लखनऊ डेस्क। आज 2 अक्टूबर यानि महात्मा गांधी की जन्मतिथि है जिसे पूरे विश्व में उनकी याद में धूमधाम से मनाया जाता है। जैसे ही गांधी जी की बात होती है तो ज़ेहन में सबसे पहले एकदम गोल फ्रेम का वह सादा सा चश्मा नज़र आता है जिसे आजकल स्वच्छ भारत अभियान के लोगो के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बापू का यह चश्मा जो दुनिया के लिए आइकन बन गया इसके पीछे की कहानी क्या है? चलिये हम आपको बताते हैं इसकी दिलचस्प कहानी।
1930 के दशक में जब कर्नल एचएस श्रीदीवान ने गांधी जी से ऐसी कोई चीज़ मांगी जिससे उन्हें हमेशा प्रेरणा मिल सके तो बापू ने बिना देर किये अपना चश्मा उतार कर यह कहते हुए दे दिया कि ‘इस चश्मे ने मुझे आज़ाद भारत का नज़रिया दिया।’
यह गोल लेंस वाला आइकॉनिक चश्मा गांधीजी ने पहली बार 1890 के दशक में तब खरीदा था जव वह लंदन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे। इस चश्मे के ज़रिये उनके व्यक्तित्तव की सादगी उजागर होती थी। लंदन में खरीदा चश्मा कब तक उनके साथ रहा इसकी कोई जानकारी तो नहीं है लेकिन कहा जाता है कि कर्नल नवाब उन्होंने जो चश्मा भेंट किया था वह ठीक वैसा ही था जो उन्होंने लंदन में खरीदा था।
हालांकि यह भी हो सकता है कि यह वह चश्मा न रहा हो क्योंकि इससे पहले गांधीजी स्वदेशी आंदोलन से जुड़ चुके थे और विदेशी चीज़ों को त्याग दिया था। इसके बाद भी उन्होंने कई चश्मे बनवाए लेकिन डिज़ाइन वही रखा।
चश्मों के विक्रेता एक पोर्टल ने 2018 की रिपोर्ट में गांधी स्टाइल चश्मों के डिज़ाइनों और ट्रेंड को लेकर एक रपट में बताया था कि दुनिया के प्रतिष्ठित चश्मा निर्माता गांधी स्टाइल के यानी गोल लेंस वाले धातु के पतले फ्रेम के चश्मे बनाने में अब तक दिलचस्पी लेते हैं। इसके अलावा इसे विंटेज स्टाइल का भी नाम मिल चुका है।