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एक सुर, एक ताल में सबने बोला…केसरिया बालम पधारो म्हारे देश

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लखनऊ। राग, रंग, उल्लास के साथ ही शास्त्रीय और लोक परम्परा को GIS 2023 के मुख्य मंच पर दूसरे दिन भी उकेरा गया। एक तरफ बुन्देली दल का खुशियों के मौके पर किया जाने वाला राई नृत्य था तो दूसरी ओर शास्त्रीय संगीत में घुली बंदिश समृद्ध संगीत विरासत से रू-ब-रू करा रहीं थीं। एक तरफ सूफी संगीत का जादू के साथ इन्डो वेर्स्टन फ्यूजन की दुनिया दिखायी गई तो वहीं लखनऊ का आकर्षक कथक नृत्य एक खास उल्लास के साथ संरचनाओं में पिरोकर माला तैयार की गई। मुख्य मंच की चकाचौंध कर देने वाली लाइटें, हजारों दर्शक और गीत-संगीत की बात के साथ समारोह का दूसरा दिन भी यादगार बन पड़ा और दर्शक देर शाम तक संस्कृति के आभामण्डल में खोए रहे।

समिट के मंच पर पहली प्रस्तुति के रूप में लखनऊ घराने का कथक आकर्षक रंगों के साथ देखने को मिला। जिसमें महादेव के सभी रूपों का वर्णन भी था और बृज की होली का उल्लास भी। नृत्यांगाना श्वेता वर्मा और उनके दल ने कथक में रुद्रावतार की प्रस्तुति दी। पहली संरचना में शंकर अति प्रचंड नाचम कर डमरू बाजे की प्रस्तुति दी। राग मालकोस में हुई इस प्रस्तुति में महादेव के रूपों का अभिनय किया गया। पण्डाल में बैठे में दर्शकों ने इस प्रस्तुति को पसंद किया और तालियों से सराहना की। इसके बाद मंच पर नृत्य, गुलाल और फूलों के साथ ब्रज की होली को सुन्दरता के साथ बयां किया गया। कलाकारों ने कन्हैया घर चलो गुइयां, आज खेलो होरी गीत पर लखनऊ घराने के कथक को मंच पर साकार किया। नृत्य कलाकारों के साथ गायन पर इलियास खान, तबले पर डॉ. श्रीकांत शुक्ल व इलियास हुसैन खान, सारंगी पर जीशान अब्बास, ढोलक पर शुभ भटनागर ने सफल संगत की। रुद्रावतार का निर्देशन आरती शुक्ला ने किया।

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बिखरी शास्त्रीय संगीत की मनोरम छटा

कथक के बाद मंच पर शास्त्रीय संगीत सुनने का अवसर संगीत प्रेमियों को मिला। प्रयागराज की गायिका डा. रश्मि जोशी ने रागमधुवंती कार्यक्रम के माध्यम से ख्याल गायकी से सभी को परिचित कराते हुए कई खूबसूरत बंदिश से समां बांध दिया। संगीत प्रेमी दर्शकों की वजह से कलाकारों को भी बल मिला। गायिका ने ख्याल गायकी में झनक झन बाजे और माने मनाए नाहीं गीत को सुनाया तो सभी ने गायिका के सुर लय और वादन करने वालों की ताल की तारीफ गूंजती तालियों के साथ किया। डा. रश्मि के साथ तबले पर अरुणेश पांडेय, तानपुरे पर अतुल तिवारी और हारमोनियम पर दिनकर द्विवेदी ने संगत कर प्रस्तुतियों को खास बनाया।

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GIS और जी 20 के उल्लास में नाचे बुन्देली

