दरभंगा की ज्योति

साइकिलिंग में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती है दरभंगा की ज्योति

848 0

नई दिल्ली। देश में लागू लॉकडाउन के चलते बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली ज्योति को बड़ा मौका लेकर आया है। इसी वजह यह है कि ज्योति मात्र आठ दिनों में गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा एक हजार किलोमीटर की दूरी तय कर अपने गांव पहुंच गई है।

भारतीय साइकिलिंग महासंघ के निदेशक वीएन सिंह ने ज्योति को क्षमतावान करार दिया

इसकी खबरें में मीडिया में में आने के बाद भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) के निदेशक वीएन सिंह ने ज्योति को क्षमतावान करार देते हुए कहा कि महासंघ उसे ट्रायल का मौका देगा। अगर वह सीएफआई के मानकों पर थोड़ी भी खरी उतरती है तो उसे विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग मुहैया कराई जाएगी।

बता दें कि ज्योति लॉकडाउन में अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बिठाकर एक हजार किमी से ज्यादा की दूरी आठ दिन में तय करके गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंच गई थी। ज्योति ने रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई।

अगर वह हमारे मापदंड पर खरी उतरती है तो उसकी पूरी सहायता करेंगे

वीएन सिंह ने बताया कि महासंघ हमेशा प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में रहता है। उन्होंने कहा कि अगर ज्योति में क्षमता है तो उसकी पूरी मदद की जाएगी। वीएन सिंह ने से कहा कि अगर लड़की में इस तरह की क्षमता है तो हम उसे जरूर मौका देंगे। आगे उसे ट्रेनिंग और कोचिंग शिविर में डाल सकते हैं। उससे पहले हालांकि हम उसको परखेंगे। अगर वह हमारे मापदंड पर खरी उतरती है तो उसकी पूरी सहायता करेंगे। विदेशों से आयात की गई साइकिल पर उसे ट्रेनिंग कराएंगे।

प्रीति जिंटा ने लॉकडाउन में फिट रहने का ढूंढा जुगाड़, वीडियो की फैंस कर रहे हैं तारीफ

वीएन सिंह ने स्वीकार किया कि 15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100 किमी से अधिक साइकिल चलाना आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि 14-15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100-150 किमी साइकिल चलाना आसान नहीं है। मैं मीडिया में आई खबरों के आधार पर ही बोल रहा हूं लेकिन अगर उसने सचमुच में ऐसा किया है तो वह काफी सक्षम है।

टेस्ट में अगर हमारे मापदंड पर वह थोड़ी सी भी खरी उतरती है तो हम उसकी पूरी सहायता करेंगे और उसे विशेष कोचिंग दी जाएगी

उन्होंने कहा कि उसने अपने पिता को भी साइकिल पर बैठा रखा था और उसके पास छोटा-मोटा सामना भी रहा होगा। इसलिए उसने जो किया वह काबिलेतारीफ है। खेल की जरूरत के अनुसार वह सक्षम है या नहीं, इसका फैसला हम टेस्ट के बाद ही कर पाएंगे। उस टेस्ट में अगर हमारे मापदंड पर वह थोड़ी सी भी खरी उतरती है तो हम उसकी पूरी सहायता करेंगे और उसे विशेष कोचिंग दी जाएगी।

बता दें कि ज्योति के पिता गुरुग्राम में रिक्शा चलाते थे। पिता के दुर्घटना का शिकार होने के बाद वह अपनी मां और जीजा के साथ गुरुग्राम आई थी और फिर पिता की देखभाल के लिए वहीं रुक गई। इसी बीच कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की घोषणा हो गई और ज्योति के पिता का काम ठप्प पड़ गया। ऐसे में ज्योति ने पिता के साथ साइकिल पर वापस गांव का सफर तय करने का फैसला किया।

कोरोना वायरस के फैले संक्रमण के कारण अपने घर में ही पृथकवास का समय काट रही ज्योति को जब यह खबर मिली। तो उसने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो वह ट्रायल के लिए तैयार हैं। 15 साल की ज्योति ने कहा कि अगर मैं सफल रहती हूं तो मैं भी साइकिलिंग में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं।

तीन बहन और दो भाइयों के बीच दूसरे नंबर की संतान ज्योति ने कहा कि वह पढ़ाई छोड़ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि मैं पढ़ाई छोड़ चुकी हूं लेकिन अगर मौका मिला तो मैं दोबारा पढ़ाई शुरू करना चाहती हूं।

Related Post

नरेंद्र तोमर के प्रस्ताव पर बोले राकेश टिकैत, 10 साल तक जारी रह सकता है प्रदर्शन

Posted by - September 27, 2021 0
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन अब भी जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा…
दीपिका पल्लीकल

टॉप-10 रैंकिंग पहुंचने में मानसिक प्रशिक्षण का अहम रोल : दीपिका पल्लीकल

Posted by - May 30, 2020 0
मुंबई। प्रोफेशनल महिला स्क्वैश रैंकिंग में भारत की तरफ से सबसे पहले टॉप-10 में जगह बनाने वाली दीपिका पल्लीकल कार्तिक…