Chipko Andolan

बागेश्वर में पेड़ों को बचाने के लिए ‘चिपको आंदोलन’

610 0
बागेश्वर। बागेश्वर के जाखनी की महिलाओं ने चिपको की तर्ज पर पेड़ों को बचाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है।रंगथरा-मजगांव-चौनाला मोटर मार्ग निर्माण में आ रहे पेड़ों को बचाने के लिए सेरी के बाद अब जाखनी की महिलाएं  आगे आई हैं। महिलाओं ने चिपको (Chipko) की तर्ज पर आंदोलन शुरू कर दिया है। यहां की महिलाएं बांज और बुरांश के पेड़ों से लिपट गई हैं। महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि देवी को चढ़ाए गए जंगल की बलि सड़क निर्माण में नहीं दी जाएगी।
जंगल बचाने को पेड़ों से लिपटीं महिलाएं

सरपंच कमला मेहता के नेतृत्व में महिलाएं जाखनी गांव में एकत्रित हुईं। यहां हुई सभा में गांव के जंगल को बचाने का संकल्प लिया गया। इसके बाद गांव की हर महिला एक-एक पेड़ को पकड़ कर उससे लिपट गईं। उन्होंने अपने बेटे-बेटियों की तरह इनकी सुरक्षा का संकल्प लिया।

उत्तराखंड: मोदी भक्ति में संस्कृति का अवमूल्यन नहीं करें CM तीरथ : हरीश रावत

महिलाओं का कहना है कि चौनाला गांव पहले से ही सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। अब रंगथरा सड़क को दोबारा गांव तक पहुंचाया जा रहा है।  इस सड़क के निर्माण में उनके सालों से पाले पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है। इस विनाशकारी विकास का हर हाल में विरोध होगा। उन्होंने कहा कि चौनाला गांव पहले ही स्यांकोट कमेड़ीदेवी मोटर मार्ग से जुड़ा है।

उत्तराखंड : बीजेपी MLA का CM को पत्र, सहकारी बैंक में हुई नियुक्तियों में धांधली का आरोप

महिलाओं ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने सर्वे गलत किया है।  उनके सर्वे में सड़क निर्माण में कुछ ही पेड़ आ रहे हैं, जबकि उनका हरा-भरा जंगल निर्माण में आ रहा है। पेड़ कटते ही उनके गांव में पानी का भी संकट गहरा जाएगा। मजगांव के लिए सड़क कट चुकी है। अब यहां से आगे निर्माण को सहन नहीं किया जाएगा।जंगल भगवती को चढ़ाया गया है। इस जंगल से वह खुद चारापत्ती आदि नहीं काटते हैं। ऐसे में जंगल में निर्माण कार्य नहीं होने देंगे।

300 पेड़ आ रहे सड़क की जद में

गांव वालों का कहना है कि करीब 300 पेड़ सड़क निर्माण की जद में आ रहे हैं। इन पेड़ों को उन्होंने अपने बच्चों की तरह पाला है. अपने जंगल को उन्होंने देवी को समर्पित किया है। इस जंगल से वो चारा तक नहीं लाते। सड़क निर्माण के लिए वो अपने जंगल की बलि नहीं चढ़ने देंगी। इसके लिए चाहे उन्हें जो करना पड़े वो करेंगी।

जानें क्या था चिपको आंदोलन

चिपको आंदोलन (Chipko) की शुरुआत 1973 में भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा, चंडीप्रसाद भट्ट और गौरा देवी के नेतृत्व में हुई थी। चिपको (Chipko) आंदोलन की शुरुआत उत्तराखंड के चमोली जिले से हुई थी। उस समय उत्तर प्रदेश में पड़ने वाली अलकनंदा घाटी के मंडल गांव में लोगों ने चिपको (Chipko) आंदोलन शुरू किया था। 1973 में वन विभाग के ठेकेदारों ने जंगलों में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी। वनों को इस तरह कटते देख स्थानीय लोगों खासकर महिलाओं ने इसका विरोध किया.. इस तरह चिपको  (Chipko) आंदोलन की शुरुआत हुई। महिलाएं पेड़ों से चिपक गईं। उन्होंने ऐलान कर दिया कि पहले तुम्हारी कुल्हाड़ियां और आरियां हम पर चलेंगी, फिर तुम पेड़ों पर पहुंच पाओगे।

इंदिरा गांधी ने लिया था फैसला

इस (Chipko)  आंदोलन को 1980 में तब बड़ी जीत मिली जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रदेश के हिमालयी वनों में वृक्षों की कटाई पर 15 वर्ष के लिये रोक लगा दी। बाद के वर्षों में ये आंदोलन पूर्व में बिहार, पश्चिम में राजस्थान, उत्तर में हिमाचल, दक्षिण में कर्नाटक और मध्य में विंध्य तक फैला था।

Related Post

CM Dhami

पुष्कर सिंह धामी ने किए बाबा केदार नाथ के पावन दर्शन

Posted by - November 1, 2024 0
रुद्रप्रयाग। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) दीपावली के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम पहुंचे। जहां उन्होंने बाबा केदार के…
Anand Bardhan

कुंभ मेला का सफल संचालन एवं भव्यता के साथ आयोजित किए जाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी: मुख्य सचिव

Posted by - September 12, 2025 0
हरिद्वार : 2027 कुंभ मेले (Kumbh Mela) को सुव्यवस्थित एवं दिव्य व भव्य ढंग से आयोजित करने के उद्देश्य से…
Amarnath Nambudiri

बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी होंगे रावल अमरनाथ नंबूदरी, विधि विधान से किया गर्भगृह में प्रवेश

Posted by - July 14, 2024 0
चमोली। बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) में नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी (Amarnath Nambudiri) अब मुख्य पुजारी होंगे। शनिवार को उनका तिलपात्र…