कोरोना काल में कफन तक की चोरी

1117 0

गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि धीरज , धरम मित्र अरु नारी। आपद काल परखिए चारी। इस विषम  कोरोना काल  में केवल व्यक्ति का धैर्य ही है जो उसके साथ है। बाकी तो पहले ही उसका साथ छोड़ चुके हैं। जिस तरह उत्तर प्रदेश के गांवों में भी कारोना ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है और लोगों का प्राण संहारक बना हुआ है, उससे धैर्य भी लोगों का साथ छोड़ता नजर आ रहा है।

दुख के क्षणों में ही व्यक्ति का असली चेहरा समझ में आता है। जिस तरह से लोगों ने आपदा को कमाई का जरिया बना लिया है, उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।  भारत को मानवीय संवेदनाऔं का संदेश कहा जाता है लेकिन यहां तो लोग कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों से कफन (coffin) तक की भी चोरी कर रहे हैं। बागपत में सात कफन (coffin) चोरों का पकड़ा जाना और उनका इकबालिया बयान इस बात की पुष्टि करता है।  ऑक्सीजन (Oxygen) , रेमडेसिविर इंजेक्शन की चोरी और कालाबाजारी तो किसी से छिपी नहीं है। भारत सरकार विदेशों से ऑक्सीजन और रेमडेसिविर  मंगा रही है, वहीं कुछ लोग इसे चोरी छिपे महंगे दाम पर बेच रहे हैं। इस खेल में स्वास्थ्य विभाग के कुछ डॉक्टर और कर्मचारी भी शामिल हैं।

कुछ पकड़े भी जा चुके हैं लेकिन जो अभी तक नहीं पकड़े जा सके हैं, वे बेहद शातिराना ढंग से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।  वहीं कुछ ऐसे  लोग भी है जो नदियों और नहरों में  रेमडेसिविर इंजेक्शन बहा रहे हैं। पंजाब और राजस्थान में नहरों में बड़ी तादाद में रेमडेसिविर का मिलना इतना तो बताता ही है कि कुछ लोग तो हमारे बीच ऐसे है ही जो कोरोना से देश की जंग को कमजोर करना चाहते हैं। उनकी स्थिति ठीक उसी तरह की है कि खेलब न खेलय देब खेलवय बिगारब। सरकार की छवि बिगाड़ने के लिए विपक्ष किस हद तक जा सकता है, इसे उसकी बानगी के तौर पर देखा-समझा जा सकता है। एक ओर प्रधानमंत्री सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से निरंतरवार्ता कर रहे हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  निरंतर जिलों के दौरे कर रहे हैं, वहीं  कुछ ऐसे भी लोग हैं जो जरूरत न होने के बाद भी  ऑक्सीजन (Oxygen) और ऑक्सीजन सिलेंडर पर कुंडली मारे बैठे रहते हैं। यह प्रवृत्ति भारतीय संस्कृति और गौरव-गरिमा के भी खिलाफ है। भारत सहित विश्व में लगभग हर जगह कोविड-19 संक्रमण की लहर उठी व गिरी है, इसलिए ही तो इसे लहर कहा जाता है।

डंपर की टक्कर से बाइक सवार दो लोगों की मौत

लहरें आती व जाती रहती हैं, जब तक कि उनके उठने के कारणों पर विराम न लग जाये। अत: तीसरी लहर के आने की आशंका को पूर्णत: नकार देना बेवकूफी होगी। अक्लमंदी यह है कि इस तथ्य को समझा जाये कि संक्रमण बढ़ता कैसे है, कम कैसे होता है और उसके बाद क्या हो सकता है। संक्रमण उस समय बढ़ता है, जब वायरस के पास मानवों को संक्रमित करने के अवसर होते हैं। विधानसभा व पंचायत चुनावों की रैलियों, कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों, विवाह व अन्य सामाजिक आयोजनों आदि में भीड़ को बिना कोविड प्रोटोकाल्स (मास्क न लगाना व देह से दो गज की दूरी पर रहने) के पालन के एकत्र होने देना, दूसरी लहर को आमंत्रित करने की प्रमुख वजहों में से एक है।

