सीबीआई ने अपर सचिव सचिवालय भर्ती परीक्षा 2010 में अनियमितता के मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ सहित कई अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। भर्ती घोटाले से चयनित 222 अपर निजी सचिव उत्तर प्रदेश सचिवालय में कार्यरत, 28 चयनितों की ज्वाइनिंग सीबीआई ने जांच पूरी होने तक स्थगित कर रखी है।
सीबीआई जांच में यह तथ्य सामने आए हैं कि आयोग ने हिन्दी शार्टहैंड की परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ पहुंचाते हुए चयनित किया है। फर्जी कम्प्यूटर प्रमाण धारित करने वाले अभ्यर्थियों को चयनित कर लिया गया। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि बीतने के बाद भी अभ्यर्थियों से कम्प्यूटर प्रमाण पत्र स्वीकार किए गए। इसके कारण योग्य अभ्यर्थी चयन से बाहर हुए और अयोग्य अभ्यर्थी चयनित होने में सफल रहे।
इस भर्ती के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सचिवालय में 250 अपर निजी सचिवों की भर्ती का विज्ञापन 2010 में जारी हुआ था। सामान्य अध्ययन और सामान्य हिन्दी की परीक्षाएं 2013, हिन्दी शार्टहैंड और हिन्दी टाइप की परीक्षा 2014 तथा कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा 2016 में हुई थी और अंतिम परीक्षा परिणाम 2017 में जारी हुआ था।
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बता दें कि इस मामले में कई अनियमितताएं मिलने के बाद पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपी गयी थी। सीबीआई ने इस प्रकरण की जांच में कई खामियां पायीं और सारे सबूत एकत्र करने के बाद एफआईआर दर्ज की। माना जा रहा है कि इस मामले में फंसे कई अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी और उसके बाद गिरफ्तारी की जाएंगी।