बीमारी का पहले से हमारे पास इलाज का कोई तजुर्बा नहीं था। हमने हाल के दिनों में जुटाए अपने और बाक़ी दुनिया में जुटाए गए अनुभव के हिसाब से इलाज किया।जिन मरीज़ों में मामूली लक्षण थे उन्हें हमने मल्टी विटामिन और लक्षणों के हिसाब से ट्रीटमेंट दिया। जिन मरीज़ों को सांस लेने में दिक़्क़त है या तेज बुखार है उन्हें हमने एंटी वायरल दवाएं दी हैं।

डॉक्टर सुशीला की निगरानी में भर्ती अधिकतर मरीज़ 68 साल से अधिक उम्र के

डॉक्टर सुशीला की निगरानी में भर्ती अधिकतर मरीज़ 68 साल से अधिक उम्र के हैं। इन सभी मरीज़ों की हालत बेहद गंभीर थी। डॉक्टर सुशीला कटारिया इटली में रह रहे उनके परिजनों को बार बार भरोसा दे रही थीं कि उनके रिश्तेदार स्वस्थ होकर वापस अपने देश लौट पाएंगे।

कोरोना के मरीज़ों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों में भी संक्रमण का ख़तरा बेहद ज़्यादा होता है

कोरोना के मरीज़ों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों में भी संक्रमण का ख़तरा बेहद ज़्यादा होता है। डॉक्टर सुशीला कहती हैं कि उनके अस्पताल ने उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई है, लेकिन वह ये भी कहती हैं कि ऐसे ही सुविधाएं देश के सभी अस्पतालों में डॉक्टरों को मिलनी चाहिए।

कोरोना पॉजिटिव इटली के 11 मुसाफिरों का इलाज करने वाली डॉक्टर ने भारतीयों को सुझाए ये कारगर उपाय

डॉक्टर कटारिया कहती हैं कि जो लोग एन95 मास्क को न ख़रीदें और इससे स्वास्थ्य कर्मियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए छोड़ दें

वह कहती हैं कि आज के दिन तो उपकरणों की कमी नहीं है, लेकिन यदि संक्रमण के मामले ज़्यादा बढ़ गए तो दिक्कतें आ सकती हैं। वह कहती हैं कि यदि इटली यह चीन की तरह भारत में भी मामले आने लगे तो पीईपी इक्विपमेंट और एन95 मास्क की आपूर्ति में दिक्कतें आ सकती है। डॉक्टर कटारिया कहती हैं कि जो लोग एन95 मास्क लगाकर घूम रहे हैं। वह इस मास्क को न ख़रीदें और इससे स्वास्थ्य कर्मियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए छोड़ दें। आम लोगों को ये मास्क लगाने की ज़रूरत नहीं है।

वायरस से लड़ाई में सब से कारगर तरीका

डॉक्टर कटारिया कहती है कि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी तो इस लड़ाई में लड़ ही रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी लड़ाई लोगों को अपने घरों में लड़नी है। वह कहती हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन ही इस वायरस से लड़ाई में सब से कारगर है। डॉक्टर कटारिया कहती हैं कि अगले 15 दिन ये तय करेंगे कि हम इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में हार जाएंगे या जीत जाएंगे। हमें अपने आप को पूरी तरह अपने घर तक सीमित करना होगा। इस महामारी का भारत में क्या स्वरूप होगा अब ये भारत के लोगों का व्यवहार ही तय करेगा?

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आपको इन्फेक्शन है या नहीं इससे फ़र्क नहीं पड़ता आपको सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन का ध्यान रखना ही होगा

वह कहती हैं कि मुझे यह देखकर बहुत दुख हुआ कि कुछ जगह पर कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ ताली बजाते हुए रैलियां तक निकाली गईं। कई जगह तो लोग इकट्ठा होकर गोबर में नहा रहे थे। ये अस्वीकार्य है। आपको इन्फेक्शन है या नहीं इससे फ़र्क नहीं पड़ता आपको सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन का ध्यान रखना ही होगा। कई जगहों पर कोरोना संक्रमित लोगों के ख़िलाफ़ घृणा की भावना भी देखने को मिली है। डॉक्टर सुशीला कहती हैं कि संक्रमित व्यक्तियों का कोई दोष नहीं है उनके प्रति सहानुभूति का भाव रखा जाना चाहिए। ये संक्रमण किसी को भी हो सकता है। ऐसे लोगों से आप दूरी बनाएं लेकिन उन्हें अपने मन से दूर मत करिए।

डॉक्टर सुशीला ने कहा कि हमें पता चला है कि कोरोना संक्रमित लोगों के परिवारों के साथ किया जा रहा है दुर्व्यवहार

डॉक्टर सुशीला ने कहा कि हमें पता चला है कि कोरोना संक्रमित लोगों के परिवारों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। उनके बारे में सोशल मीडिया पर भी तरह तरह की बातें लिखी जा रही हैं। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता है। कोरोना की लड़ाई में फ़्रंट लाइन पर खड़े डॉक्टर भी संक्रमित हुए हैं, कई डॉक्टरों की मौत भी हुई है, लेकिन डॉक्टर सुशीला को डर नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि मुझे कोई डर नहीं लगता जब पहली बार मुझसे कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज करने के लिए कहा गया था तब भी मुझे डर नहीं लगा था। ये हमारा काम है।

डॉक्टर सुशीला की बेटी ने उनसे कहा था कि वह ही यह ख़तरा क्यों उठा रही है?

सिर्फ़ मैं ही ये ख़तरा नहीं उठा रही हूं। मेरी नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ़, वॉर्ड बॉय सभी ये ख़तरा बराबर उठा रहे हैं। यह ख़तरा उठाकर ही ये लड़ाई जीती जा सकती है। स्वास्थ्यकर्मी इतना ख़तरा उठाकर इस वायरस को फैलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। आम लोगों की भी ज़िम्मेदारी है कि वह साफ़ सफ़ाई का ध्यान रखें, घर से बाहर न निकलें, लॉकडाउन के नियमों का पालन करें ताकि इस लड़ाई में हम सब अपनी भागीदारी निभा सकें। डॉक्टर सुशीला की बेटी ने उनसे कहा था कि वह ही यह ख़तरा क्यों उठा रही है? उन्होंने उसे जवाब दिया था कि किसी न किसी को तो ये ख़तरा उठाना ही होगा इस लड़ाई में फ़्रंट लाइन पर खड़ा होना ही होगा।

इन दिनों डॉक्टर सुशीला का अधिकतर समय अस्पताल में ही बीतता है जब वो घर जाती हैं तो अपने बच्चों से नहीं मिलती दूर दूर से ही बात करती हैं। वह कहती है कि ये मुश्किल वक़्त है, हम सबको अपने अपने हिस्से का त्याग करना होगा। डॉक्टर सुशीला ने कहा कि इस वायरस के और मरीज़ अस्पतालों में आए सिर्फ़ एहतियात बरत कर ही इससे बचा जा सकता है।

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