देहरादून। रविवार से शुरू हो रहा फूलदेई (Phool Dei Festival) का त्योहार उत्तराखंडी समाज के लिए विशेष पारंपरिक महत्व रखता है। चैत की संक्रांति यानि फूल संक्रांति से शुरू होकर इस पूरे महीने घरों की देहरी पर फूल डाले जाते हैं। इसी को गढ़वाल में फूल संग्राद और कुमाऊं में फूलदेई पर्व (Phool Dei Festival) कहा जाता है। जबकि, फूल डालने वाले बच्चों को फुलारी कहते हैं। इस खास मौके पर फूलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार… जैसे लोक गीत सुनने को मिलते हैं।
Uttarakhand CM Tirath Singh Rawat celebrated Phool Dei festival with children at his residence in Bhagirathipuram, Dehradun. The festival, celebrated in the state, marks the beginning of spring season. pic.twitter.com/H3Jji9fltw
— ANI (@ANI) March 14, 2021
वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री आवास में अव्यवस्थाओं के कारण बच्चों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। करीब आधा घंटा बच्चों को मुख्यमंत्री के दरवाजे के बाहर खड़ा रखा गया। बाद में जैसे ही मुख्यमंत्री बाहर निकले लोग उनके पास जाने के लिए आगे बढ़ गए। इससे मौजूद बच्चे भीड़ के बीच परेशान हो गए। भीड़ को संभालने में मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मी पूरी तरह नाकाम दिखे।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने भी दी फूलदेई की बधाई
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फूलदेई पर्व (Phool Dei Festival) पर प्रदेश की जनता को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि देवभूमि में मनाया जाने वाला लोकपर्व फूलदेई उत्तराखंड की संस्कृति का द्योतक है। यह पर्व पहाड़ की महान संस्कृति व परंपराओं को भी कायम रखे हुए है। प्रकृति से जुड़ा फूलदेई का पर्व हम सभी को प्रकृति के प्रति हमारे दायित्वों व कर्तव्यों की भी याद दिलाता है।