हेल्थ डेस्क. दिवाली में अक्सर बच्चे व बड़े दोनों ही पटाखे छुड़ाते वक़्त बहुत सी लापरवाही कर जाते हैं. जिसकी वजह से काफी खामियाजा भुगतना पड़ जाता है. इस ख़ास मौके पर बरती गई ये लापरवाही आपकी खुशियों को फीका कर सकती है. पटाखे छुड़ाते वक़्त की जाने वाली लापरवाही की वजह किसी का हाथ जल सकता है, कहीं आग लग सकती है या कोई घायल भी हो सकता है. ऐसे में जरूरी है की आप सावधानियां बरते और इस त्यौहार का आनंद ले. आइये आज जानते हैं दीवाली पर पटाखे छुड़ाते वक़्त क्या सावधानी बरतनी चाहिए.
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- कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग अपने हाथ में सेनिटाइजर का प्रयोग करते हैं. कोरोना काल में डॉक्टर की सलाह है कि किसी भी सूरत में हाथ में सेनिटाइजर लगा कर आप दीप या पटाखा नहीं जलाये. यह बेहद खतरनाक हो सकता है. सेनिटाइजर को अल्कोहल से बनाया जाता है. एक सेनिटाइजर में 70 प्रतिशत तक अल्कोहल रह सकता है. ऐसे में आप हाथ में सेनिटाइजर लगा कर दीप या पटाखा जलाते हैं तो आग आप के हाथ में लगने की आशंका है.
- पटाखे छोड़ने से पहले खुली जगह तलाश लें. आप घर या बाहर जहां भी पटाखे जला रहे हों, ध्यान रखें कि उसके आसपास आसानी से जलने वाली कोई चीज मसलन पेट्रोल, डीजल, केरोसिन या गैस सिलिंडर वगैरह न रखा हो.
- अधजले पटाखे को दोबारा आग न लगाएं, उस पर पानी डाल देें. धातु या शीशे की वस्तु में रखकर पटाखा न चलाएं. आतिशबाजी चलाते समय पानी की बाल्टी पास में रखें.
- पटाखे छुड़ाते समय बच्चों के साथ रहें और उन्हें पटाखे चलाने का सुरक्षित तरीका बताएं. छोटे बच्चों को पटाखे न जलाने दें. पांच साल से छोटे बच्चों को तो फुलझड़ी भी न जलाने दें, इन्हें खुद जलाकर बच्चों को दिखाएं.
- पटाखा जलाते वक्त सूती कपड़े का प्रयोग करे. फुलझड़ी जलाने के बाद सिर के ऊपर नहीं घुमायें.
- आतिशबाजी चलाने के दौरान दमा रोगी विशेष ध्यान रखें. दीपावली के एक दो दिन तक हवा में आतिशबाजी से निकली गैसें रहती हैं. यह नुकसानदायक हैं. ऐसे में अपने साथ इन्हेलर रखें.  दमा नियंत्रण के लिए डॉक्टर का परामर्श ले लें.
 
                         
                 
                                 
                     
                     
                     
                     
                    
