कपालिभाति

कोरोना से मुकाबले के लिए तन-मन को मजबूत बनाएगा कपालिभाति

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नई दिल्ली। पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। इसका मकसद केंद्र सरकार देशवासियों को कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाना है। यह सार्स कोरोना वायरस-2 से बचने का सराहनीय कदम है, लेकिन सरकार की यह योजना तभी कारगर साबित हो सकती है, जब इस वायरस से बचने का प्रयास हम सभी अपने-अपने स्तर पर करें।

कपालिभाति प्राणायाम के जरिए कैसे अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाए?

आइए जानते हैं कि फेफड़ों को और हमारे श्वांस तंत्र को कमजोर करने वाले वायरस कोरोना से बचने के लिए कपालिभाति प्राणायाम के जरिए कैसे अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाए? बता दें कि कपाल का अर्थ होता है खोपड़ी और भाति यानी हल्का करना। अर्थात सांसों के जरिए अपने दिमाग और शरीर को हल्का करना। कपालभाति के दौरान श्वास प्रक्रिया को इस प्रकार नियंत्रित किया जाता है कि शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह तेज होता है। इससे हमारी बॉडी का स्ट्रैस रिलीज होता है और हम हल्का फील करते हैं।

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कपालभांति की प्रक्रिया के दौरान  बॉडी का होता है प्यूरिफिकेशन

कपालभांति की प्रक्रिया के दौरान हमारी बॉडी का प्यूरिफिकेशन होता है। शरीर के टॉक्सिन या वेस्ट मैटर रिलीज हो जाते हैं। इससे हमारा शरीर जीवंतता आती है और हम पहले की तुलना में अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं।

इन बीमारियों को दूर करें

कपालभाति न केवल हमारे फेफड़ों की सफाई करता है बल्कि इसको मजबूत बनाने का काम करता है। इस कारण हम कई सांस संबंधी कई बीमारियों और एलर्जी से बचे रह सकते हैं। क्योंकि कोरोना वायरस भी हमारे श्वशन तंत्र पर हमला करता है, ऐसे में कपालभाति हमारे फेफड़ों और श्वसन तंत्र की वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।

कपालभाति करने का तरीका

  1. एक शांत जगह पर सुखासन (पालथी लगाकर बैठना) में बैठें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  2. सबसे पहले सांसों को सामान्य स्थिति में रखें। फिर नाक के दोनों सुरों की मदद से गहरी सांस लें। सांस अंदर खींचते वक्त आपका पेट फूलना चाहिए। जैसे पेट में हवा भर रही हो।
  3. अब हल्के आउट बर्स्ट की तरह सांस छोड़ें। यानी तेजी से सांस छोड़नी है और सांस छोड़ते वक्त पेट को अंदर की तरफ खींचना है।
  4. यानी जब सांस लेते हैं तो पेट बाहर की तरफ आना चाहिए और जब तुरंत तेजी से सांस छोड़ी जाए तो पेट अंदर की तरफ आना चाहिए। इस दौरान कमर और गर्दन एकदम सीधी रहनी चाहिए।
  5. जब आप कपालभाति करना शुरू करें तो शुरुआती स्तर पर 65 से 70 बार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया करनी चाहिए। जिसे दिनों में धीरे-धीरे बढ़ाकर आप 95 से 105 पर ले जाएं।
  6. कपालभाति लगातार एक मिनट तक कर सकते हैं। इसके बाद नाक के जरिए गहरी सांस लें और मुंह से धीरे-धीरे छोड़ें। इस दौरान मन और शरीर को शांत करने का प्रयास करें।
  7. अपनी सुविधा और अनुभव के आधार पर आप इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं। इस दौरान यदि आपको चक्कर आने की समस्या या सिर में भारीपन का अहसास हो तो अपने साथ जबरदस्ती न करें और प्रक्रिया को यहीं रोक दें।

इन्हें नहीं करनी चाहिए कपालभाति

कपालभाति करने से हमारा शरीर और श्वसन तंत्र इतना मजबूत बनता है कि हमें श्वांस संबंधी रोग नहीं घेर पाते। लेकिन यदि किसी को श्वांस संबंधी बीमारियां पहले से हैं तो उन्हें कपालभाति की प्रक्रिया किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करनी चाहिए। जिन लोगों में दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर या हर्निया जैसा कोई रोग है। तो इन्हें कपालभाति का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को कपालभाति करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

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रोज करने का ये होता है फायदा

जो लोग नियमित रूप से कपालभाति करते हैं, उनका न केवल श्वसन तंत्र बल्कि पेट की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। नियमित रूप से कपालभाति करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। इससे दिमाग में ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ता है और ब्रेन को अधिक एनर्जी मिलती है, जिससे एकाग्रता बढ़ती है और हमें मेडिटेशन करने में भी मदद मिलती है।

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