उत्तराखंड में महामारी आरंभ होने से अब तक जो संक्रमण व मौतों के कुल मामले सामने आये हैं, उनमें से आधे से अधिक कुंभ के दौरान व उसके बाद रिकार्ड हुए हैं। जैसा कि आईएमए, देहरादून के अध्यक्ष डा. अमित सिंह का कहना है। उनके अनुसार, कुंभ ‘सुपर-स्प्रेडर आयोजन था। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में पंचायत चुनावों के बाद स्थिति चिंताजनक हुई और गांवों तक में संक्रमण पसर गया। असम, बंगाल, तमिलनाडु, केरल व पुड्डुचेरी में विधानसभा चुनावों के बाद हालात अधिक खराब हुए। इसलिए तीसरी लहर से बचने के लिए सबसे पहले तो यह किया जाये कि सभी भीड़ वाले आयोजनों, चाहे राजनीतिक हों या धार्मिक व सामाजिक पर महामारी समाप्त होने तक पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इस बीच अगर चुनाव कराने अति आवश्यक हों भी तो प्रचार व मतदान की प्रक्रिया सख्ती के साथ केवल ऑनलाइन तक सीमित रखी जाये। वैसे जब जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव वर्षों तक स्थगित रखे जा सकते हैं तो अन्य जगहों पर यह काम महामारी के खत्म होने तक तो रोका ही जा सकता है।

दूसरी लहर के घातक व चिंताजनक होने का कारण प्रशासनिक विफलता भी रही। दूसरी लहर आने के संदर्भ में विशेषज्ञों के प्रबल अनुमानों को एक किनारे करते हुए समय पूर्व ही कोविड पर विजय पाने की घोषणा कर दी गई, जिससे ऊपर से नीचे तक लापरवाही पसर गई और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य तैयारियां नहीं की गईं। परिणाम यह निकला कि जब दूसरी लहर आयी तो अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन(Oxygen) दवा आदि की जबरदस्त कमी निकली। कुछ राज्यों (दिल्ली, कर्नाटक आदि) ने जहां पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई के लिए अदालतों में दस्तक दी तो कुछ (उत्तर प्रदेश) ने अपनी कमी छुपाने के लिए ऑक्सीजन (Oxygen) की मांग कर रहे अस्पतालों के विरूद्ध एफआईआर की। बेड, आॅक्सीजन (Oxygen) व दवाओं की कालाबाजारी को न रोक पाना भी प्रशासनिक असफलता ही है।

जहां रेमीडेसिवर इंजेक्शन नकली बनाये जा रहे हैं व ब्लैक किये जा रहे हैं वहीं बेड लाखों में ‘बेचे जा रहे हैं। आगरा में 30 अप्रैल व 4 मई के बीच 747 ऑक्सीजन सिलिंडर कागजों में ऐसे 5 अस्पतालों को ‘सप्लाई कर दिए गये जो महीनों से बंद पड़े हैं या नॉन-कोविड हैं और जिन्होंने ऑक्सीजन की मांग भी नहीं की थी। जाहिर है यह धांधली कालाबाजारी के लिए की गई।  बहरहाल, संक्रमण उस समय कम होता है, जब उन लोगों की संख्या बहुत कम हो जाये जो संक्रमित हो सकते हैं। इसके लिए दो काम जरूरी हैं, एक, युद्घस्तर पर सभी का टीकाकरण कराया जाये और दूसरा यह कि संक्रमित व्यक्ति के उपचार के लिए उचित व्यवस्था हो। दूसरी लहर को काबू में करने व तीसरी से बचने के लिए इस सिलसिले में केरल व महाराष्ट का अनुसरण किया जा सकता है। केरल को वैक्सीन की जितनी खुराक दी गईं थीं उतना ही नहीं बल्कि उससे ज्यादा टीकाकरण किया गया, क्योंकि वैक्सीन की एक शीशी में जो कि 10 लोगों के लिए होती है, एक खुराक अतिरिक्त डाली जाती है, इस तरह केरल की नर्सों ने जिम्मेदार प्रशासन के दिशा निर्देश पर इस अतिरिक्त खुराक का भी समाज हित में उपयोग किया है। इसकी तारीफ स्वयं प्रधानमंत्री ने की है। महाराष्ट में लगभग हर अस्पताल में आॅक्सीजन (Oxygen) का बफर स्टाक है और हवा से अक्सीजन (Oxygen) बनाने की व्यवस्था भी। ऐसी ही तैयारियों से कोरोना वायरस महामारी की लहरों को काबू में किया जा सकता है।

