मोहन भागवत

सहज रीति से कार्यकर्ता सज्जनों के साथ मिलकर कार्य करें : मोहन भागवत

737 0

गोरखपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के पांच दिवसीय कार्यकर्ता सम्मेलन हो रहा है। सम्मेलन के दूसरे दिन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने वामपंथ की ओर इशारा किया। इसके साथ ही उन्होंने लम्बे समय से समाज तोड़क विपरीत सम्वाद खड़ा करने की बात कही और इसे दूर करने को सामाजिक समरसता को जरूरी बताया।

मोहन भागवत ने सज्जन लोगों को सहयोगी बनाने का मंत्र भी दिया

उन्होंने स्वयं सेवकों को गांव जाने और सामाजिक परिवर्तन के लिए होने वाली गतिविधियों में सज्जन लोगों को सहयोगी बनाने का मंत्र भी दिया। बैठक में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की कार्यकारिणी, अवध, काशी, गोरक्ष, कानपुर प्रान्त टोली, प्रान्त कार्यकारिणी के अलावा पर्यावरण, सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, धर्मजागरण, समग्र ग्राम विकास व गो सेवा जैसी गतिविधियों की प्रान्त टोलियां शामिल हैं।

सरसंघचालक ने कहा कि सभी समाज को एक साथ लेकर है चलना 

शनिवार को सरसंघचालक ने कहा कि सभी समाज को एक साथ लेकर चलना है। गांव-गांव जाकर भारतीय जीवन मूल्यों के प्रकाश में सामाजिक परिवर्तन की चल रहीं गतिविधियों में सज्जनों को जोड़ें। इस कड़ी को बढ़ाते चलें। स्वस्थ्य समाज का निर्माण हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बिना किसी प्रचार व शासन सत्ता के सहयोग से कार्य को गति दें। सहज रीति से कार्यकर्ता सज्जनों के साथ मिलकर कार्य करें। सामाजिक परिवर्तन का प्रकट रूप स्वतः खड़ा होगा। पूरे समाज से आपसी भेदभाव को दूर करने का कार्य ही स्वयंसेवक का गुण है। हमें समाज को सभी विकारों से मुक्त करके समरस भाव वाले सामाजिक परिवेश को तैयार करना है।

जाति-पाति, विषमता, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक विकार समाज से शीघ्र करना है समाप्त 

तीन सत्रों में सम्पन्न बैठक में सरसंघचालक ने सभी गतिविधियों में चल रहे कार्यों की जानकारी ली। सामाजिक समरसता के कार्यकर्ताओं से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ विकृतियों के कारण समाज का तानाबाना टूटा है। जाति-पाति, विषमता, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक विकार समाज से शीघ्र समाप्त करना है। समाज का मन बदलें। सामाजिक अहंकार और हीनभाव दोनों समाप्त करने से ही लक्ष्य प्राप्त होगा।

संघ प्रमुख ने दिया यह दिया मंत्र

  • पर्यावरण के असंतुलन व उसके दुष्प्रभावों से समाज को बचाने के लिए पौधरोपण करें और करने को प्रेरित करें।
  • जल संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त समाज के लिए समाज का प्रबोधन करें।
  • जरूरत पड़े तो प्रशिक्षण करने का आग्रह करें।
  • ग्राम्य विकास की चर्चा करें। कृषि पर जोर दें। कृषि परम्परा में न जमीन दूषित होती है, न अन्न।
  • रासायनिक खाद के उपयोग से जमीन खराब हो गयी है और अन्न विषयुक्त हो गये हैं।

जताई चिंता

  • रासायनिक खेती ने जल, जमीन और जन सहित सबको नुकसान पहुंचाया है।
  • संघ के प्रयासों से आज देश में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • आदर्श जीवन में यम-नियम का पालन जरूरी है। उसी प्रकार आदर्श और उन्नत खेती के लिए पांच नियम, ‘स्वच्छता, स्वाध्याय, तप,
  • सुधर्म और सन्तोष’ का पालन करें।

यह भी बताया

  • स्वच्छता के तहत अपने गांव को साफ सुथरा रखना।
  • स्वाध्याय के अन्तर्गत कृषि के सन्दर्भ में भारतीय पद्धति का अध्ययन करना।
  • तप की अवधारणा के अनुरूप अपनी जमीन को भगवान मानकर बिना किसी स्वार्थ के उसकी सेवा करते हुए कृषि करना।
  • अपने सुधर्म का पालन करना और संतोष अर्थात् धैर्य पूर्वक जैविक खेती को अपनाना। अच्छे परिणाम के लिए धैर्य और संतोष जरूरी है।

Related Post

कांवड़ यात्रा रद्द करने पर हिन्दू महासभा ने की योगी की निंदा, कहा- कोरोना है तो रोक दीजिए राजनीति

Posted by - July 19, 2021 0
कोरोना संकट को देखते हुए यूपी समेत विभिन्न सरकारों ने कांवड़ यात्रा को रद्द करने का फैसला किया, हिन्दू महासभा…

दिग्विजय सिंह-कोई अन्न उगा देशद्रोही हो जाता है, तो कोई चंदा खाकर भी राष्ट्रभक्त, वाह मोदी जी वाह!

Posted by - June 19, 2021 0
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन पर उठे विवाद को…
Savin Bansal

जिलाधिकारी ने जिला चिकित्सालय की तर्ज पर आधुनिक टीकाकरण कक्ष कार्य शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिस पर कार्य प्रारम्भ हो गया

Posted by - July 4, 2025 0
देहरादून: जिलाधिकारी सविन बसंल (Savin Bansal) जिले में स्वास्थ्य सेवओं को सुगम सुविधाजन बनाने हेतु निरंतर प्रयासरत है। जिलाधिकारी समय-2…