Faith over Corona epidemic

कोरोना महामारी पर भारी पड़ी आस्था, संगम में 10 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

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प्रयागराज। वैश्विक महामारी कोरोना पर आस्था (Faith over Corona epidemic) का सैलाब त्रिवेणी संगम भारी पड़ता नजर आया है। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक माघ मेला के प्रयागराज में पहले स्नान पर्व मकर संक्रांति पर पतित पावनी गंगा,श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी संगम में को गुरुवार को यह दृश्य देखने को मिला।

एडीजी प्रेम प्रकाश ने बताया कि सुबह आठ बजे तक 10 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर मेला क्षेत्र में सीसीटीवी और पुलिस के जवान चप्पे चप्पे पर नजर रखे हुए हैं।

देश के कोने कोने से पहुंचे माघ मेले के पहले स्नान पर्व मकर संक्रांति पर त्रिवेणी के तट पर कोरोना को धता बताकर गांगा में पांच से 10 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। आधिकारिक रूप से स्नान भोर के चार बजे से घोषित किया गया था, लेकिन दांत कटकटाती ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं और साधु संतों ने भोर के तीन बजे से ही संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया।

भोर में स्नान करने वालों की भीड कम थी, लेकिन दिन चढने के साथ ही स्नान करने वालों की भीड बढ़ती गयी। डुबकी लगाने वालों में महिलायें ,बच्चे और बूढ़े और दिव्यांग भी शामिल हैं।

मेले में विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विविधताओं का संगम दिखायी पड रहा है। कडाके की ठंड और शीतलहरी पर आस्था का विश्वास भारी पड़ रहा है। त्रिवेणी के संगम तट पर सांयण्सांय करती तेज हवा और कडाके की ठंड में पतित पावनी के जल में भोर के चार बजे से ही श्रद्धालु एवं कल्पवासी, तीर्थयात्री और सांधु-संतों ने शहर हर गंगे, ऊं नम: शिवाय श्री राम जयराम जय जय राम का उच्चारण करते हुए आस्था की डुबकी लगाई।

श्रद्धालु संगम में स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य दिया। महिलाओं ने गंगा किनारे फूल धूप और दीप से मां गंगा से परिवार के लोगों की मंगल कामना के साथ कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना किया। कुछ श्रद्धालुओं ने गंगा मां को दूध भी अर्पण किया। पूजन अर्चन कर गृहस्थों ने स्नान कर घाट पर बैठे पण्डे और पुरोहितों को चावल, आटा, नमक दाल, तिल चावल और तिल से बने लड्डू आदि का दान किया।

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प्राचीन काल से संगम तट पर जुटने वाले माघ मेले वैश्विक महामारी के बाद भी जीवंतता में आज भी कोई कमी नहीं आयी है। मेले में आस्था और श्रद्धा से सराबोर पुरानी परम्पराओं के साथ आधुनिकता के रंग बिरंगे नजारे दिखायी पड रहे हैं। भारतीय संस्कृति और आध्यात्म से प्रभावित कई विदेशी भी इस दौरान पुण्य लाभ के लिए संगम स्नान करते दिखायी दे रहे हैं।

एक तरफ जहां तीन नदियों का संगम है वहीं दूसरी तरफ तम्बुओं के अन्दर से आध्यत्म की बयार बह रही है। चारों ओर धार्मिक अनुष्ठानों के मंत्रोच्चार और हवन में प्रवाहित की जा रही सामग्रियों की भीनी भीनी खुशबू मेला क्षेत्र के वातावरण को पवित्र और सुगन्धित कर रही है।

प्रयाग में कल्पवास की परंपरा सदियों पुरानी है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने इसका प्रमाण इस चौपाई से दिया है कि माघ मकरगत रबि जब होई तीरथपति आवै सब कोई। देव दनुज किन्नर नर श्रेनींण् सादर मज्जहि सकल त्रिबेनी।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि वर्षों बाद मकर संक्रांति के अवसर पर पांच ग्रह एक राशि में भ्रमण करेंगे। ग्रह नक्षत्रों की विशेष जुगलबंदी से स्नान पर्व का महत्व बढ़ गया है। उन्होने बताया कि पौष शुक्लपक्ष प्रतिपदा तिथि गुरूवार को सुबह नौ बजकर 36 मिनट क रहेगी। इसके बाद द्वितिया तिथि लग जाएगी। सूर्य दिन में दो बजकर 37 मिनट से धनु से मकर राशि में प्रवेश करके दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे।

उन्होने बताया कि गुरूवार का दिन श्रवण नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश होने ब्रज योग दुर्लभ संयोग बन रहा है। धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु में कहा गया है कि एक राशि में चार या पांच ग्रहों के एकत्र होने पर अमृत योग बनता है। ऐसी स्थिति में संगम स्नान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति में स्नान के बाद काला तिल, कंबल, घी आदि का दान किया जाना श्रेष्ठकर माना जाता है।

माघ मेला नोडल अधिकारी आशुतोष मिश्रा ने बताया कि कुल 100 गोताखोर लगाये गये हैं जिनमें 70 प्राईवेट और 30 पुलिस के गोताखोर शामिल हैं। पर्याप्त मात्रा में वोटर बोट पर पुलिस के गोताखोर लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं।

जल पुलिस प्रभारी कड़ेदीन यादव ने बताया कि करीब पांच किलोमीटर लंबे क्षेत्र में स्नान घाटों के साथ पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। पुलिस और निजी गोताखोरों को घाट के इर्द—गिर्द ही रहने का निर्देश दिया गया है। स्नानार्थियों को एक निर्धारित सीमा से आगे नहीं बढ़ने के लिए रस्सी लगाकर प्रतिबंधित किया है।

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