Nagaland

नगालैंड से सारी दुनिया सीखे

231 0

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

नगालैंड (Nagaland), त्रिपुरा और मेघालय में भाजपा का डंका बज गया, यह देश ने जमकर देखा लेकिन वहां जो असली विलक्षण घटना हुई है, उसकी तरफ लोगों का ध्यान बहुत कम गया है। वह विलक्षण घटना यह है कि जिन पार्टियों ने चुनाव में एक-दूसरे का डटकर विरोध किया, उन्होंने भी मिलजुल कर अब नई सरकार बनाई है। इतना ही नहीं, वे छोटी-मोटी पार्टियां, जो राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा आदि का विरोध करती रही हैं, उन्होंने भी नगालैंड (Nagaland) में ऐसी सरकार बनाई है, जैसी दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में भी नहीं है।

नगालैंड (Nagaland) की ताजा सरकार ‘नेशनलिस्टिक डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी’ के नेतृत्व में बनी है। उसके नेता नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री हैं। उनकी 60 सदस्योंवाली विधानसभा में एक भी सदस्य ऐसा नहीं है, जो कहे कि मैं विपक्ष में हूं या मैं विरोधी दल हूं। तो क्या हम यह मान लें कि रियो ने साठों की साठ सीटें जीत लीं? नहीं, ऐसा नहीं हुआ है। उनकी पार्टी और भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं लेकिन उनकी संख्या कुल 37 हैं। 60 में से 37 याने आधी से सिर्फ 7 ज्यादा! फिर भी क्या बात है कि नगालैंड में कोई विरोधी दल नहीं है? जिन आठ दलों ने विरोधी बनकर चुनाव लड़ा था, उनमें 4 पार्टियां नगालैंड (Nagaland) के बाहर की थीं। सभी आठों पार्टियों के जीते हुए विधायकों ने कहा है कि हम सत्तारुढ़ गठबंधन के साथ है। अभी तक यह निश्चित नहीं है कि इन विरोधी पार्टियों के विधायकों में से कुछ को मंत्री बनाया जाएगा या नहीं।

शरद पवार की नेशनल कांग्रेस पार्टी को 7 सीटें मिली हैं। वह तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। उसे दुविधा है, भाजपा से हाथ मिलाने में! इसीलिए वह सरकार को बाहर से ही समर्थन देगी। जो भी हो, नगालैंड (Nagaland) में जो सरकार बनेगी और चलेगी, मेरी राय में वह दुनिया के सभी लोकतंत्रों के लिए आदर्श है। दुनिया की संसदों में पक्ष और विपक्ष की पार्टियां जो फिजूल का दंगल करती हैं और अपना तथा देश का समय नष्ट करती रहती हैं, उससे भारत, एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप के लोकतांत्रिक देशों को छुटकारा मिलेगा। जो भी सरकार सर्वसम्मति से बने, उसमें दलीय संख्या के अनुपात में मंत्री बना दिए जा सकते हैं। मंत्रिमंडल के सभी फैसले बहुमत के आधार पर होंगे।

नगालैंड (Nagaland) से भारत और दुनिया के सभी राजनीतिक दल प्रेरणा लेकर अपने-अपने देश में वैसी ही सरकारें बना सकते हैं, जैसी आजादी के बाद 1947 में भारत में जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्व में बनी थी। उस नेहरु सरकार में घनघोर गांधीविरोधी भीमराव आंबेडकर और जनसंघ के जनक श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी मंत्री थे।

नागालैण्ड से हमने क्या सीखा ?

उसके 14 मंत्रियों में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी, दक्षिण भारतीय, दलित, महिला आदि सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व था। वह सचमुच की राष्ट्रीय सरकार थी। आजकल की पार्टी-आधारित सरकारों में भी इन वर्गों का प्रतिनिधित्व रहता है लेकिन उन सब पर सेंत-मेंत प्रहार करने के लिए हम एक विपक्ष भी फिजूल में खड़ा कर लेते हैं।

Related Post

BIHAR BUDGET SESSION

 बिहार विधानमंडल के बजट सत्र: आज एक बार फिर विधानमंडल में बवाल का जुड़ेगा नया अध्याय!

Posted by - March 24, 2021 0
पटना: बिहार विधानमंडल के बजट सत्र (Bihar Assembly Budget Session) की शुरुआत हुई और जिस प्रकार से सदन की कार्यवाही…
AK Sharma joined the Waqf Reform Public Awareness Campaign

भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी संपत्ति को संरक्षित करने का प्राप्त है अधिकार: एके शर्मा

Posted by - May 5, 2025 0
लखनऊ/मऊ: उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा (AK Sharma) सोमवार को मऊ के मंगलम बहुउद्देशीय भवन,…
Sukma Naxalites Encounter

अबूझमाड़ के जंगल में सुरक्षाबलों ने 4 नक्सलियों को किया ढेर, एक जवान शहीद

Posted by - January 5, 2025 0
बस्तर। छतीसगढ़ के दक्षिणी अबूझमाड़ के जंगल में पुलिस और नक्सलियों (Naxalites) के बीच मुठभेड़ चल रही है। पुलिस के…