लखनऊ। वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप में मंडी परिषद के एक संयुक्त निदेशक व दो उप निदेशकों को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Aditynath) ने इनके निलंबन के साथ ही तीन अन्य उप निदेशकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं। उन्होंने परिषद के अतिरिक्त निदेशक को अनियमितताओं के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(CM Yogi Aditynath) ने मंडी परिषद के फैसलों की समीक्षा करते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ जल्द ही आरोप पत्र जारी किया जाएगा। जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें बरेली के संयुक्त निदेशक निर्माण गोपाल शंकर, वाराणसी के उपनिदेशक निर्माण रामनरेश और आजमगढ़ के उपनिदेशक (निर्माण) हरिराम प्रमुख हैं। इसके साथ ही लखनऊ में तैनात उप निदेशक आलोक कुमार अलीगढ़ के उपनिदेशक नरेंद्र मलिक और कानपुर के उपनिदेशक अमर सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
निर्धारित दर से महंगी खरीद
गोपाल शंकर पर 2007-14 के बीच उप निदेशक (निर्माण) के पद पर आगरा में तैनाती के दौरान बिना प्रचार-प्रसार के स्थानीय बाजार से मात्र कोटेशन के आधार तथा अधिक दर पर सीमेंट खरीद कर 32,47,500 रुपए की क्षति पहुंचाने का आरोप है। इसके साथ ही बुंदेलखंड पैकेज के कार्यों में भी अनियमितता का आरोप है।
वहीं हरिराम पर निर्माण खंड अयोध्या में तैनाती के दौरान मंडी समिति अकबरपुर क्षेत्र के पांच संपर्क मार्गों की मरम्मत का कार्य बिना टेंडर स्वीकृत करते हुए स्वयं के स्तर से ठेकेदार का चयन, दो संपर्क मार्गों के मरम्मत की निविदा लोक निर्माण विभाग द्वारा दिए जाने के बाद भी उन्हें मंडी परिषद की कार्य योजना में शामिल करने और निविदा निकालने तथा एक मार्ग के मरम्मत की आवश्यकता न होते हुए भी वहां उसकी निविदा जारी करने के गंभीर आरोप हैं।
मार्गों के निर्माण में खेल
हरी राम पर निर्माण खंड अयोध्या में तैनाती के दौरान मंडी समिति अकबरपुर क्षेत्र के पांच संपर्क मार्गों की मरम्मत का कार्य बिना टेंडर स्वीकृत हुए स्वयं के स्तर से ठेकेदार का चयन, दो संपर्क मार्गों के मरम्मत की निविदा लोक निर्माण विभाग द्वारा किए जाने के बाद भी उन्हें मंडी परिषद की कार्य योजना में शामिल करके उनकी निविदा निकालने तथा एक मार्ग के मरम्मत की आवश्यकता न होते हुए भी उसकी निविदा जारी करने, निर्माण खंड बहराइच के कार्यकाल में टेंडर प्रक्रिया, ठेकेदारों के पंजीकरण तथा अन्य विभागीय कार्यों में भ्रष्टाचार व मनमानी किए जाने, बिना मुख्यालय से धन आवंटित हुए ठेकेदारों का भुगतान करने की गंभीर वित्तीय अनियमितता समेत अन्य आरोप हैं।