श्रवण अक्षमता

श्रवण अक्षमता का शत प्रतिशत इलाज संभव : डॉ. अशोक ठक्कर

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नई दिल्ली। जन्मजात शिशु से लेकर बड़े बुजुर्गों में पायी जाने वाली श्रवण अक्षमता एकमात्र ऐसी बीमारी है, जिसका अगर समय रहते पता लग जाये। तो इलाज शत प्रतिशत संभव है।

डॉ. अशोक ठक्कर ने बताया कि कॉक्लियर इम्प्लांट के जरिये श्रवण क्षमता खो चुके लोगों का किया जाता है सफल इलाज 

यह बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कान नाक गला ( ईएनटी) विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक ठक्कर ने विश्व श्रवण दिवस के मौके पर कही । ठक्कर ने बताया कि कॉक्लियर इम्प्लांट के जरिये श्रवण क्षमता खो चुके लोगों का सफल इलाज किया जाता है। इस ऑपरेशन के तहत कान के अंदर एक डिवाइस लगाई जाती है जो बाहरी कान के पास लगे ट्रांसमीटर से बाहरी आवाज को चुंबकीय तरंगों में बदलकर कॉक्लियर तक पहुंचाती है, जिससे मरीज को सुनने में आसानी होती है।

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डॉ. कपिल सिक्का ने बताया कि यह अक्षमता कुछ जन्मजात शिशु में भी होती है

ईएनटी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. कपिल सिक्का ने बताया कि यह अक्षमता कुछ जन्मजात शिशु में भी होती है। इससे पहले अभिवावक पता लगाए, या बच्चा बताने में देरी करे उससे पहले ही इस कुछ ऑपरेशन की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है। सिक्का ने बताया कि पहले यह अक्षमता कान बहने की वजह से मानी जाती थी लेकिन आज की बदलती जीवनशैली, ज्यादा तेज आवाज़ में संगीत सुनने और इयरफोन के अत्यधिक प्रयोग और समय के साथ बढ़ता एक्सपोज़र इसके प्रमुख कारण हैं।

देश के छह हिस्सों में 90 हज़ार लोगों पर शोध किया

उन्होंने बताया कि बहुत सारे लोगों को श्रवण संबंधी उपकरण लगाने में हिचक महसूस होती है उसका क्या उपाय है, इस पर श्री सिक्का ने बताया कि ऐसे लोगों को समय के साथ इसके लिये प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। ताकि वे इस उपकरण के लिये तैयार हो सके। इस अक्षमता से संबंधित जानकारी जुटाने के लिये डॉ ठक्कर ने भारतीय आर्युविज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर देश के छह हिस्सों में 90 हज़ार लोगों पर शोध किया हैं।

3 मार्च को मनाया जाता है विश्व श्रवण दिवस जागरूकता दिवस 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की पांच फीसदी आबादी में आंशिक या पूर्ण रूप से सुनने की समस्या है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन पूरे विश्व में सुनने के महत्व पर विभिन्न संगठनों द्वारा जागरूकता फैलायी जाती है। इस बार का थीम है ‘ हियरिंग फॉर लाइफ’।

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