G-Vilas pasand

जी-विलास पसंद नाम की अमरूद की प्र​जाति का पीपीवी और एफआरए के तहत पंजीकरण

1481 0

लखनऊ। मलिहाबाद के किसान रामविलास मौर्या ने जी-विलास पसंद (G-Vilas pasand) नाम की अमरूद की एक किस्म विकसित की है। उनके 15 वर्ष के अथक परिश्रम से इसे लोकप्रिय बनाने में भी सफलता मिली। लोकप्रियता बढ़ने से इस किस्म की मांग भी बढ़ गई और उन्होंने लाखों पौधे बनाकर विभिन्न राज्यों में बेचे ।

रामविलास को इस बात का दुख है की किस्म की लोकप्रियता बढ़ने के बाद अनधिकृत रूप से पौधे बनाने वालों की संख्या बढ़ गई और जो लाभ उन्हें मिलना था। उसको अन्य नर्सरी ओं ने पौधे बना कर लेना प्रारंभ कर दिया । इस प्रकार से हो रहे आर्थिक नुकसान के कारण रामविलास ने अपनी किस्म के पौधे बनाने के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए कई संस्थान एवं एजेंसियों से संपर्क किया। अंत में निराश होकर उन्होंने केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान मैं इस विषय पर चर्चा की कैसे उनकी अमरूद की किस्म को सुरक्षित किया जा सकता है।

अधिकतर लोगों ने उन्हें इस किस्म को पेटेंट कराने की सलाह दी। परंतु संस्थान में विचार विमर्श करने के बाद उन्हें ज्ञात हुआ कि भारत में पौधों की किस्मों के पेटेंट का कानून नहीं है। संस्थान के डॉ. राजन ने उन्हें सलाह दी कि उनकी किस्म को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवी और एफआरए) के द्वारा पंजीकृत किया जा सकता है । इस पंजीकरण से उन्हें इस किस्म के कानूनी अधिकार मिल सकेंगे।

एकेटीयू का 18 वां दीक्षांत समारोह, 16 जनवरी को

नई किस्म के विकास काफी समय और प्रयास की आवश्यकता पड़ती है और अधिकतर किस्म विकसति करने वाले प्रजनक उससे मिलने वाले लाभ से वंचित रह जाते हैं। किसानों ने में भी अमरूद की नई किस्म निकालने में काफी योगदान दिया है। अतः उन्हें भी पौध प्रजनक के भांति अधिकार मिलने चाहिए। यह अधिकार पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवी एण्ड एफआरए) नामक भारत सरकार की संस्था द्वारा प्रदत्त किये जाते हैं। इन अधिकारों को देने का उद्देश्य नई-नई किस्मों के विकास के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है। भारत वर्ष ही एक ऐसा देश है जहाँ किसानों को पादप प्रजनक के अधिकार प्राप्त हैं।

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ को प्राधिकरण द्वारा अमरूद की किस्मों के पंजीकरण के लिए डस परीक्षण करने के लिए अधिकृत किया है। डा. शैलेन्द्र राजन (डस परीक्षण के नोडल अधिकारी) ने बताया कि अमरूद की कई किस्में पंजीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहीं हैं। विलास पंसद किस्म को पहली अमरूद की किसान किस्म के रूप में पंजीकृत होने का अवसर मिला। इस प्रकार से पौधों के किस्म के पंजीकरण से किस्मों को सुरक्षित करने का अवसर प्राप्त होगा क्योंकि देश में इनके पेटेंट का अधिकार नहीं दिया जाता है।

राम विलास एक सौभाग्यशाली किसान हैं जिन्हें अमरूद की यह विशेष किस्म बीजू पौधों के रूप में प्राप्त हो सकी। इन्होंने संस्थान द्वारा विकसित वेज ग्राफिटंग तकनीकी को अपानाकर लाखों की संख्या में पौधे बनाये। इन पौधों को उन्होंने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान के किसानों को प्रदान किया। किस्म के उत्साहजनक मांग के कारण कई नर्सरियों ने अनाधिकृत रूप से पौधे बनाने प्रारम्भ कर दिये। अपनी किस्म के पौधे के अनाधिकृत प्रसारण को रोकने के लिए राम विलास को काफी पीड़ा थी। संस्थान के सहयोग से प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त किस्म पर अधिकार का उपयोग करके श्री मौर्या अनाधिकृत रूप से विलास पसंद के बन रहे पौधों पर रोक के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। डा. शैलेन्द्र राजन, निदेशक, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ उनके द्वारा दिये गये आवेदन को कानूनीजामा पहनाने में तकनीकी सहयोग व मार्ग दर्शन किया।

Related Post

SS Sandhu

कैंपा के अन्तर्गत शोध कार्यों पर विशेष ध्यान दें: मुख्य सचिव

Posted by - May 8, 2023 0
देहरादून। मुख्य सचिव (SS Sandhu)  ने अधिकारियों को उत्तराखंड कैंपा के अन्तर्गत शोध कार्यों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश…
CM Dhami

CM ने श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों को कम्बल वितरित किए

Posted by - January 31, 2024 0
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने बुधवार को सहस्त्रधारा रोड स्थित आईटी पार्क के समीप उत्तराखण्ड भवन एवं अन्य…
Nitin Gadkari

नितिन गडकरी ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ‘इनोवेशन बैंक’ का रखा प्रस्ताव

Posted by - June 18, 2022 0
नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन (Central road transport) और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बुनियादी ढांचे के विकास…

राष्ट्रीय युवा महोत्सव-2020 : अब फिट इंडिया दिवस के रूप में मनेगा खेल दिवस- किरेन रिजिजू

Posted by - January 12, 2020 0
लखनऊ। केंद्रीय खेल व युवा कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरेन रिजिजू ने रविवार को कहा कि अब से हर…