स्वैच्छिक रक्तदान

जीवन बचाने के लिए किसी मेडिकल नहीं बल्कि मानवता की डिग्री जरूरी

559 0

लखनऊ। महिला पतंजलि योग समिति द्वारा केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग व आशियाना गुरुद्वारा समिति के सहयोग से सेक्टर एम स्थित आशियाना गुरुद्वारा में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में समिति की योग शिक्षक शिक्षिकाओं और साधक साधिकाओं सहित अन्य लोगों ने भी रक्तदान कर यह साबित कर दिया कि जीवन बचाने के लिए किसी मेडिकल डिग्री की नहीं बल्कि मानवता के डिग्री की आवश्यकता है।

भारत जैसे देश में रक्त प्राप्त करने के लिए खर्च करने पड़ते हैं पैसे 

इस अवसर पर समिति की राज्य प्रभारी वंदना बरनवाल ने कहा कि रक्तदान को लेकर लोगों के मन में अनावश्यक वहम और साथ ही उदासीनता का ही यह परिणाम है कि हम रक्तदान तभी करते हैं। जब परिवार में किसी को इसकी अचानक आवश्यकता पड़ जाये। सम्भवतः इसी कारण से भारत जैसे देश जहां दान की महिमा का सदैव मंडन किया जाता है। वहां रक्त प्राप्त करने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

जानें कौन हैं भागीरथी अम्मा? जिनके पीएम नरेंद्र मोदी हुए मुरीद 

नियमित रक्तदान करने से जहां एक तरफ रक्त की नयी कोशिकाएं बनने से कैंसर का खतरा होता है कम 

स्वैच्छिक रक्तदान करने से न सिर्फ हमारा स्वयं का फायदा होता अपितु हमारा यह छोटा सा प्रयास किसी को जिंदगी जीने का एक और मौका भी प्रदान करता है। नियमित रक्तदान करने से जहां एक तरफ रक्त की नयी कोशिकाएं बनने से कैंसर का खतरा कम होता है। वहीं दिल के दौरे की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं, क्योंकि खून का थक्का जमने नहीं पाता।

रक्तदान करते रहने से कोलेस्ट्राल और अवसाद दोनों होते हैं दूर 

यही नहीं अनुसंधानों में यह भी पाया गया है कि रक्तदान करते रहने से शरीर से लगभग 650 कैलोरी कम हो जाती है। इसके साथ ही कोलेस्ट्राल और अवसाद दोनों दूर होते हैं। रक्तदाता को स्वतः ही भावनात्मक मजबूती का अहसास भी होता है। इसलिए ये बात और है कि आंधियां हमारे वश में भले न हों, परन्तु चिराग जलाने से किसने रोका है?

Related Post