gadgets

गैजेट्स के प्रति आकर्षण पिछले कुछ सालों में हुआ कम

1622 0

चंद्रभूषण

गैजेट्स (gadgets) के प्रति आकर्षण पिछले कुछ सालों में कम हुआ है। ऐसे लोग आज भी हैं जो किसी मित्र को अपने दो जेनरेशन पुराने आईफोन से ललचाने के लिए पचीस-पचास किलोमीटर दूर चले जाते हैं। लेकिन लेटेस्ट चीजें खरीदने के लिए अपनी किडनी बेच देने का इरादा जाहिर करने वाली जो छटपटाहट लोगों में कुछ साल पहले दिखती थी, अभी काफी कम नजर आती है। या तो लोगबाग खरीदारी से छक गए हैं, या नई चीजें आम दायरे में आनी बंद हो चुकी हैं।

दिल्ली-एनसीआर के परिचित पुलिसकर्मी पूछने पर बताते हैं कि इस इलाके में मच्योरिटी के लेवल तक पहुंचे ज्यादातर चोर-उचक्कों ने अपना काम मोबाइल चुराने से शुरू किया था। सदी के शुरुआती आठ-दस साल इस मामले में आदर्श थे। लोग हर साल फोन बदलते थे और छह महीने में वह चोरी हो जाए तो चोर को धन्यवाद देते थे, लेकिन यह किस्सा पुराना हुआ। बाजार में चीनी फोनों का बोलबाला होते ही चोरों ने यह लाइन छोड़ दी।

चीजों के प्रति चरम आकर्षण के दो दौर मेरे देखे हुए हैं। पहले का संबंध राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से है। 1984 में इलाहाबाद जाने से पहले मैंने टीवी एक-दो बार झटके में ही देखा था। चित्रहार और इतवार का सिनेमा। लेकिन पांच साल बीतते न बीतते यह शादियों की जरूरी मांग बन गया। विनोदी स्वभाव के अपने एक सुहृद को मैंने बेटे की शादी में टीवी के लिए गिड़गिड़ाते देखा। उसके बाद गुजरे तीस वर्षों में उनके किसी भी मजाक पर मुझे हंसी नहीं आई।

उर्मिला मातोंडकर बनीं शिवसैनिक, उद्धव ठाकरे ने दिलाई पार्टी की सदस्यता

गांव के इतिहास में सबसे ज्यादा दहेज वसूलने का रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में उन्होंने लड़की वालों से पूरी रकम नकद गिना ली थी, लेकिन विवाह संपन्न होते ही उन्हें लगा कि टीवी नहीं लिया तो शादी किस काम की। नतीजा यह कि समधी के सामने झोली फैला दी। वे एक समृद्ध, नौकरीपेशा किसान थे। चाहते तो टीवी अपनी टेंट से भी खरीद सकते थे। लेकिन कुछ खरीदने के लिए बैंक जाने का कलेजा तब कम लोगों के पास हुआ करता था।

दूसरे दौर का जिक्र फोन के हल्ले में आ चुका है। जब बैंकों के कर्जे सस्ते हुए, मामूली चीजों की खरीद में भी ईएमआई का चलन चल पड़ा और अमेरिका-यूरोप में बनने वाले सामान अगले ही दिन आम हिंदुस्तानी का दरवाजा खटखटाने लगे। इंसान का जो अहं उसे बाजार का गुलाम बनने से रोकता था, अचानक उसके सामने सनकी घोषित हो जाने का खतरा पैदा करने लगा।

फ्रायड की भाषा में कहें तो उसका पशु व्यक्तित्व ‘इड’ उसके ‘इगो’ पर छा गया। ऐसे में उसकी विचारधारा और आदर्शों का, ‘सुपरइगो’ क्या हुआ? व्यक्तिगत स्वार्थ और सामुदायिक घृणा पर आधारित राजनीति का दबदबा इसका जाहिर पहलू है। पोशीदा पहलुओं पर जाऊं तो मुझे अपने उन साथियों के बारे में बात करनी होगी, जो आकांक्षा और आदर्श का संतुलन साधने में जरा सा चूक गए। फिर या तो वे भ्रष्ट सिस्टम के अंग बने, या उनके पंखे से लटकने की खबर आई। इस तलवार की धार अब कुंद पड़ रही है, गनीमत है।

Related Post

CM Dhami participated in the Tiranga Shaurya Yatra

पाकिस्तान को संदेश दे दिया गया है कि अब आतंक सहा नहीं जाएगा: सीएम धामी

Posted by - May 16, 2025 0
चंपावत: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने शुक्रवार को जनपद चंपावत के टनकपुर में स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में…
जेएनयू हिंसा

जेएनयू हिंसा : वीसी बोले- हॉस्टल में रहने वाले अवैध छात्र हिंसा में हो सकते हैं शामिल

Posted by - January 11, 2020 0
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बीते पांच जनवरी की हिंसा के बाद पहली बार कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार…
BJP Manifesto

अग्निवीरों को जॉब, महिलाओं को 2100 रुपये महीने…, BJP ने हरियाणा चुनाव के लिए जारी किया संकल्प पत्र

Posted by - September 19, 2024 0
रोहतक। हरियाणा चुनाव (Haryana Elections) के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र (BJP Manifesto) जारी कर दिया है।…
covid crimination

मप्र : श्मशानों पर लगी रही कतार, एक दिन में 18 शवों का हुआ अंतिम संस्कार

Posted by - March 31, 2021 0
भोपाल/इंदौर। मध्यप्रदेश में कोरोना (Covid Patients) वायरस का कहर जारी है। कोरोना से होने वाली मौतों के चलते राजधानी भोपाल…
cm dhami

सीएम धामी से लोक सेवा आयोग अध्यक्ष ने की शिष्टाचार भेंट

Posted by - October 20, 2022 0
देहरादून। मुख्यमंत्री (CM Dhami) से गुरुवार को सचिवालय में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डा.राकेश कुमार ने शिष्टाचार भेंट…