लखनऊ: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने वीरांगना ऊदा देवी के अदम्य साहस को प्रणाम किया। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों से लड़ते हुए ऊदा देवी के पति मक्का पासी लखनऊ के पास शहीद हुए थे। शहीद पति का निर्जीव शरीर देखकर उनकी हिम्मत टूटी नहीं, बल्कि और बढ़ गई। उनमें और साहस आया। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि अपने पति की शहादत का बदला लेकर रहेंगी और उन्होंने बदला लिया। वीरांगना ऊदा देवी ने अप्रतिम पराक्रम और अदम्य साहस से न सिर्फ अंग्रेज सेना को धूल चटाई, बल्कि राष्ट्र प्रेम का ऐसा मानक स्थापित किया, जो अनंत काल तक भारत के हर नागरिक को प्रेरणा देता रहेगा। ऊदा देवी ने अकेले ही 36 ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतारने में कामयाबी हासिल की थी।
रक्षा मंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने ऊदा देवी पासी के बलिदान दिवस पर यह बातें कहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शौर्य, त्याग व बलिदान की प्रतिमूर्ति वीरांगना ऊदा देवी पासी की प्रतिमा का रविवार को अनावरण किया। रक्षा मंत्री ने पासी स्वाभिमान दिवस को भी संबोधित किया।
अंग्रेज अधिकारी ने हैट उतारकर दिया था सम्मान
रक्षा मंत्री (Rajnath Singh) ने कहा कि वीरांगना ऊदा देवी ने प्रेरणा दी कि देश की ओर कोई आँख उठाकर देखेगा तो भारत की बेटी उसका डटकर मुकाबला कर सकती है। ऊदा देवी के मृत शरीर का ब्रिटिश अधिकारियों ने भी झुककर सम्मान किया था। अंग्रेज अधिकारी कैप्टन डॉसन ने हैट उतारकर वीरांगना ऊदा देवी पासी को सलामी दी थी। वीरांगना ऊदा देवी न केवल पासी समाज, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित करती हैं। दलित समाज की वीरांगना ऊदा देवी ने लखनऊ की भूमि पर बलिदान दिया। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर से भी लखनऊ का विशेष संबंध रहा है। बाबा साहब के गुरु समान बोधानंद जी और उन्हें दीक्षा देने वाले भदंत प्रज्ञानंद जी लखनऊ में ही रहते थे। इन महापुरुषों से जुड़ी भूमि का मेरी कर्मस्थली होना मेरे लिए गौरव और सम्मान की बात है।
देशभक्ति और वीरता किसी जाति या वर्ग की सीमा में नहीं बंधी होती
रक्षा मंत्री (Rajnath Singh) ने कहा कि ऊदा देवी की गौरव गाथा को दो और वजहों से भी याद किया जाना चाहिए। ऊदा देवी की कहानी हमें आत्मसम्मान सिखाती है। हमारे अंदर स्वाभिमान की भावना पैदा करती है। 1857 की क्रांति में उन्होंने न केवल अंग्रेजी हुकूमत, बल्कि उस सामाजिक व्यवस्था को भी चुनौती दी, जिसने उनके समाज को सदियों तक हासिए पर रखा। उन्होंने सिद्ध किया कि देशभक्ति और वीरता किसी जाति या वर्ग की सीमा में नहीं बंधी होती। ऊदा देवी की कहानी ने आजादी की लड़ाई में महिलाओं की भूमिका को रोशन किया। यदि महिलाएं बंदूक उठा सकती हैं, युद्ध में लड़ सकती हैं और ब्रिटिश सैनिकों को मार सकती हैं तो वे किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। ऊदा देवी ने दलित समाज से आने वाली महिलाओं को ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियार उठाने और लड़ने के लिए संगठित किया था। ऊदा देवी का जीवन महिला सशक्तिकरण और समानता का अद्वितीय उदाहरण है। भारत की नारी शक्ति सियाचिन की ऊँचाइयों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक देश की सुरक्षा को और मजबूत कर रही है। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में महिला पायलटों और सैनिकों ने पाकिस्तान व पीओके में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत की हर बेटी ऊदा देवी बन सकती है।
