Sindhutai Sapkal

‘हजारों अनाथों की मां’ सिंधुताई सपकाल बनीं पद्मश्री पुरस्कार विजेता

2104 0

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 2021 के पद्मश्री पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। महाराष्ट्र की पद्मश्री पुरस्कार विजेता सिंधुताई सपकाल (Sindhutai Sapkal)  मीडिया में एक बार फिर सुर्खियां बटोर रही हैं। आमतौर पर इन्हें महाराष्ट में सिंधुताई या माई कहकर भी बुलाया जाता है। सिंधुताई को हजारों अनाथों की मां भी कहा जाता है। अब तक सिंधुताई करीब 2 हजार अनाथों को गोद ले चुकी हैं।

बता दें कि सिंधुताई सपकाल  (Sindhutai Sapkal)  का जन्म वर्धा के एक गरीब परिवार में हुआ था। देश में पैदा होने वाली कई लड़कियों की तरह सिंधुताई ने भी अपने जन्म के बाद से ही भेदभाव का सामना किया। उनकी मां अपनी बेटी की शिक्षा के खिलाफ थीं, लेकिन पिता चाहते थे कि सिंधुताई पढ़ें। ऐसे में वह बेटी को मां की नजरों से बचाकर पढ़ने के लिए भेजते थे। मां को लगता था कि बेटी मवेशी चराने गई है। जब वो 12 साल की थीं, तो उन्हें पढ़ाई छोड़ने और उम्र में 20 साल बड़े लड़के के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया गया।

बाल वधू के तौर पर शादी होने के बाद उन्हें अपने पति के साथ रहने नवरगांव भेजा गया। यहां उन्हें पति कई बार अपमानित करता था। इसके बाद किशोरावस्था में सिंधुताई अपने हक के लिए खड़ी हुईं। उन्होंने वन विभाग और जमींदारों की तरफ से उत्पीड़न का सामना कर रही स्थानीय महिलाओं के हक में लड़ना शुरू किया। हालांकि, जब वाह 20 साल की उम्र में चैथी बार गर्भवती हुईं, तो गांव में उनके चरित्र पर सवाल उठने शुरू हो गए।

सनी लियोनी का लेटेस्ट वीडियो वायरल, फैंस हुए क्रेजी

अफवाहों पर भरोसा कर उनके पति ने बुरी तरह पीटकर और मरने के लिए छोड़ दिया। ऐसे में उन्होंने एक तबेले में बेटी को जन्म दिया। जब उन्होंने घर लौटने की कोशिश की तो मां ने बेइज्जत कर घर से बाहर निकाल दिया। मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने रास्तों और ट्रेन में भीख मांगना शुरू किया। वहीं, अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए शमशान और तबेलों में रातें काटी।

सिंधुताई सपकाल  (Sindhutai Sapkal) को चिकलदारा में पहला आश्रम खोलने में मदद की

इसी दौरान उन्होंने अनाथ बच्चों के साथ समय गुजारा और करीब एक दर्जन को गोद भी ले लिया। तभी 1970 में उनके शुभचिंतकों ने सिंधुताई सपकाल  (Sindhutai Sapkal) को चिकलदारा में पहला आश्रम खोलने में मदद की। उनका पहला एनजीओ सावित्रीबाई फुले गर्ल्स हॉस्टल भी वहीं पर है। उन्होंने अपना जीवन अनाथों के नाम कर दिया। खास बात है कि उनके गोद लिए बच्चे आज वकील और डॉक्टर भी हैं।

Related Post

गाजर का जूस

बढ़ती उम्र के लक्षणों से लड़ने में फायदेमंद और कई गुणों से भरपूर है गाजर का जूस

Posted by - January 23, 2020 0
नई दिल्ली। गाजर का जूस कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर को सही लेवल बनाए रखता है। इसके अलावा अपने कई स्वास्थ्य…

कितनों की मौत ऑक्सीजन न मिलने से हुई यह पता लगाने के लिए सरकार के पास सिस्टम नहीं- स्वास्थ्य विशेषज्ञ

Posted by - July 22, 2021 0
ऑक्सीजन या फिर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से एक भी मौत न होने का दावा सरकार ने किया है, जिसके…

राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार का नाम बदला, अब ‘हॉकी के जादूगर’ ध्यानचंद के नाम से जाना जाएगा

Posted by - August 6, 2021 0
केंद्र सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल दिया है। अब इसे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के नाम…

विपक्षी दलों की ‘चाय पर चर्चा’, कांग्रेस- सरकार नहीं सुन रही, सड़क से संसद तक लड़ाई लड़नी होगी

Posted by - August 3, 2021 0
पेगासस जासूसी, तीनों नए कृषि कानूनों व महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष लंबी लड़ाई पर…