अयोध्या। राम की नगरी अयोध्या एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनने जा रही है। अयोध्या शोध संस्थान के आमंत्रण पर रूस-भारतीय मैत्री संघ के द्वारा दीपोत्सव 2025 के दौरान “दिशा रामलीला मॉस्को” (Disha Ramlila Moscow) अपनी विशेष नाट्य प्रस्तुति का मंचन करेगी। यह प्रस्तुति पद्मश्री गन्नादी मिखाइलोविच पेचनिकोव की स्मृति को समर्पित होगी, जिन्हें स्नेहपूर्वक “रूस का राम” कहा जाता था। आयोजन 18-19 अक्टूबर को अयोध्या में होगा, जहां रूस के साथ विभिन्न देशों के कलाकार प्रभु श्रीराम के आदर्शों को जीवंत करेंगे।
1960 के दशक में रूस के प्रसिद्ध अभिनेता और रंगमंच निर्देशक गन्नादी पेचनिकोव ने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित रामलीला (Ramlila) का मंचन शुरू किया था। भारत के प्रति उनके प्रेम और समर्पण के लिए उन्हें भारत सरकार ने बाल मित्र पदक और पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया था। वे लगभग दो दशकों तक भारतीय संस्कृति के दूत के रूप में जाने गए।
चार दशक बाद योगी सरकार में रूसी-भारतीय मैत्री संघ “दिशा” ने पेचनिकोव की स्मृति में “दिशा रामलीला” (Disha Ramlila) की परंपरा को पुनर्जीवित किया है। इसका पहला मंचन 4-6 नवंबर 2018 को अयोध्या में हुआ, दूसरा कुम्भ मेला 2019 प्रयागराज में और उसके बाद अयोध्या के दीपोत्सव में प्रस्तुत किया गया। इस वर्ष दीपोत्सव 2025 में यह मंचन फिर से रूस की ओर से सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व करेगा।
दीपोत्सव में भारत-रूस की मित्रता एक नई ऊँचाई पर पहुंचाया
रूस-भारतीय मैत्री संघ “दिशा” के अध्यक्ष डॉ. रमेश्वर सिंह ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भारत के रूस में राजदूत माननीय श्री विनय कुमार, रूस के भारत में राजदूत माननीय श्री डेनिस एवगेनियेविच अलीपोव, और जवाहरलाल नेहरू कल्चरल सेंटर (JNCC) मॉस्को की निदेशक श्रीमती मधुर कंकना रॉय के आभारी हैं। इन सभी के सहयोग से रामलीला की परंपरा फिर से जीवंत हुई है और भारत-रूस की मित्रता एक नई ऊँचाई पर पहुँची है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या दीपोत्सव का यह आयोजन केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारत और रूस के बीच आत्मिक जुड़ाव का जीवंत प्रतीक है। “दिशा रामलीला मॉस्को” (Disha Ramlila Moscow) के मंच पर जब रूसी कलाकार भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के रूप में संवाद करेंगे, तब वह अभिनय सीमाओं को पार कर दोनों देशों के साझा मूल्यों आस्था, आदर्श और मानवता को एक सूत्र में बाँध देगा। यह मंच केवल कला का नहीं, बल्कि संस्कृति, श्रद्धा और मित्रता का सेतु बनेगा जो भारत और रूस के संबंधों को नई आध्यात्मिक ऊँचाई देगा।
गन्नादी मिखाइलोविच पेचनिकोव: रूस के राम
8 सितंबर 1926 को मॉस्को में जन्मे गन्नादी मिखाइलोविच पेचनिकोव वह कलाकार थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति को रूस की आत्मा में बसाया। रामायण पढ़ने के बाद उनमें भगवान श्रीराम के आदर्शों को मंच पर जीवंत करने की प्रेरणा जगी और उन्होंने स्वयं रामलीला में श्रीराम की भूमिका निभानी शुरू की। यह भूमिका उनके जीवन का ध्येय बन गई और वे “रूस के राम” कहलाए। 1947 में मॉस्को आर्ट थियेटर से स्नातक होने के बाद उन्होंने अभिनय और निर्देशन को अपना जीवन बना लिया।
यर्शोफ थियेटर के माध्यम से उन्होंने बच्चों और कलाकारों को भारतीय मूल्यों से जोड़ा। उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें “बाल सम्मान” और “पद्मश्री” से सम्मानित किया। 27 अप्रैल 2018 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका राम-स्वरूप आज भी जीवित है। उन्होंने कहा था, “अभिनय ही जीवन है और राम भारतीयता का प्रतीक।” सचमुच, गेनादी पेचनीकोव इस युग में भारत और रूस के सांस्कृतिक सेतु बनकर अमर हो गए।