Related Post

E-buses will be started operating soon: AK Sharma

आम नागरिकों को आधुनिक, आरामदायक और प्रदूषण रहित यात्रा सुविधा का मिलेगा लाभ: एके शर्मा

Posted by - September 2, 2025 0
लखनऊ। प्रदेश सरकार जनहित को केंद्र में रखकर पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा और आधुनिक नगरीय परिवहन व्यवस्था की दिशा में…
जमीनी विवाद में किसान और उसका परिवार हुआ घायल

जमीनी विवाद में किसान और उसका परिवार हुआ घायल

Posted by - March 6, 2021 0
सरोजनीनगर में शुक्रवार को पुस्तैनी जमीन पर कब्जा करने का विरोध करने पर चाकू, फावड़ा, लोहे की रॉड, असलहे और  धारदार हथियारों से लैस दबंगों ने अपने करीब 5 दर्जन साथियों के साथ मिलकर एक किसान व उसके परिवार पर जमकर हमला कर दिया। दबंगों के इस हमले से किसान परिवार के करीब आधा दर्जन लोग बुरी तरह घायल हो गए। इसमें किसी का सिर फटा तो किसी के हाथ व पैरों में गंभीर चोटें आई हैं। बाद में पुलिस को घटना की सूचना देने के साथ ही लहूलुहान हालत में सभी घायलों को आनन-फानन सरोजनीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा कर उनका इलाज कराया गया। फिलहाल पुलिस ने पीड़ित की ओर से आरोपी दबंगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। सरोजनीनगर के चिल्लावां निवासी वीरेंद्र यादव के मुताबिक शुक्रवार को उसकी दादी की तेरहवीं होने के कारण घर के सभी लोग कार्यक्रम में व्यस्त थे। काकोरी निवासी मिहिर श्रीवास्तव ने यूपी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीता आरोप है कि इसी बीच कार्यक्रम का फायदा उठा कर यहीं के तहस्बुल खान, उसका बेटा तौफीक, तसब्बुल, आमिर और सुहैल अपने करीब 50 – 60 अन्य अज्ञात लोगों के साथ उसकी तपोवन नगर स्थित पुश्तैनी जमीन पर पहुंच गए और कब्जा करने लगे। दबंगों द्वारा किए जा रहे कब्जे की जानकारी पाकर जब पीड़ित और उसके घर के लोग वहां पहुंचकर विरोध करने लगे तो चाकू, फावड़ा, लोहे की रॉड और असलहे से लैस दबंगों ने एकजुट होकर उनके ऊपर हमला कर दिया। इतना ही नहीं आरोप है कि दबंगों ने सभी को दौड़ा दौड़ा कर मारा। इस घटना में पीड़ित वीरेन्द्र के साथ ही उसके पिता राजेश कुमार यादव, अवध लाल, सुरेंद्र, रवीन्द्र और हृदय नारायण बुरी तरह घायल हो गए। इसमें से किसी का सर फट गया तो किसी के हाथ व पैरों में गंभीर चोटें आई हैं। बाद में घटना की सूचना पुलिस को दी गई। सूचना के बाद जब तक पुलिस मौके पर पहुंचती, तब तक आरोपी दबंग वहां से फरार हो गए। फिलहाल पुलिस ने वीरेंद्र की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच पड़ताल कर रही है। उधर इस घटना में घायल सभी पीड़ितों का सरोजनीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराया गया है।