India-China relations

भारत-चीन संबंधों की पिघलती बर्फ

1000 0

सियाराम पांडेय शांत

 पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सेनाओं को पीछे हटाए जाने को लेकर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है। यह अच्छी बात है। रिश्तों पर जमी बर्फ का पिघलना ही अच्छा रहता है लेकिन चीन की दो कदम आगे और एक कदम पीछे की जो रणनीति रही है, उससे भी भारतीय हुक्मरानों को सतर्क रहना चाहिए। नीति भी यही कहती है कि शत्रु को जीता छोड़ना बुराई है और और फोड़े  को पकने से पहले  फोड़ देना चतुराई है। चीन विश्वसनीय पड़ोसी नहीं है। ऐसे में उससे हुए समझौते पर अचानक अमल कर लेना उचित नहीं है।

भारत को यह देखना चाहिए कि चीन भारतीय क्षेत्र से कितना हटता है और किस तरह हटता है। सैन्य कमांडरों के बीच हुई इस सहमति को तेल और तेल की धार की तरह देखा जाना चाहिए। सैनिकों को पीछे हटाते वक्त भी चीन की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए, उसका मनोविज्ञान पढ़ना चाहिए। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मानें तो पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं को पीछे हटाने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे। इस प्रक्रिया के दौरान भारत ने कुछ भी खोया नहीं है’। यह अच्छा संकेत है। भारत ही हर बार क्यों खोए?

भारत खोता रहेगा तो चीन का अतिक्रमण का हौसला तो बुलंद ही होगा। इसलिए भी जरूरी है कि रिजर्व रहकर पूरे स्वाभिमान के साथ चीन की आंखों में आंख डालकर उससे बातचीत की जाए। यह और बात है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के अन्य क्षेत्रों में तैनाती और निगरानी के बारे में ‘कुछ लंबित मुद्दे’ बचे हैं , जिन पर दोनों देशों के बीच अभी सहमति बननी है। आगाज हुआ है तो अंजाम भी देखने को मिलेगा, इसमें किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए। भारत ने अपनी ओर से युद्ध टालने का भरसक प्रयास किया जबकि देश के भीतर से भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के उकसावे कम नहीं थे। चीनी सैनिकों की झड़प और कुछ भारतीय सैनिकों की उसमें हुई मौत से भारत में आक्रोश भी बहुत था, लेकिन भारत सरकार और सेना दोनों ही ने परम धैर्य का परिचय दिया।

ऑपरेशन टेबल पर लेटे हुए सारा अली खान ने शेयर किया दिलचस्प वीडियो

 

युद्ध को स्थायी विकल्प नहीं माना। चीन की सेना से उसने वार्ता के दरवाजे बंद नहीं किए। यह और बात है कि चीन की सेना अपनी  बात से अक्सर पीछे हटती रही लेकिन इन सबके बावजूद वार्ता का क्रम जारी रहा और अब यह सुनने में आ रहा है कि दोनों देश अपने सैनिक वापस करने पर सहमत हो गए हैं। युद्ध और तनाव किसी के लिए भी न तो सुखद होता है और न ही विकास में सहायक। युद्ध से बर्बादी के सिवा किसी को भी कुछ नहीं मिलता। इस लिहाज से देखें तो यह एक अच्छा और सुकुनदेह प्रयास है। राजनाथ सिंह ने राज्यसभा को आश्वस्त किया है कि उनका ध्यान भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच होने वाली अगली वार्ता पर है। चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता  इस मायने में भी अहम है कि इसे लेकर अपनी रोटी सेंकने में जुटे लोगों का भी मुंह बंद हो जाएगा।

इससे भी अहम बात है कि  पैंगोंग झील से सेनाओं के पूरी तरह पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत और बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकालने पर सहमति बनी हुई है। चीन अपनी  सैन्य को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूरब की  ओर रखेगा जबकि  भारत भी अपनी सेना की टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों  देशों के स्तर पर होनी है। इस बीच अप्रैल 2020 तक पैंगोंग झील  के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर दोनों देशों ने जो भी निर्माण किए हैं, उन्हें भी हटाया जाएगा और वहां पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाएगी। विकथ्य है कि विगत नौ माह से यहां भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ था।

भीषण ठंड के इस मौसम में भी दोनों देशों की सेनाएं वहां डटी हुई थीं।  गतिरोध दूर करने के लिए सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई। वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की बातचीत भी हो चुकी है। राजनयिक स्तर पर भी बैठकें होती रही हैं। पिछले दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन से बातें तो खूब हुईं लेकिन धरातल पर उसका कोई असर दिखता नजर नहीं आ रहा है। इसका असर कहें या अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाइडेन की चीन के राष्ट्रपति शी जिपिंग के प्रति की गई प्रतिक्रिया का, भारत-चीन के बीच सहमति बनी है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर गाफिल भी नहीं रहना चाहिए। भारत और चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा को  मानना और उसका सम्मान करना चाहिए।

 

किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया  जाना चाहिए और सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया  जाना चाहिए। भारतीय सेनाएं विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता का प्रदर्शन कर रही, उसको नकारा नहीं जा सकता।  इस गतिरोध के दौरान शहीद हुए जवानों की शहादत को देश सदैव याद रखेगा। देश की एकता और अखंडता पर आंच न आए, भारतीय सीमा हमेशा सुरक्षित रहे, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। सहमति बनने का यह अर्थ नहीं कि निगरानी तंत्र की अनदेखी हो जाए। चीन के प्रति हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है।

Related Post

E-Buses

जल्द ही 350 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करेगा परिवहन निगम

Posted by - October 13, 2023 0
लखनऊ। उप्र परिवहन निगम द्वारा 100 वातानुकूलित इलेक्ट्रिक बसों (Electric buses) को खरीदने तथा 250 वातानुकूलित इलेक्ट्रिक बसों को जीसीसी…
champat rai

राम मंदिर के लिए अब तक जुटाए 2500 करोड़, मुस्लिम समुदाय बढ़-चढ़कर दिया दान

Posted by - March 7, 2021 0
नई दिल्ली । राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने शनिवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत…
अमित शाह

अमित शाह बोले- एनआरसी से किसी को डरने की जरूरत नहीं, पूरे देश में करेंगे लागू

Posted by - November 20, 2019 0
नई दिल्ली। राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को लेकर भी पूछे गए…
Sugarcane Farmers

योगी सरकार के प्रयासों से बदल रही गन्ना किसानों की जिंदगी, विपक्षी सरकारों में थी खस्ता हालत

Posted by - April 16, 2025 0
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Government) द्वारा गन्ना किसानों (Sugarcane Farmers) के हित में किए गए सतत प्रयासों ने उनकी…
CM Yogi

मैं दावे से कह रहा हूं कि आज सबसे अच्छे ग्रोथ वाला राज्य है उत्तर प्रदेश: सीएम योगी

Posted by - August 13, 2024 0
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने पूरी निष्पक्षता से चयन किया है।…