उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर सभी पार्टियों ने राजनीतिक बिसात बिछाना शुरू कर दिया है फिर चाहे वह बीजेपी की विपक्षी पार्टी हो या बीजेपी गठबंधन में मौजूद पार्टियां हो। जहां एक ओर भाजपा अपनी पार्टी में आंतरिक कलह से जूझ रही हैं। वहीं, अब सहयोगी अब उनकी सहयोगी पार्टियां भी बीजेपी को चुनौती देने पर उतारू हो गई हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद नें 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उपमुख्यमंत्री पद पर अपना दावा घोषित कर दिया है।उन्होंने कहा है कि “अगर भाजपा उन्हें खुश रखेगी तो ही उन्हें 2022 में खुशी मिलेगी। वह हमें दुखी रखकर खुद खुश नहीं रह सकते।” इसके साथ उन्होंने कहा कि वे अपने समाज के आरक्षण के मुद्दे को लेकर अभी भी संघर्ष कर रहे हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में अभी तक सभी जातियों के मुख्यमंत्री बनाए गए हैं लेकिन 18% वोट बैंक वाले मछुआरा समाज से अभी भी कोई मुख्यमंत्री नहीं बना है। इसी को ध्यान में रखते हुए संजय निषाद ने भाजपा को सलाह दी है कि “भाजपा को मछुआरा समाज के चेहरे पर चुनाव लड़ना चाहिए अगर मुख्यमंत्री पद नहीं दिया जा सकता तो बीजेपी उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में कम से कम उप मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लड़े। इससे बीजेपी को निश्चित तौर पर जीत मिलेगी और दोबारा सरकार बनेगी।”
निषाद समाज की पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छी खासी जनसंख्या है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकांश विधानसभा सीटों पर निषाद समाज निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसका अच्छा उदाहरण यह है कि जब योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बने थे और उनका गोरखपुर सीट खाली हो गया था तब इस सीट पर संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने कब्जा कर लिया था। हालांकि बाद में प्रवीण निषाद भाजपा में शामिल हो गए थे और वर्तमान में वे संत कबीर नगर सीट से भाजपा सांसद है।
गौरतलब है कि अगर यही बर्ताव निषाद पार्टी का रहा तो यह भाजपा के लिए मुसीबत बन सकता हैं क्योंकि अपने आंतरिक कलह और कोरोना महामारी से हुई फजीहत से परेशान भाजपा अगले चुनाव के लिए संघर्ष कर रही हैं।वहीं, अगर निषाद समाज नाराज होता है तो इसका खामियाजा अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ेगा।