भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। राकेश टिकैट ने कहा- कृषि कानून के विरोध में 7 महीनों से देश की राजधानी को घेर रखा है।
उन्होंने कहा- कहां बैठें हम, हमारा कोई घर है वहां? सरकार को इस पर शर्म नहीं आती? उन्होंने कहा- सरकार ये अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा, तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी जाएंगी।
रकिश टिकैत ने कहा- हमारी मांग है कि ये कानून रद्द हों और एमएसपी पर गारंटी दी जाए। लगभग 60 किसानों की जान आंदोलन में जा चुकी है, लेकिन सरकार है कि बस अपनी ही मनवाने की जिद पर अड़ी है।
आखिर ऐसे लोकतंत्र का क्या मतलब, जहां किसानों की मूलभूत मांगों के लिए उनकी जाने जा रहीं, लोगो के ऊपर UAPA जैसी कड़ी धाराओं में केस किए जा रहे हैं।
और तो और उन्हें देशद्रोही, खालिस्तानी, आंदोलनजीवी इत्यादि शब्दो से बुलाया जा रहा है। उन पर जरूरत से ज्यादा पुलिस बल का प्रयोग किया जा रहा है। सरकार के ऐसे हितलाशाही रवैए से देश की, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का जो तमगा हमने हासिल किया, वो धूमिल हो रही है।
आखिर किसानों को क्यों उनके ही देश में ऐसे बदनाम किया जा रहा, कोरोना महामारी में जब अर्थव्यवस्था के सारे क्षेत्र नकारात्मक दर से वृद्धि कर रहे थे तो सिर्फ कृषि क्षेत्र ही धनात्मक दर से वृद्धि कर रहा था। जिसने महामारी के बावजूद हमारे पेट तक अन्ना का दाना इन्ही अन्नदताओं ने पहुंचाया।