सिंधु की जीत, रचा दिया इतिहास

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टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल तक पहुंचने के सफर में देश की बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने एक भी मुकाबला नहीं हारा। क्वार्टर फाइनल में उन्हें जापान की यामागुची से कड़ी टक्कर मिली, लेकिन आखिर में अपने अटैकिंग ग्राउंड स्मैश की बदौलत उन्होंने दो गेम प्वॉइंट बचाए और दो सीधे सेट जीतकर सेमीफाइनल में पहुंच गईं। सिंधु को बड़े मैच की खिलाड़ी कहा जाता है।

पीवी सिंधु को करियर में तीन कोच मिले। पहले पुलेला गोपीचंद थे, जिनका सिंधु के करियर को आकार देने में बड़ा योगदान रहा है। उन्हीं की कोचिंग में सिंधु ने रियो ओलंपिक्स में रजत पदक जीता था। दूसरी कोच दक्षिण कोरिया की किम जी ह्युन थीं, जिन्होंने 2019 में निजी कारणों से इस्तीफा दे दिया। ह्युन के जाने के बाद पुरुष कोच पार्क तेई सेंग उन्हें ट्रेनिंग देने लगे।

पार्क भी दक्षिण कोरिया से हैं। वे 2004 के एथेंस ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल खेल चुके हैं। 2002 में उन्होंने बुसान में खेले गए एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। वे 2013 से 2018 के बीच कोरियाई टीम के नेशनल कोच रह चुके हैं। उन्होंने हैदराबाद के गाचीबावली स्टेडियम में सिंधु को ट्रेनिंग देना शुरू की थी। पार्क की खासियत यह है कि वह प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी की स्ट्रैटजी को बखूबी समझ लेते हैं।

पहले सिंधु का डिफेंस कमजोर था, अटैक मजबूत था। बैडमिंटन की हर बड़ी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इस बात से वाकिफ थीं कि सिंधु अपने मजबूत अटैक के चलते पावरफुल स्मैश खेलती हैं। खिलाड़ी उन्हें थकाकर उनके स्मैश का इंतजार करते थे और उसे डिफेंड कर पॉइंट हासिल कर लेते थे। कोच पार्क ने सिंधु के डिफेंस स्किल्स पर काम किया।

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सिंधु की ट्रेनिंग के लिए कोच हैदराबाद के स्टेडियम में दूसरी एकेडमी से तीन-चार लड़कों को बुला लेते थे। कोर्ट में एक तरफ सिंधु होती थीं तो सामने की तरफ तीन-तीन शटलर होते थे। एक शटलर सामने की तरफ होता था, दो बैक कोर्ट में होते थे। वे हर पांच-दस मिनट में अपनी पोजिशन बदल लिया करत थे।

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