corona-virus

कोरोना पर राजनीति उचित नहीं

773 0

देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा दो लाख 61 हजार से भी अधिक हो गया है।  बेड और आॅक्सीजन की कमी कोलेकर हाहाकार मचा हुआ है।  साथ ही इस पर राजनीति भी आरंभ हो गई है। राहुल गांधी ने बंगाल की अपनी चुनावी रैलियां रदद कर दी हैं और बाकी के दलों से भी ऐसा ही कुछ करने का आग्रह किया है। यह और बात है कि अन्य राज्यों में कांग्रेस ने अपनी रैलिया स्थगित नहीं की। चूंकि बंगाल में उसे पता है कि वह रैली करे या न करे,उवसे कोई राजनीतिक लाभ तो होना नहीं है लेकिन वह बंगाल को भाजपा को मजबूत होते देखना भी नहीं चाहेगी।

यही वजह हैकि पी चिदंबरम, मनमोहन सिंह और कपिल सिब्बल जैसे कां्रेसी या तो प्रधानमंत्री  को नसीहत देने लगे हैं या उन्हें भाजपा का प्रचार मंत्री कहने लगे हैं।  मेडिकल जानकारों के एक समूह को आशंका है कि अगर अगले एक से डेढ़ पखवाड़े के बीच कोरोना की इस दूसरी लहर की रफ्तार नहीं थमी, तो हिंदुस्तान में इससे मरने वाले लोगों की तादाद बहुत अधिक हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोरोना की इस दूसरी लहर पर जल्द से जल्द काबू नहीं पाया गया तो इसका वही हाल हो जायेगा, जो सौ साल पहले स्पेनिश फ्लू का हुआ था।

सात पुलिसकर्मियों के कोरोना पॉजिटिव मिलने पर हयातनर थाना बंद

गौरतलब है कि 1920 में आयी भयानक महामारी स्पेनिश फ्लू ने हिंदुस्तान में एक करोड़ 20 लाख लोगों की जान ले ली थी। यह भी ध्यान रखें कि इतने लोग तब मर गये थे, जब उन दिनों भारत की आबादी महज 30 करोड़ से भी कम थी और देश के तत्कालीन भूगोल में आज का पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल था। आज अकेले हिंदुस्तान की आबादी 1 अरब 30 करोड़ से भी ज्यादा है। इससे यह समझा जा सकता है कि देश में कोरोना की मौजूदा रफ्तार कितनी तेज और खतरनाक है। 17 अप्रैल 2021 को जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं, तब तक देश में कोरोना से मरने वाले लोगों की तादाद करीब 1,74,000 पहुंच चुकी है। जबकि अभी तक 1.42 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और इनमें से 1.24 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं। अगर दुनिया के परिदृश्य पर नजर डालें तो ठीक इस समय तक दुनिया में 14 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और करीब 8 करोड़ लोग इसमें ठीक हो चुके हैं, जबकि 30 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, करीब 6 करोड़ से ज्यादा लोग इस समय कोरोना की चपेट में हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं और अचानक ग्लोबल स्तर पर इंसानी इम्यूनिटी डिप करती है तो कई करोड़ लोग इस भयावह आपदा द्वारा निगल लिये जाएंगे।

काशीवासियों को पीएम मोदी ने दी ‘दो गज दूरी और मास्क जरूरी ’की नसीहत

सवाल है क्या कोरोना की इस विश्वव्यापी दूसरी लहर के लिए सिर्फ लोगों की लापरवाही जिम्मेदार है? जवाब है नहीं। निश्चित रूप से इसमें एक बड़ा हिस्सा लोगों की लापरवाही का है। लेकिन वो लापरवाही इंसान के स्वभाविक स्वभाव की है। जानबूझकर लापरवाही का कोई योगदान नहीं है। इस साल जनवरी में लग रहा था कि शायद मई-जून तक कोरोना की निर्णायक विदाई होने लगेगी और दुनिया धीरे धीरे पुरानी फॉर्म में लौटते हुए  दिसंबर 2021 तक कोरोना को इतिहास बना चुकी होगी। लेकिन जनवरी में ही इस महामारी ने पलटा मारा और सारे इंसानी अनुमानों को धता बता दिया। हिंदुस्तान में तो इसने कुछ और ही सफाई से चकमा दिया। फरवरी के तीसरे सप्ताह तक लग रहा था कि कोरोना अब देश के कुछ इलाकों में ही रह गया है और वहां भी इसे जल्द से जल्द कॉर्नर कर दिया जायेगा। लेकिन अप्रैल का पहला हफ्ता गुजरते गुजरते हाल ये हो गया है कि अब तो लोग एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाने तक के लिए भी यह कहने से हिचकते हैं कि कोरोना बस जाने ही वाला है।

जौनपुर, बलिया, गाजीपुर और प्रतापगढ़ में बनेगी BSL-2 Lab

7 अप्रैल 2021 के बाद देश में ऐसी ऐसी अनहोनी हो रही हैं, जिनकी कुछ पखवाड़ों पहले तक भी आशंका नहीं थी जैसे एक दिन में कोरोना के नये मामलों की संख्या 2 लाख के पार चले जाना और राजधानी दिल्ली में 17,000 के आंकड़े को क्रॉस कर जाना। दिल्ली के पहले मुंबई और महाराष्टÑ भी कोरोना के अचानक बढ़े मरीजों से चौंका चुके हैं और अब तो देश का हर इलाका चौंका रहा है। सवाल है आखिर यह कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक क्यों है? विशेषज्ञों की मानें तो इस दूसरी लहर के ज्यादा खतरनाक होने का कारण कोरोना के डबल म्यूटेशन वाले वैरियंट का सक्रिय होना है। 7 अप्रैल 2021 के पहले महाराष्टÑ में जो तमाम जांच हुई थीं, उससे पता चला था कि बहुत तेजी से देश में कोरोना का डबल म्यूटेशन वैरियंट फैल रहा है। यह इस लिहाज से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि यह न सिर्फ हमला करने में माहिर है बल्कि यह अपना बचाव करना भी ज्यादा बेहतर से जानता है।  कुल मिलाकर जिस तरह केहालात हैं, उसमें प्रधानमंत्री स्वयं पहल कर रहे हैं। वे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर रहे हैं। कुंभ जैसे आयोजन रोकने की संतों से अपील कर रहे हैं।  161 नए आॅक्सीजन संयंत्र लगवा रहे हैं। चार हजार रेल कोच को काविड अस्पताल के रूप में तब्दील करा रहे हैं।  ऐसे में उन पर चुनाव के बीच कोविड के लिएसमय निकालने का तंज किसी भी लिहाज से उचित नहीं है।

Related Post

आर्थिक सर्वे

बजट 2020 : 31 जनवरी को पेश होगा आर्थिक सर्वे, जानें कैसे होगा ऑनलाइन डाउनलोड?

Posted by - January 30, 2020 0
नई दिल्ली। केंद्र सरकार शुक्रवार को दोपहर बाद बजट से एक दिन पहले ससंद में आर्थिक सर्वेक्षण को पेश करेगी।…
Anandvardhan

लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने में बैंकों की अहम भूमिका: आनन्दवर्द्धन

Posted by - October 13, 2022 0
देहारादून। अपर मुख्य सचिव  आनन्दवर्द्धन (Anandvardhan) ने राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं…

पंजाब : कैप्टन की कुर्सी पर खतरा? हरीश रावत से मिलने देहरादून पहुंचे कुछ विधायक

Posted by - August 25, 2021 0
पंजाब के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और कुछ अन्य नेताओं द्वारा खुले तौर पर कैप्टन को हटाए जाने…