पासी समाज के मूल में करुणा, साहस व कर्तव्य
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने पासी समाज के उत्पत्ति की व्याख्या की।‘पा’ का अर्थ होता है ‘पकड़’ और ‘सी’ का अर्थ होता है ‘तलवार’। इस प्रकार पासी का मतलब हुआ तलवार धारी। 1971 के एक आधिकारिक दस्तावेज़ में यह भी दर्ज है कि ‘पासी’ शब्द का उद्गम ‘पसीना’ से माना गया है और उनकी उत्पत्ति भगवान परशुराम के पसीने से हुई है, जिन्होंने गौ रक्षा के लिए इस समाज का उद्भव किया। इतनी बड़ी जिम्मेदारी भगवान परशुराम ने पासी समाज को दी थी। इस समाज के मूल में करुणा, साहस और कर्तव्य है। पासी समाज के इतिहास में बलिदान की गौरवशाली परंपरा रही है। 1857 की लड़ाई, अवध किसान सभा आंदोलन—हर जगह पासी समाज अग्रिम पंक्ति में रहा।
इतिहासकारों ने इन नामों को वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वे पात्र थे
रक्षा मंत्री (Rajnath Singh) ने कहा कि इतिहास में इन वीरों को उचित स्थान नहीं मिला। वामपंथी इतिहासकारों और पूर्व सरकारों ने इन्हें दरकिनार किया। इतिहास की किताबों में पासी साम्राज्य का विवरण तक नहीं मिलता। लाइब्रेरी में इस समाज के इतिहास पर बमुश्किल दो-चार किताबें ही मिलती हैं, जबकि पासी समाज से आने वाले राजाओं ने लंबे समय तक शासन किया। उनका इतिहास राजा अशोक मौर्य से भी पुराना माना जाता है। महाराजा बिजली पासी ने बिजनौर की स्थापना की और 12 मजबूत किलों का निर्माण कराया। इतिहासकारों ने इन नामों को वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वे पात्र थे। महाराजा सातन पासी, महाराजा लाखन पासी, महाराजा सुहेलदेव, महाराजा धालदेव, राजा गंगाबक्स रावत, झलकारी बाई, अवंती बाई, महावीरी देवी के नाम सोने के अक्षरों में लिखे जाने चाहिए थे, लेकिन नहीं लिखे गए। हमारा दायित्व है कि हम इस विस्मृत इतिहास को सामने लाएं।
रक्षा मंत्री (Rajnath Singh) ने भाजपा सरकारों के प्रयासों को बताया
रक्षा मंत्री (Rajnath Singh) ने कहा कि साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था। रक्षा मंत्री ने सीएम योगी का अभिनंदन करते हुए कहा कि योगी सरकार ने पासी समाज के वीरों और वीरांगनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय किया है। बहराइच में महाराजा सुहेलदेव का भव्य स्मारक बना है। ऐसा ही स्मारक लखनऊ में महाराजा बिजली पासी के नाम पर भी बनने जा रहा है। कल जनजातीय गौरव दिवस भी मनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जनजातीय गौरव वर्ष’ घोषित कर इन समुदायों के योगदान को सामने लाया है। बाबा साहब से जुड़े स्थानों को ‘पंच तीर्थ’ के रूप में विकसित किया।
दलित समाज के नायकों को जानेंगे तो समाज में एकता बढ़ेगी और भेदभाव घटेगा
रक्षा मंत्री ने कहा कि जब दलित समाज के नायकों को जानेंगे तो समाज में एकता-सम्मान बढ़ेगा और भेदभाव घटेगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने सदैव वंचित, पिछड़े, दलित समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने पर बल दिया है। पासी समुदाय के कमलेश पासवान भारत सरकार में मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह भी उसी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। राजनीति का उद्देश्य सत्ता नहीं, समाज निर्माण होना चाहिए और हम यही कर रहे हैं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास।
