यूपी में आधे से अधिक भाजपा विधायकों की 2 से अधिक संतान

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उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर मची गहमागहमी में भाजपा विधायकों के बच्चों को लेकर हुए खुलासे ने चौका दिया है। प्रदेश में 304 भाजपा विधायक हैं, 152 विधायक ऐसे हैं जिनके तीन या उससे अधिक बच्चे हैं, आधे ही ऐसे हैं जिनके दो या इसके कम बच्चे हैं। ताज्जुब की बात ये की 8 विधायक ऐसे हैं जिनकी 6 संताने हैं, एक विधायक की 8 एवं एक विधायक की सात संतान हैं।

विधानसभा के भीतर 15 विधायक ऐसे हैं जिनके 5-5 बच्चे हैं, 44 विधायकों के 4-4 बच्चे हैं, 83 विधायकों की तीन संतानें हैं।योगी सरकार अगर ये कानूून बनाती है तो आधे से अधिक विधायक सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे, चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है।

बात यहीं खत्म नहीं होती है। गोरखपुर से लोकसभा सांसद और भोजपुरी फिल्म अभिनेता रवि किशन ने जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। रवि किशन भी बीजेपी के सांसद हैं और चार बच्चों के पिता हैं। यह अलग बात है कि सरकार के समर्थन के बिना कोई प्राइवेट मेंबर बिल शायद ही पास हो सके। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, संसद ने वर्ष 1970 से ही कोई प्राइवेट मेंबर बिल पास नहीं किया है।

देशभर में जनसंख्या नियंत्रण के मकसद से संसद में लाए गए जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019 में भी दो दो बच्चों की नीति (Two Children Policy) को ही सरकारी सुविधाओं का आधार बनाया गया है। यानी, दो बच्चों से ज्यादा के माता-पिता हैं तो कानून लागू होने पर सरकारी नौकरी और सब्सिडी पाने के अयोग्य हो जाएंगे। लोकसभा की वेबसाइट कहती है कि 186 सांसद इस कानून के दायरे में आ जाएंगे। इनमें 105 सांसद बीजेपी के हैं जिन्हें दो से ज्यादा बच्चे हैं।

योगी सरकार ने दी कांवड़ यात्रा को मंंजूरी, सुप्रीम कोर्ट ने थमा दिया नोटिस

केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिले नोटिस के जवाब में कहा था कि भारत, जनसंख्या नियंत्रण के स्वैच्छिक उपायों के बल पर 2.1 की प्रजनन दर से रिपेल्समेंट लेवल के मुहाने पर आ गया है। यानी, देश में अभी प्रति महिला औसतन 2.1 बच्चे पैदा कर रही है जो मौजूदा आबादी में स्थितरता के लिहाज से सटीक है। मतलब ये कि इस प्रजनन दर से न आबादी बढ़ेगी और न घटेगी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चीन के साथ-साथ दुनिया के कुछ देशों में लागू जनसंख्या नियंत्रण का मॉडल बताता है कि प्रति दंपती बच्चे की संख्या निर्धारित कर देने से आबादी के स्तर पर काफी गड़बड़ी सामने आ सकती है जिसका खतरनाक परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

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