नई दिल्ली। जिंदगी में इतने उतार-चढ़ाव होते हैं जिसकी वजह से हम कभी कभी हार मान लेते हैं। ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गांव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में जन्मीं कल्पना सरोज के साथ हुआ। बचपन से ही गरीबी और अभाव का सामना करना पड़ा। छोटी-छोटी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती थीं। दलित समाज से होने के कारण उन्हें और उनके परिवार को समाज की उपेक्षा भी झेलनी पड़ी।
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आपको बता दें एक समय ऐसा था जब बचपन से ही तकलीफें झेल रहीं कल्पना की हिम्मत एक समय जवाब दे गई और उन्होंने खुदकुशी का फैसला कर लिया। उन्होंने जान देने के लिए जहर पी लिया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपनी मेहनत और लगन के दम पर कल्पना आज 700 करोड़ की कंपनी की मालकिन हैं । कल्पना करोड़ों का टर्नओवर देने वाली कंपनी ‘कमानी ट्यूब्स’ की चेयरपर्सन और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हैं।
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जानकारी के मुताबिक कल्पना सरोज का जन्म साल 1961 में महाराष्ट्र के अकोला के छोटे से गांव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में हुआ था। घर के हालात खराब थे और इसी के चलते कल्पना गोबर के उपले बनाकर बेचा करती थीं। कल्पना पास के ही सरकारी स्कूल में पढ़ने जाती थीं, वे पढ़ाई में होशियार थीं पर दलित होने के कारण यहां भी उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की उपेक्षा झेलनी पड़ती थी।