Yogi government

3.6 करोड़ राशन कार्ड धारकों को जल्द मिलेगी डिजी लाकर की सुविधा

240 0

लखनऊ: राज्य सरकार प्रदेश के राशन कार्ड (Ration card) धारकों को बड़ी सुविधा देने जा रही है। राशनकार्ड धारकों को अब देश में कहीं भी राशन लेने में असुविधा नहीं होगी। कोटेदार (Kotedar) राशनकार्ड में कमियों का बहाना बनाकर अब टालमटोल नहीं कर सकेंगे। योगी सरकार प्रदेश के 3.6 करोड़ राशन कार्ड धारकों को जल्द ही डिजी लाकर उपलब्ध कराने जा रही है। इसके लिए सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने इसे अपनी 100 दिन के कार्ययोजना में शामिल किया है।

डिजी लाकर में राशन कार्ड रखने से लोगों को बड़ा लाभ यह होगा कि वन नेशन वन कार्ड योजना के तहत देश में कहीं भी राशन मिलने में आसानी होगी। राशन कार्ड के खोने, खराब होने या फटने का डर भी नहीं होगा। वहीं सरकारी सस्ते गल्ले पर दुकानदार राशनकार्ड में कमी का बहाना बनाकर राशन देने से इंकार नहीं कर सकेगा। इसके अलावा राशन लेने की जानकारी राशन कार्ड पर डिजिटली दर्ज हो सकेगी। प्रदेश में 3.6 करोड़ लोगों के राशन कार्ड के लिए डिजी लाकर उपलब्ध कराने के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई जल्द पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें: केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने सीएम से की मुलाकात, विभिन्न बिंदुओं पर की चर्चा

एक नजर में डिजी लाकर

डिजी लाकर एक वर्चुअल लाकर होता है, इसमें जरूरी दस्तावेज जैसे कि पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड आदि सुरक्षित कर सकते हैं। इसमें अकाउंट बनाने के लिए आधार कार्ड जरूरी होता है। इसमें कई तरह के सरकारी प्रमाण पत्र आदि भी स्टोर कर सकते हैं। दस्तावेज को लेकर लोगों को यात्रा करने में मुश्किल होती है। अगर दस्तावेज खो जाए तो उसे दोबारा बनवाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डिजी लाकर की सुविधा का उपयोग कर अपने दस्तावेज को सुरक्षित किया जा सकता है और दस्तावेज लेकर यात्रा करने से भी बचा जा सकता है।

यह भी पढ़ें: गोरखनाथ मंदिर में प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

Related Post

Naresh Tikait

पश्चिमी यूपी के बाद अब योगी के गढ़ पूर्वांचल पर बीकेयू की नज़र, बस्‍ती में नरेश टिकैत किसान पंचायत 

Posted by - February 25, 2021 0
बस्‍ती। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन से पश्चिमी यूपी को जोड़ने के बाद किसान संगठनों की नज़र अब…