कहीं आपका भी पर्सनल डेटा,बैंकिंग और सोशल मीडिया अकाउंट की डिटेल्स डार्क वेब पर बिक तो नहीं रहीं

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नई दिल्ली। आपका डाटा अगर ऑनलाइन शेयर किया जा रहा हो तो आपके लिए ये बुरी खबर साबित होगी ऐसा ही कुछ साइबर सिक्योरिटी रिसर्च फर्म Kaspersky Lab ने अपनी रिसर्च में दावा किया है कि डार्क वेब पर लोगों की डिजिटल लाइफ का डेटा 3,500 रुपए से भी कम में बेचा जा सकता है। रिसर्च में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि, डार्क वेब पर लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स, बैंकिंग डिटेल्स, क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी आदि डार्क वेब पर बिक्री के लिए मौजूद हो सकता है।

इतना ही नहीं इंटरनेट पर आप क्या करते हैं, सबकुछ बेचा जा सकता है Kaspersky Lab की रिसर्च के मुताबिक, डार्क वेब पर लोगों की डिजिटल लाइफ की सारी जानकारी को बेचा जा सकता है। इसमें लोगों के सोशल मीडिया से चुराए गए डेटा, बैंकिंग डिटेल्स, ऊबर, नेटफ्लिक्सल और स्पोटिफाय से लिए गए डेटा को बेचा जा सकता है। इस रिसर्च में ये भी कहा गया है कि जो लोग डेटिंग ऐप्स या पोर्न वेबसाइट पर क्रेडिट कार्ड की जानकारी देते हैं, उसे भी साइबर क्रिमिनल्स चुराकर डार्क वेब पर बेच सकते हैं।

साथ ही रिसर्चर ने अपनी रिसर्च में पाया कि एक हैक किए गए अकाउंट की कीमत डार्क वेब पर 1 डॉलर (72 रुपए) से भी कम है। इसके अलावा अगर कोई एक से ज्यादा अकाउंट की डिटेल्स को खरीदना चाहता है तो उसे डिस्काउंट भी दिया जाता है।रिसर्च में सामने आया कि कुछ हैकर्स अपने खरीदार को अकाउंट की डिटेल्स लाइफटाइम वारंटी के साथ भी बेचते हैं। मतलब, अगर कोई अकाउंट काम करना बंद कर देता है, तो उसकी जगह दूसरे अकाउंट की डिटेल फ्री में दी जाती है।

साथ ही Kaspersky Lab के सीनियर सिक्योरिटी रिसर्चर डेविड जैकोबी ने बताया, “डेटा हैकिंग आज हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा है और ये न सिर्फ व्यक्तिगत स्तर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी लागू होता है। क्योंकि इससे असामाजिक तत्वों को फायदा हो रहा है।”उन्होंने बताया कि, “ज्यादातर लोग अपने सभी अकाउंट्स का पासवर्ड एक ही रखते हैं, जिस वजह से एक बार में ही हैकर्स को सभी अकाउंट तक की पहुंच मिल जाती है और वहां से डेटा ले लिया जाता है।” उन्होंने सलाह दी कि सोशल मीडिया अकाउंट या ईमेल अकाउंट का पासवर्ड अलग-अलग होना चाहिए।

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि ‘इंटरनेट का 96% डार्क वेब है और हम जो इंटरनेट देखते हैं वो सिर्फ 4% है। डार्क वेब पर हैकर्स यूजर्स का डेटा हैक करने में लगे रहते हैं और इन्हें फिर बेचा जाता है।’उन्होंने बताया कि ‘डार्क वेब पर इंटरनेट के आम ब्राउजर पर नहीं खुलते और इन्हें सिर्फ TOR ब्राउजर पर ही खोला जा सकता है और इन्हें ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है।’डार्क वेब का इस्तेमाल ज्यादातर आपराधिक गतिविधियों के लिए ही किया जाता है। यहां पर हैकिंग सर्विस की तरह होती है, मतलब पैसे देकर किसी की भी हैकिंग करवाई जा सकती है।’

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