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में झांसी से आए कलाकारों ने खुशियों के मौके पर किए जाने वाले राई नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी। रंग-बिरंगे आकर्षक परिधान और मोहित करने वाले गीतों पर किए गाए पारम्परिक नृत्य ने हर किसी के साथ नाता जोड़ लिया। बुंदेलखण्ड से आईं राधा प्रजापति एवं दल ने सबसे पहले ओरछा बिराजे राजा राम हो, चलो व्यथा मन की सुनावे. गीत पर कलाकारों ने राई नृत्य की प्रस्तुति दी। राधा प्रजापति ने बताया कि राई नृत्य को दरबारी नृत्य के नाम से भी जाना जाता है। जब राजा महाराजा युद्ध जीतकर आते थे तो ये नृत्य किया जाता था। इसके अलावा सूखे में बारिश आने की खुशी में भी राई नृत्य की प्रस्तुति होती है लेकिन हम लोग जीआईएस 2023 और भारत में जी-20 होने से मिले गर्व की खुशी के रूप में राई नृत्य की प्रस्तुति देने आए हैं। मंच पर राधा प्रजापति के साथ ही नीलम प्रजापति, अनीशा राजपूत, श्वेता, निधि, रूबी, ज्योति, अंकर जैन, ब्रम्हादीन, शीलचंद्र, अरविंद ने अपने नृत्य कौशल से परिचित कराया।

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रागधानी का इण्डो फ्यूजन रंग

मुख्य मंच पर हुए कार्यक्रमों में दर्शकों को सबसे ज्यादा जिसने अपनी ओर खींचा तो रागधानी बैण्ड रहा। राजस्थान के रंगों को लेकर समिट में आए रागधानी बैण्ड ने इण्डो वेस्टर्न म्यूजिक का ऐसा जादू चलाया कि दर्शकों ने न सिर्फ बैण्ड कलाकारों के सुर में सुर मिलाया बल्कि खुलकर नाचे भी। सुफी रंगों के साथ बैण्ड कलाकारों ने खड़ताल, गिटार और ड्रम की जुगलबंदी की। कभी सिर्फ गिटार की धुन तो कभी ड्रम से निकलने वाली धुन हर किसी के जहन में बस गई। इसके साथ ही बैण्ड के कलाकारों ने केसरिया बालम पधारो म्हारे देस के पारम्परिक रंग बिखेरे। मां तुझे सलाम के साथ पूरे पण्डाल में देशभक्ति रस का संचार किया। इसके साथ ही कलाकारों ने छाप तिलक सब छीनी रे, मोसे नैना मिलाइके गीत से सूफी रंग से माहौल को सराबोर कर दिया। इसके अलावा दमा दम मस्त कलंदर, अंखिया उड़िक दिना जैसे गीतों के साथ कलाकार और दर्शक एक रंग में रंग गए। गायक नरेंद्र के साथ खड़ताल पर हंसराज, कीबोर्ड पर राजीव ओम प्रकाश शर्मा, तबले पर अनिल, बांसुरी पर कीर्तिमान, गिटार पर संजय व ड्रम पर रियाज ने अपना जादू बिखेरा।

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नृत्य के रंग में शिव और राम

सेमीक्लासिक नृत्य प्रस्तुति रघुवीरा में भगवान शिव और मर्यादा पुरुषोत्तम राम की कहानी शामिल रही। निधि श्रीवास्तव ने साथी कलाकारों के साथ शिवजी के श्लोक कर्पूरगौरं करुणावतारं से शाम का आगाज किया। तो वहीं श्लोक आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम पर आकर्षक नृत्य देखने को मिला। इसके साथ ही कलाकारों ने नृत्य के साथ ही श्रीराम के जन्म की खुशी की, राम विवाह से लेकर रावण वध को बेहद ही सुन्दर अंदाज में मंच पर प्रस्तुत किया। कलाकारों को सबसे ज्यादा तालियां रावण वध के नृत्य के दौरान मिली।

आसमान पर उभरी आकृतियों पर टिकी नजर

समिट में पहले दिन की तरह दूसरे दिन भी ड्रोन और लेजर शो आकर्षण का केन्द्र रहा। सूर्यास्त होते ही आकाश रंगीन रौशनी के साथ सजने लगा तो हर किसी की नजर आसमान पर टिक गई और सभी ने फोन निकाल वीडियो बनाना शुरू कर दिया। सड़क, फुटपाथ और मंच स्थल के साथ ही पवेलियन से लेागों ने ड्रोन और लेजर का मनोरम नजारा देखा। लेजर लाइटो से उत्तर प्रदेश की बदलती सूरत के साथ ही राम मंदिर, जीआईएस, जी-20, उत्तर प्रदेश का नक्शा को दर्शाया गया।

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