लखनऊ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत पूरी दुनिया ने भारत को इस मिशन के लिए बधाई दी। इस क्षेत्र में यह पहली बार हुआ कि दो महिला वैज्ञानिकों ने इसमें अहम भूमिका निभाई।इससे यहपता चलता है की पुरुष प्रधान देश में महिलाएं आगे हैं –
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अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में कार्यरत 1,332 कर्मचारियों पर एक सर्वे किया गया। इससे यह नतीजा निकला कि महिलाओं में ऐसे खास गुण होते हैं जो उन्हें प्रबंधन के क्षेत्र में काफी मदद करते हैं जिससे वे एक बेहतर मैनेजर साबित होती हैं।
साल 2017 में आईआईटी की अलग-अलग शाखाओं में फैलोशिप के लिए किए गए आवेदनों में महिलाओं की संख्या सिर्फ 10 फीसदी थी। जबकि फैलोशिप के लाभार्थियों में वे सिर्फ पांच फीसदी थीं। हालांकि कई ऐसे सेक्टर हैं जहां महिलाओं की स्थिति में बेहतरी हुई है।
भारतीय समाज में महिलाओं की वास्तविक स्थिति क्या है। इस बारे में टीम लीज संस्थान ने एक सर्वे किया। इसके अनुसार 72 फीसदी महिलाओं का मानना है कि महिला-पुरुष के बीच भेद बरकरार है और भारत में उद्योग और कंपनियां महिलाओं को नौकरी देने के मामले में अभी भी अनिच्छुक हैं।
देशभर में 2.8 लाख वैज्ञानिक, इंजीनियर और टेक्नोलॉजिस्ट हैं, जिसमें महज 14 फीसदी ही महिलाएं हैं। वहीं अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों में सिर्फ 25 फीसदी महिलाएं ही कार्यरत हैं,
बैंकिंग और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में महिलाएं का प्रदर्शन भी बेहतर है।