40 साल बाद कोरोना वैक्सीन ने जगाई, एड्स के भी इलाज की उम्मीद !

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वैश्विक स्तर पर एड्स की महामारी के 40 साल बाद वैक्सीन की तलाश को नई उम्मीद मिली है। अमेरिकी दवा और बायोटेक कंपनी मॉडर्ना ने हाल ही में एड्स की दो वैक्सीन के ट्रायल का ऐलान किया है। ये वैक्सीन भी mRNA आधारित हैं, इसी तकनीक पर कंपनी ने कोरोना वायरस की वैक्सीन भी बनाई है। मॉडर्ना दुनिया की पहली कंपनी है, जिसने कोविड-19 का mRNA आधारित पहला टीका बनाया है।

मॉडर्ना अपनी एचआईवी वैक्सीन के दो वर्जन का ट्रायल करेगी। ये एड्स की पहली mRNA आधारित वैक्सीन है, जिसका इंसानों पर ट्रायल किया जाएगा। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री के मुताबिक पहले चरण के ट्रायल के लिए 18 से 50 आयु वर्ग के 56 एचआईवी निगेटिव लोगों को चुना गया है। पहले चरण के ट्रायल में चार ग्रुप होंगे। इनमें से दो ग्रुप को वैक्सीन की मिक्स डोज दी जाएगी, वहीं अन्य दो ग्रुप को दो वैक्सीन में से कोई एक दी जाएगी। हालांकि ट्रायल शामिल होने वाले लोगों को यह पता होगा कि वे किस ग्रुप में हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एड्स से दुनिया भर में अभी तक 3 करोड़ 60 लाख से ज्यादा (36.3 मिलियन) लोगों की मौत हुई है। अनुमान है कि 2020 के अंत तक दुनिया भर में 3 करोड़ 70 लाख से ज्यादा (37.7 मिलियन) लोगों एचआईवी संक्रमण के साथ जीवन गुजार रहे हैं। हालांकि एचआईवी का अभी तक कोई इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन हाल के वर्षों में प्रभावी रोकथाम, रोग की पहचान और देखभाल के साथ एचआईवी को मैनेज करने में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सफलता हासिल की है। भारत के नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के 2019 की एचआईवी रिपोर्ट के मुताबिक 23 लाख से ज्यादा एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे हैं। लेकिन, साल 2000 के बाद से भारत में 15 से 49 आयु वर्ग के लोगों में एचाईवी के प्रिवैलेंस ट्रेंड में गिरावट देखी जा रही है। और हाल के वर्षों में यह स्थिर होती दिख रही है।

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