चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर

‘निशानेबाज दादियां’ चंद्रो और प्रकाशी ने उम्र को किया घुटने टेकने पर मजबूर

1316 0

नई दिल्ली। ऐसा कहते है कि हर एक सफलता की अपनी एक उम्र होती हैं, लेकिन अगर कहे कि किसी में कुछ करने का जज्बा होता है तो उसके आगे उम्र भी हाथ जोड़कर पीछे हट जाती है। ऐसा ही कुछ इन ‘निशानेबाज दादियों’ ने कर दिखाया। जिस उम्र में किसी भी उपलब्धी को हासिल करना नमुमकिन सा होता है, उस उम्र में ‘निशानेबाज दादियों’ ऐसी उपलब्धियां हासिल कीं जो दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 89 साल की चंद्रो तोमर जो ‘शूटर दादी’ या ‘रिवॉल्वर दादी’ के नाम से मशहूर है, इन्होने न सिर्फ खुद ही निशाना साधा बल्कि अपनी देवरानी प्रकाशी तोमर को भी इस क्षेत्र में ले आईं।

89 पार चंद्रो और 80 पार प्रकाशी ने कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। इनकी पोती शेफाली तोमर तो अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज है ही।  इन दोनों दादियों की कहानी में सबसे दिलचस्प बात यह कि इन लोगों का 65 की उम्र तक शूटिंग से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन उसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ मानों समूची दुनिया उनकी मुट्ठी में आ गई। बॉलीवुड भी उनकी उपलब्धियों का बखान करने मेें पीछे नहीं रहा। उन पर बनी फिल्म ने करोड़ों का कारोबार किया।

चंद्रो तोमर

चंद्रो तोमर गपत के जौहडी गांव से हैं, जो बताती हैं कि गांव में शूटिंग रेंज खुली तो पोती शेफाली को सिखाने के लिए ले गई। एक रोज कारतूस को गन में लगाया और टारगेट की ओर चला दिया। पहली बार में ही सीधा बीच में जा लगा। कोच ने कहा, दादी तुम भी सीखा करो।

उस दिन से उनकी हिम्मत और हौसले ने उन्हें आम से खास बना दिया। चंद्रो का कहना है, 65 साल  की उम्र में सफर शुरू हुआ। प्रतियोगिता जीती तो अखबार में फोटो छपा। लोगों ने फोटो देखी तो उन्हें खुशी हुई और थोड़ी हिम्मत मिली कि अब रुकना नहीं है।

पहले एक-एक कर IAS अधिकारी फिर मुख्य सचिव बन तीन बहनों ने रचा इतिहास

सफर में आई दिक्कतों पर लंबी सांस लेते हुए दादी चंद्रो कहती हैं-‘लाल्ला, बस डटे रहे पाच्छे मुडके ना देख्या।’ एक बार ठान लिया तो बस निशाना लगाते रहे और आगे बढ़ते रहे। कुछ अलग करने की सोचो तो वैसे ही तमाम परेशानियां आती हैं । बात महिला की हो तो और भी ज्यादा। मेरा कहना है कि ठहरना नहीं है, लगे रहना है। सफलता मिल जाएगी तो वही लोग तारीफ करने लगते हैं।

प्रकाशी तोमर

मैं भी एक रोज बेटी सीमा को लेकर चुपचाप रेंज पहुंची। प्रकाशी बताती हैं- कोच कहन लाग्या दादी तू भी लगा ले एक निशाना, मैंने छर्रा उठाकर निशाना लगा दिया। पहला ही टारगेट पर लगा, लेकिन गांव में मजाक भी खूब उड़ा। बस इसके बाद पोतियों रूबी व प्रीति को भी साथ ले जाने लगी।

यह बात घर पर बच्चों के अलावा किसी को पता नहीं थी। जग में पानी भरकर भूसे के कमरे में काफी देर चुपचाप हाथ को सीधा करके खड़े रहते थे ताकि संतुलन साधने का अभ्यास हो सके। बेटे तो साथ थे लेकिन घर के बड़ों को खेलना पसंद नहीं था।

इसलिए उन्हें कभी कीर्तन में जाना बताया तो कभी मायके। जब चंडीगढ़ में गोल्ड मेडल जीता, तो बेटों ने अपने पिता को दिखाया। अखबार में फोटो आई तो उन्हें खेल के बारे में बताया। खुश करने के लिए बताया कि गोल्ड मेडल में सोना निकलता है।

Related Post

SS Sandhu

चमोली की घटना के बाद मुख्य सचिव ने दिए सभी विभागों में विद्युत आपूर्ति की जांच के निर्देश

Posted by - July 20, 2023 0
देहारादून। चमोली (Chamoli Accident) में हुए हादसे के बाद गुरुवार को मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु (SS Sandhu) ने सभी…
SS Sandhu

सार्वजनिक उद्यम एवं निगमों को 3 श्रेणियों में बांटा जाए: मुख्य सचिव

Posted by - December 22, 2023 0
देहरादून। मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु (SS Sandhu) ने शुक्रवार को सचिवालय में सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं के कार्य-कलापों…
cm dhami

पलायन रोकने के लिए गांवों पर केन्द्रित योजनाओं पर दिया जाए ध्यान : सीएम धामी

Posted by - July 23, 2022 0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए गांवों पर केन्द्रित…
ठाकोर सेना का अल्पेश ठाकोर को अल्टीमेटम

ठाकोर सेना का अल्पेश ठाकोर को अल्टीमेटम,24 घंटे में छोड़ें कांग्रेस

Posted by - April 10, 2019 0
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर कांग्रेस से अगले 24 घंटे में इस्तीफा देंगे। वह पाटन लोकसभा सीट से चुनाव…