अगर आप भी है दाल खाने के शौकीन तो हो जाइए सावधान!

972 0

भारतियों का खाना बिना दलों के पूरा नहीं होता और अगर आप भी दाल के बिना खाना नहीं खाते तो ये खबर आपके लिए है।मूंग और मसूर की दालों में इ कुछ ऐसे तत्त्व पाए जा रहे हैं जो स्वस्थ्य के किये बेहत खतरनाक है।

दरअसल, अगर आप खाने में मूंग और मसूर की दाल ले रहे हैं तो आप खतरनाक जहरीले रसायन भी शरीर में पहुंचा रहे हैं। चिंताजनक बात ये है कि दालों में जहरीले रसायन की मात्रा इतनी ज्यादा है कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

साथ ही नैशनल फूड सेफ्टी अथॉरिटी द्वारा की गई स्टडी में यह बात साबित हुई है कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आयातित की जाने वाली दालें जहरीले पदार्थों से युक्त हैं। बता दें कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में इस समय दाल का सबसे ज्यादा उत्पादन हो रहा है।’द फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ (FSSAI) ने उपभोक्ताओं को चेतावनी दी है कि नियमित रूप से इन दालों का सेवन ना करें।

बता दें कि लैब में हुए परीक्षण में इन दालों में खतरनाक रसायनों की उच्च मात्रा पाई गई। दालों में ग्लाइफोसेट जैसे जानलेवा रसायन मौजूद पाए गए। इसका इस्तेमाल किसान चूहों और खरपतवार से छुटकारा पाने के लिए करते हैं। इस मुद्दे पर FSSAI के एक अधिकारी ने कहा, दालों में हर्बीसाइड ग्लाइफोसेट का स्तर बहुत ज्यादा होने की आशंका है जो उपभोक्ताओं की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है।अधिकारी ने बताया, FSSAI के रेग्युलेशन में दालों में ग्लाइफोसेट की अधिकतम मात्रा (maximum residue limits) को तय नहीं किया गया है इसलिए हम कनाडा के मानकों का पालन कर रहे हैं।

कनाडायिन फूड इन्सपेक्शन एजेंसी (CFIA) ने कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में पैदा की गईं दालों के हजारों सैंपल लेकर परीक्षण किया था. कनाडा की दालों में प्रति अरब ग्लाइफोसेट के 282 कण और ऑस्ट्रेलिया की दालों में प्रति अरब 1000 ग्लाइफोसेट कण पाए गए जोकि किसी भी मानक से बहुत ज्यादा है।
दालों की गुणवत्ता पर एक ऐक्टिविस्ट ने चिंता जाहिर की थी और कहा था कि भारतीयों की डाइट पिछले कुछ सालों में बहुत जहरीली हो गई है और लोगों की इसकी जानकारी तक नहीं है। भारत में ग्लाइफोसेट को लेकर कोई मानक भी नहीं है जिससे इसकी खपत बिना रोक-टोक चल रही है. इसके बाद यह स्टडी आई है जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं।

कुछ साल पहले तक ग्लाइफोसेट को सुरक्षित माना जाता था लेकिन बाद में WHO ने अपनी एडवाइजरी में इसका सेवन बंद करने की सलाह दी थी।
खरपतवारनाशक ग्लाइफोसेट से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इससे शरीर में प्रोटीन संबंधित प्रक्रिया को नुकसान पहुंच सकता है, प्रतिरक्षा तंत्र भी बुरी तरह प्रभावित होता है। इसके अलावा शरीर में जरूरी पोषक तत्वों का अवशोषण होना बंद हो जाता है. कुछ मामलों में ग्लाइफोसेट की वजह से गुर्दा तक काम करना बंद कर देता है।

Related Post

America advisery for india

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अमेरिका, कनाडा और जर्मनी ने अपने नागरिकों को दी चेतावनी, न करें भारत की यात्रा

Posted by - April 29, 2021 0
नई दिल्ली। भारत में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इस बीच तीन देशों ने भारत की यात्रा…
Nitin Gadkari

ऩई दिल्ली: 15 साल पुरानी गाड़ियों पर ग्रीन टैक्स लगाने का प्रस्ताव, हटाए जाएंगे सभी टोल बूथ

Posted by - March 18, 2021 0
ऩई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पुरानी गाड़ियों पर ग्रीन टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है। सरकार चाहती है कि लोग…