या तो किसान रहेंगे या सरकार’, टिकैत बोले- केंद्र ने कॉरपोरेट्स को किसानों की लूट का रास्ता दिया

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कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में कमी के साथ ही नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन एक बार फिर से रफ्तार पकड़ने लगा है। आंदोलन को 200 से अधिक दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार और किसान के बीच बात नहीं बनी है, दोनों अपनी बात पर अड़े हैं।

किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- या तो किसान और जनता रहेगी या ये सरकार। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- अन्नदाता की आवाज झूठे मुकदमों से दबने वाली नहीं, सरहद पर टैंक- खेत में ट्रैक्टर-ट्विटर देश को लुटेरों से बचाने के लिए जरूरी। उन्होंने आज ट्वीट कर लिखा- तीनों कृषि कानून के माध्यम से सरकार ने कॉरपोरेट्स को किसानों की लूट करने के लिए रास्ता दिया है।

सोमवार को उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट्स में कहा, “या तो ये किसान और जनता रहेगी या ये सरकार रहेगी। अन्नदाता की आवाज झूठे मुकदमों से दबने वाली नहीं है।” उनके मुताबिक, “देश को लुटेरों से बचाने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं। 1- सरहद पर टैंक, 2- खेत में ट्रैक्टर और 3- युवाओं के हाथ में ट्विटर।” वहीं, मंगलवार को उन्होंने लिखा- तीनों कृषि कानून के माध्यम से सरकार ने कॉरपोरेट्स को किसानों की लूट करने के लिए रास्ता दिया है, अगर यह कृषि कानून होते तो अब तक वापस ले लिए जाते लेकिन यह व्यापारी के कानून है इसलिए सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है।

टिकैत ने इससे पहले कहा था, “किसानों पर हरियाणा सरकार झूठे मुकदमे दर्ज कर उत्पीड़न कर रही है। इससे आप आंदोलन को न हटा सकते हो न दबा सकते हो।” वहीं, केंद्र के अडिग रुख पर ट्वीट किया था, सरकार मानने वाली नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा। सरकार ये गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा। किसान तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी। हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों। एमएसपी पर कानून बने।

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AK Sharma

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