लखनऊ में कॉल सेंटर खोलकर बेरोजगारों को लूटने वाली 9 युवतियों समेत 11 गिरफ्तार

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टेलीकॉम कम्पनी से लेकर निजी बैंक और सॉफ्टवेयर कम्पनी में नौकरी लगवाने का दावा कर बेरोजगारों से धोखाधड़ी करने वाले मंगलवार को पुलिस के हत्थे चढ़ गए। सोमवार देर रात पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर बनाकर लूटने वालों के यहां छापा मारा। किराए के मकान में चल रहे कॉल सेंटर में सरगना समेत कई युवतियां मिली। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। फर्जी कॉल सेंटर से बड़ी मात्रा में कम्प्यूटर भी बरामद हुए हैं। इसमें दर्ज डाटा की पड़ताल की जा रही है। 9 युवतियों समेत 11 लोगों को पकड़ा गया है। इनसे जुड़े चार लोगों को पुलिस तलाश रही है।

एसीपी क्राइम प्रवीण मलिक के मुताबिक गिरोह का सरगना अलीगढ़ निवासी विशाल और लखीमपुर मितौली निवासी अनुज पाल हैं। अलीगंज में किराए के मकान में आरोपियों ने कॉल सेंटर खोला था। जहां पर युवती को आठ हजार रुपये महीने की नौकरी कर रखा गया था। इन युवतियों को विशाल और अनुज कुछ मोबाइल नम्बर देते थे। जिन पर कॉल कर युवती विभिन्न सेक्टरों में नौकरी दिलाने का प्रलोभन देती थी। एसीपी के मुताबिक गिरोह में शामिल अनुज, विकासनगर निवासी अजय कश्यप के साथ नौ युवतियों को गिरफ्तार किया गया है। फर्जी कॉल सेंटर से 17 मोबाइल फोन, 12 कम्प्यूटर, प्रिंटर, एलईडी टीवी और पैन ड्राइव बरामद हुईं हैं। गिरोह का सरगना अलीगढ़ निवासी विशाल, पटना निवासी अजय, अभिषेक और दो युवतियों फरार है। एसीपी के मुताबिक विशाल के साथ अनुज पाल फर्जी कॉल सेंटर का मुख्य अपराधी है।

धोखाधड़ी करने के लिए विशाल और अनुज पाल जॉब सर्च साइट पर अपलोड किए जाने वाले रिज्युम से डाटा चुराते थे। एसीपी के मुताबिक रिज्युम में नौकरी के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति के बारे में पूरी डिटेल होती है। जिसके बाद अनुज और विशाल चुराए गए डाटा से मोबाइल नम्बर निकाल कर युवतियों को देते थे। जो चिह्नित व्यक्ति के मोबाइल पर कॉल करती रिज्युम चुने जाने का दावा करती थी। इसके बाद फोन उठाने वाले शख्स से रजिस्ट्रेशन के लिए सौ रुपये जमा करने के लिए कहा जाता था।

इसके लिए ठग एक लिंक भेजते थे। इस लिंक पर क्लिक करते ही ठगों के पास चिह्नित व्यक्ति के बैंक अकाउंट, ट्रांजेक्शन आईडी से लेकर सीवीवी तक की डिटेल आ जाती थी। यह जानकारी जुटाने के बाद अनुज पाल ऑनलाइन इंटरव्यू के बहाने फोन करता था। इस दौरान ही अनुज चिह्नित व्यक्ति के बैंक खाते को ऑपरेट करता था। वहीं, बातों में उलझा कर मोबाइल पर आया ओटीपी पूछने के बाद अनुज खातों से रुपये अलग-अलग ई-वॉलट में ट्रांसफर कर लेता था। अनुज ने पुलिस को बताया कि वह लोग अक्सर 10 से 15 हजार रुपये के बीच ही निकालते थे।

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एसीपीप्रवीण मलिक के मुताबिक अनुज और विशाल ठगी के लिए प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे। उन्हें यह सिम एक दुकानदार उपलब्ध कराता था। एसीपी के मुताबिक प्री-एक्टिवेटेड सिम 600 रुपये में ठगों को बेचा जाता था। एक सिम से दस कॉल करने के बाद पुराना सिम हटा कर नया सिम ठग इस्तेमाल करने लगते थे।

 

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