Savin Bansal

मात्र 2 सुनवाई में स्थिति परखते ही लाचार  दम्पति को डीएम ने किया प्रतिस्थापित; कब्जा वापिस

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देहरादून: जिलाधिकारी जनता दर्शन में राजपत्रित पिता जो चलने फिरने में समथ है फिर भी व्हीलचेयर पर आकर डीएम (DM Savin Bansal) से गुहार लगाई थी कि उनका बेटा बहु उनसे मारपीट करते हैं, उन्होंने भरण पोषण अधिनियम में वाद दाखिल कराने का अनुरोध किया जिस पर डीएम कोर्ट में वाद दाखिल किया तथा फास्ट्रेक सुनवाई की गई। पिता द्वारा अपने ही पुत्र, पुत्रवधु व 4 वर्षीय नौनिहाल पर भरणपोषण अधिनियम में वाद दायर कर दिया। जिला मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को सुना तथा दोनो पक्षों द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूत की जांच करने पर पाया कि पिता चल फिर सकने में सक्षम है तथा माता-पिता कुल 55 हजार आय अर्जित करते हैं तथा अपने अल्पवेतनभोगी लाचार  बेटे के परिवार को निजी स्वार्थ के चलते झूठा वाद दायर घर से बेघर करना चाहता है।

महज उम्रदराज होना ही बहु-बच्चों को बेघर करने का लाईसेंस नही है यह आज डीएम कोर्ट में पेश हुए वाद जिसमें डीएम (DM Savin Bansal) ने निर्णय सुनाया है से सिद्ध हो गया है जहां एक राजपत्रित अधिकारी पद से सेवानिवृत्त एक पिता ने फ्लेट की तृष्णा में निष्ठुर बन अपने ही अल्प वेतनभोगी बीमार बहु-बेटे व 4 वर्षीय पौती को बेदखल, घर से बेघर करने की योजना बनाई। अपने निजी स्वार्थ के चलते पिता अपने बहु-बेटे, नौनिहाल को घर से बेदखल करने की योजना बनाई तथा डीएम कोर्ट में भरणपोषण अधिनियम वाद डाला। डीएम न्यायालय में पेश इस मार्मिक प्रकरण ने आज प्रचलित विचारधारा को झंझोड़ कर ही रख दिया। डीएम ने मात्र 2 सुनवाई में स्थिति परखते ही लाचार दम्पति को कब्जा प्रतिस्थापित किया है।

भरणपोषण अधिनियम का दुरूपयोग करने वालों पर डीएम (DM Savin Bansal) का फैसला नजीर बन गया है जिसमें वाद निर्णित, समाप्त; कार्यन्वित किया गया हैं। व्यथित बहु- बेटे के परिवार को बाह्य तत्व बुलाकर पिटवा चुका है जिस पर डीएम ने एसएसपी को भी दम्पति की सुरक्षा के निर्देश दिए है। इस वाद में असहाय के पक्ष में निर्णय से एक बार फिर कानून की आड़ में लाचारों का हक छिनने वालों पर जिला प्रशासन की न्यायप्रिय सख्त प्रशासन की छवि दर्शाता है। दोनों पक्षों को त्वरित सुन डीएम ने अपना फैसला सुनाते हुए पिता द्वारा दाखिल साजिश डीएम कोर्ट ने खंडित कर दी है।

जिला मजिस्टेट कोर्ट में दाखिल वाद संगीता वर्मा पत्नी जुगल किशोर वर्मा (माता-पिता) बनाम अमन वर्मा पुत्र नकरोंदा सैनिक कालोनी बालावाला में जहां राजपत्रित अधिकारी पद सेवानिवृत पिता जिसकी आय 30 हजार तथा माता की मासिक आय 25 हजार अपने अल्पवेतनभोगी बेटे अमन व उसकी पत्नी मीनाक्षी जिनकी कुल मासिक आय 25 हजार है पर भरणपोषण अधिनियम वाद पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाते हुए माता-पिता द्वारा दायर वाद को खंडित करते हुए लाचार दम्पति को डीएम ने किया कब्जा प्रतिस्थापित कर दिया है।

अमन वर्मा एक छोटी प्राईवेट नौकरी से अपने परिवार की देखभाल करता है, जिसमें एक चार साल की पुत्री भी है, जो कि जीवन की इस अवस्था में है कि उसको समुचित देखभाल, लालन-पालन व प्रेम एवं स्नेह की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों के मध्य उत्पन्न मतभेद से विपक्षीगण की 4 वर्षीय पुत्री का भी भविष्य दाव पर लग गया है व मीनाक्षी जो कि अपीलार्थीगण की पुत्रवधु है, का भी अपने Shared household  बेदखल होने का खतरा उत्पन्न हो गया है, जिससे वंचित किया जाने पर उनके के अधिकार भी पराजित हो जायेंगे। विवेचना के आधार पर जिला मजिस्टेट (DM Savin Bansal) ने फैसला सुनाते हुए अपीलार्थीगण की अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून को भी निर्देशित किया गया है कि वे अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के निवास स्थान में प्रत्येक माह में दो बार निरीक्षण करवाकर यह सुनिश्चित करें कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के रहन-सहन में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप न करें और न ही ऐसा कोई कार्य करें, जिससे उनके विधि द्वारा प्रदत् अधिकारों का हनन होता हो या पारस्परिक शांन्ति व्यवस्था भंग होती हो। आदेश की प्रति संबंधित को अनुपालनार्थ प्रेषित हो। अवर न्यायालय की पत्रावली वापस प्रेषित हो तथा इस न्यायालय की वाद पत्रावली आवश्यक कार्यवाही दाखिल दफ्तर होवे।

जिला मजिस्ट्रेट (DM Savin Bansal) ने अपनी कोर्ट में दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए पिता द्वारा दायर भरणपोषण अधिनियम वाद खारिज कर दिया है। जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट का यह उन सभी प्रकरणों में नजीर साबित होगा जिनमें झूठे वाद में फसाया जाता है। इससे असहाय लाचारों में न्याय के प्रति सम्मान बढेगा। तथा कानन की आड़ में निर्दाेश लोगों को फसाने वालो के मंसूबे कमजोर पड़ेंगे तथा जनसामान्य में न्याय की आस बढ गई है।

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