सामाजिक न्याय से होकर गुजरता है समाज कल्याण का रास्ता
रक्षा मंत्री (Rajnath Singh) ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने अपनी योजनाओं में वंचित वर्गों को अधिकतम लाभ पहुंचाने का कार्य किया है। एससी, एसटी, ओबीसी व अन्य वंचित वर्गों के सेवा-अभियान को हमारी सरकार लगातार 11 वर्षों से बढ़ा रही है। हमारा मानना है कि समाज कल्याण का रास्ता सामाजिक न्याय से ही होकर गुजरता है, इसलिए हमारी प्राथमिकता में हमेशा से ही समाज कल्याण के लिए सामाजिक न्याय रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र और योगी सरकार के प्रयास दर्शाते हैं कि हमारी सरकार के लिए सामाजिक न्याय केवल नारा नहीं है, हम इसे मिशन बनाकर काम कर रहे हैं। बाबा साहब मानते थे कि जहाँ भी सामाजिक व्यवस्था नैतिक और समतामूलक नहीं होगी, वहाँ लोकतंत्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। इसलिए प्रदेश व केंद्र सरकार कोशिश कर रही कि समाज का हर वर्ग देश की प्रगति में बराबर का भागीदार बने।
ऊदा देवी की प्रतिमा भावी पीढ़ी को देती रहेगी प्रेरणाः ब्रजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वीरांगना ऊदा देवी के शौर्य और बलिदान का स्मरण किया। बोले कि लखनऊ में वीरांगना ऊदा देवी की प्रतिमा का अनावरण पासी समाज के लिए सम्मान और गौरव का विषय है। यह प्रतिमा हमारी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी। साथ ही पासी समाज के बच्चों, बुजुर्गों, माताओं-बहनों को अपने समाज की वीरता और बलिदान की गाथा से गौरवान्वित करेगी।
अगर हम पहचान और इतिहास को खो देंगे तो भविष्य हम पर अंगुली उठाएगाः कमलेश
केंद्रीय राज्यमंत्री कमलेश पासवान ने कहा कि वीरांगना ऊदा देवी पासी का साहस, देशभक्ति और बलिदान सदियों तक भारत का ताज बना रहेगा। उन्होंने पासी समाज के इतिहास के बारे में जानकारी दी और कहा कि इतिहास लिखने वालों ने हमें वो स्थान नहीं दिया, जिसके हम हकदार थे। पासी समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है। लखनऊ के आसपास के इलाकों में हमारे समाज के पूर्वज प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन बीतते समय के साथ इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार इसे उजागर करने का कार्य कर रही है। उन्होंने राजनाथ सिंह द्वारा सीएम रहते हुए बिजली पासी किले की बाउंड्रीवाल व मरम्मत कार्यों को कराने के लिए धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान हमारे समाज से है। अगर हम अपनी पहचान और इतिहास को खो देंगे तो आने वाला भविष्य निश्चित तौर पर हम पर अंगुली उठाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हुए कहा कि हमारे समाज का जो अस्तित्व इतिहास के पन्नों में होना चाहिए, उसे पाठ्यक्रम में भी शामिल होना चाहिए, ताकि भावी पीढ़ियां ये पढ़ सकें कि महाराज बिजली पासी, ऊदा देवी, लाखन पासी, मदारी पासी, राजा माहे पासी, राजा गंगाबख्श पासी और राजा सुहेलदेव पासी कौन थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमारा वोट 8-9 प्रतिशत है मगर हम बंटे हुए हैं। हमें अपनी राजनीतिक शक्ति दिखानी होगी। हम अगर एक रहेंगे तो हमारा अस्तित्व बना रहेगा।

