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संस्कृत से सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वालों की संबल बनी योगी सरकार

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लखनऊ: योगी सरकार संस्कृत (Sanskrit) से सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वालों की संबल बनी है। सीएम योगी के इस दूरदर्शिता का लाभ न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि अन्य प्रदेशों के विद्यार्थी भी उठा रहे हैं। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान 2019 से युवाओं को सिविल सर्विसेज समेत अन्य परीक्षाओं की तैयारी करा रहा है। सिविल सर्विसेज-2024 के परिणाम में भी दो विद्यार्थियों का चयन हुआ है। उप्र संस्कृत संस्थान से तैयारी करने वाले विद्यार्थियों में अब तक 4 आईएएस, 18 पीसीएस समेत कुल 62 विद्यार्थी का सिविल सर्विसेज व अन्य परीक्षा में चयन हुआ है। यही नहीं, योगी सरकार के निर्देशन में संस्थान द्वारा विद्यार्थियों को 3000 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति, निःशुल्क पाठ्य सामग्री आदि सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती है। चयनित विद्यार्थियों ने संस्कृत संस्थान के प्रयासों की सराहना की।

सिविल सर्विसेज परीक्षा-2024 में भी दो विद्यार्थियों का चयन

संस्कृत संस्थान (Sanskrit Institutes) के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश मिश्र ने बताया कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान से तैयारी करने वाले दो विद्यार्थियों का चयन सिविल सर्विसेज परीक्षा-2024 में हुआ है। इनमें से तन्मय ने 346वां व यतीश अग्रवाल ने 761वां स्थान प्राप्त किया है।

तन्मय नागपुर व यतीश अग्रवाल मध्य प्रदेश के धार के रहने वाले हैं। इसके अलावा सत्र 2023-24 में शैली शुक्ला का चयन लेखपाल पद पर हुआ। इसी सत्र में राजभूषण मौर्या, उपासना त्रिपाठी, संगम वाजपेयी का असिस्टेंट प्रोफेसर और श्रेतांक मिश्रा, पीयूष मिश्रा, चंदन यादव व आलोक पांडेय का चयन संस्कृत प्रवक्ता पद पर हुआ है।

युवा वर्ग में संस्कृत भाषा के प्रति रूचि जागृत करने के लिए उद्देश्य से चलाई जा रही योजना

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संस्कृत (Sanskrit) के प्रति अनुराग व संकल्प से प्रेरित होकर दिसम्बर-2019 में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के फ्लैगशिप कार्यक्रम के अंतर्गत सिविल सेवा निशुल्क प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य संस्कृत (Sanskrit) भाषा को रोजगारोन्मुख एवं प्रशासनिक सहभागिता के साथ युवा वर्ग में संस्कृत भाषा के प्रति रूचि जागृत करने के उद्देश्य से संचालित। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री (CM Yogi)  के निर्देशन में उत्तर प्रदेश में संस्कृत प्रशासनिक पदों को प्राप्त करने की भाषा बनने की ओर अग्रसर है जबकि पूर्व में जनसामान्य में धारणा थी कि यह केवल कर्मकांड की भाषा है।

विद्यार्थियों को प्रतिमाह तीन हजार रुपये दी जाती है छात्रवृत्ति

सिविल सेवा निःशुल्क प्रशिक्षण मार्गदर्शन कार्यक्रम के को-ऑर्डिनेटर डॉ. शीलवंत सिंह ने बताया कि संस्कृत (Sanskrit) साहित्य विषय को सिविल सेवा परीक्षा में रखकर प्रारंभिक सह मुख्य परीक्षा के साथ-साथ साक्षात्कार तक की तैयारी कराने का 10 माह का एकीकृत निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम है। इसमें विद्यार्थियों को प्रतिमाह तीन हजार रुपये छात्रवृत्ति के साथ ही निःशुल्क पाठ्य अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट, टेस्ट श्रृंखला के साथ ही विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रतिदिन चार से पांच घंटे की कक्षाएं भी होती हैं। संस्कृत साहित्य व अन्य विषयों से चयनित उच्चाधिकाारियों को समय-समय पर विशेष व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया जाता है।

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित सिविल सेवा प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम में प्रारंभिक-मुख्य परीक्षा के साथ-साथ साक्षात्कार में मुझे काफी सहयोग मिला। इस योजना के संचालन हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी एवं संस्थान के गुरुजनों का भी विशेष धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।
यतीश अग्रवाल

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की छात्रवृत्ति ने जहां एक ओर आर्थिक सहयोग प्रदान किया, वहीं संस्थान द्वारा द्विभाषीय पाठ्य अध्ययन सामग्री, टेस्ट श्रृंखला और लेखन कौशल पर विशेष मार्गदर्शन द्वारा मैं अपने दूसरे प्रयास में सफल हो सका। मेरी सफलता में संस्कृत संस्थान के गुरुजनों की महत्वपूर्ण भूमिका रहीं। इस योजना के सफल संचालन के लिए मैं मुख्यमन्त्री योगी जी का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
तन्मय

खास बातें

👉दिसंबर 2019 से शुरू हुआ उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के फ्लैगशिप कार्यक्रम के अंतर्गत सिविल सेवा निःशुल्क प्रशिक्षण व मार्गदर्शन कार्यक्रम
👉प्रशिक्षण के लिए चयनित विद्यार्थी- 256
👉विभिन्न सेवाओं में चयनित विद्यार्थी- 62
👉4 आईएएस, 2 एसडीएम, 1 डिप्टी एसपी, 3 नायब तहसीलदार, 1 ट्रेजरी अधिकारी, 1 खंड शिक्षाधिकारी, 1 सहायक जिला चकबंदी अधिकारी, 6 असिस्टेंट प्रोफेसर, 2 बीएसए, 4 समीक्षा अधिकारी (आरओ), 1रेलवे गार्ड, 1 रेलवे टीसी समेत 35 अन्य सेवाओं में
वर्तमान में ऑफलाइन चल रही कोचिंग।
👉संस्कृत साहित्य की कक्षाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से होती हैं।

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