किसना ने की आत्महत्या

कर्ज से परेशान किसान ने की बैंक के सामने खड़े पेड़ से लटककर आत्महत्या, सुसाइड नोट

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सहारनपुर। जहां एक तरफ बैंक के काले कारनामे के चलते अपने पैसे न निकाल पाने वाले लोग दर-दर भटक रहे हैं वहीं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक किसान इसी कारनामे से परेशान होकर आत्महत्या कर लिया। यह घटना शनिवार देर रात तब हुई जब कर्ज से परेशान होकर किसान ने बैंक के सामने खड़े पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली।

फतेहपुर थाने के गांव अल्लीवाला निवासी 50 वर्षीय वेदपाल सिंह पुत्र मेहर सिंह ने शनिवार की देर शाम सात बजे फतेहपुर भादो स्थित पीएनबी की शाखा के सामने खड़े आम के पेड़ पर फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्ट के लिए भेज दिया था।

मृतक किसान की दो बेटियों की शादी हो चुकी है। एक बेटा करीब दस वर्ष का है। आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। जमीन 12 बीघा है। परिजनों के अनुसार मृतक किसान बैंकों, सोसायटी और साहुकारों सहित करीब पांच लाख रुपये का कर्ज है। उसकी मौत के बाद पत्नी और बेटे के सामने पेट भरने का भी संकट खड़ा हो गया है।

थानाध्यक्ष अमित शर्मा ने बताया कि मृतक की जेब से मिले सुसाइड नोट में उसने अपनी मौत का जिम्मेदार पीएनबी के शाखा प्रबंधक और बैंक में सक्रिय दलालों को बताया है। उनका कहना है कि अभी तहरीर नहीं आई है। तहरीर आते ही रिपोर्ट दर्ज कर ली जाएगी। वहीं कर्ज के बोझ तले दबे किसान द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद किसान संगठनों में उबाल है। किसान नेताओं ने प्रबंधक और दलालों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

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जबकि भाकियू तोमर ने इस घटना के विरोध में 13 मार्च को पीएनबी पर धरना देने का एलान किया है। मंडल प्रभारी अजय पुंडीर ने कहा कि मृतक किसान को बीस लाख रुपये मुआवजा, आश्रित को सरकारी नौकरी और बैंकों का कर्ज माफ किया जाए।

कांग्रेस के जिला अध्यक्ष चौ मुजफ्फर तौमर और उत्तराखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण वक्फ बोर्ड निगम के पूर्व निदेशक मौ मुजतबा ने कहा कि सरकार की विफलता के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

पीएनबी के बैंक प्रबंधक राकेश चौहान का कहना है कि मृतक किसान का बैंक में लोन खाता एनपीए हो गया था। जिसे बाद में वन टाइम स्किम के तहत सेटलमेंट करके खत्म कर दिया गया था। इसके बाद किसान ने यूबीआई से कर्ज ले लिया था।

ऐसे में उनके बैंक से उसे फिर से कर्ज देना संभव नहीं था। वह दोबारा कर्ज मांग रहा था। शनिवार को किसान बैंक में स्टेटमेंट लेने आया था जो उसने फिल्ड अफसर से ली थी। उन पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है। साथ ही उनकी शाखा में कोई भी दलाल सक्रिय नहीं है।

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