नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में शिमला के रहने वाले रवि कुमार ने बुधवार को राष्ट्रपति कोविंद को दिल्ली की तिहाड़ जेल में अस्थायी जल्लाद के रूप में नियुक्त करने के लिए पत्र लिखा है, क्योंकि वहां कोई जल्लाद नहीं है। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया है किमुझे जल्लाद नियुक्त करें। ताकि निर्भया कांड के दोषियों को जल्द ही फांसी दी जा सके। ताकि निर्भया की आत्मा को शांति मिल सके।
Himachal Pradesh: Ravi Kumar, from Shimla has written to President Kovind to appoint him as temporary executioner in Delhi’s Tihar Jail as there is no executioner there.He states, “Appoint me executioner so ‘Nirbhaya’ case convicts can be hanged soon & her soul rests in peace". pic.twitter.com/fqZLarNZIQ
— ANI (@ANI) December 4, 2019
कुमार ने कहा है कि वह 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी देने के लिए यह पद चाहता है। इस तरह की खबरें सामने आई थीं कि तिहाड़ जेल में जल्लाद न होने चलते इन दोषियों की फांसी में देरी हो रही है, इसी पर रवि कुमार ने ये चिट्ठी लिखी है।
बता दें कि रवि कुमार शिमला में सब्जी बेचने का कार्य करते हैं। इसके साथ ही वो आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं। राष्ट्रपति को लिखी चिट्टी में उन्होंने कहा है कि उन्हें टीवी पर इस तरह की खबरें देखने को मिली हैं, जिनमें बताया गया है कि तिहाड़ जेल फांसी देने के लिए जल्लाद नहीं है। इसी वजह से निर्भया रेप के मामले में दोषियों को फांसी नहीं हो पा रही है। ऐसे में मैं इस पद पर अपनी नियुक्ति का आवेदन आपसे करता हूं।
निर्भया की आत्मा को शांति के लिए यह करने को तैयार
चिट्ठी में रवि कुमार ने लिखा है, निर्भया केस को पूरे सात साल गुजर गए हैं। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने इनको फांसी की सजा सुनाई है। एक तरफ पूरा देश निर्भया के दोषियों को फांसी चाहता है, तो तिहाड़ जेल प्रशासन के पास जल्लाद ही नहीं है। ऐसे में उन्हें तिहाड़ जेल में जल्लाद की नियुक्ति दी जाए, ताकि इंसाफ के लिए तरस रही निर्भया की आत्मा को शांति मिल सके।
रवि कुमार 2012 के विधानसभा चुनावों में रवि कुमार शिमला ग्रामीण सीट से वीरभद्र सिंह के खिलाफ लड़ा है चुनाव
शिमला के रहने वाले रवि कुमार 2012 के विधानसभा चुनावों में रवि कुमार शिमला ग्रामीण सीट से वीरभद्र सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव में शिमला सीट से उन्होंने चुनाव लड़ा था, लेकिन वह दोनों ही बार अपनी जमानत नहीं बचा सके।