लाल किले की प्राचीर से मौका न गंवाने का संकल्प

509 0

सियाराम पांडेय ‘शांत’

लाल किले (Red Fort) की प्राचीर से प्रधानमंत्री का सम्बोधन मायने रखता है। देश-दुनिया की उस पर नजर होती है। प्रधानमंत्री का संबोधन राजनीतिक भाषण कम, देश के विकास का विजन ज्यादा होता है। उस पर देश का भविष्य आश्रित होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गुलामी के दर्द को यह देश कभी नहीं भूलेगा। अब से हर 14 अगस्त की तारीख विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में जानी जाएगी। सच भी है कि जो देश अपने अतीत को भूल जाता है, उसका वर्तमान और भविष्य अपना आधार खो देता है। इसलिए अतीत की गलतियों से हमें जरूर सबक लेते रहने चाहिए।

हमें याद करना चाहिए कि चीन हमसे 2 साल बाद आजाद हुआ था। तब वह बेहद गरीब मुल्क हुआ करता था लेकिन आज वह कहां है?इसलिए कि वहां के लोगों ने अपनी आजादी की कीमत समझी। भारत की गुलामी की वजह अगर गद्दारी और बेईमानी थी तो आज भी देश को नुकसान पहुंचाकर विदेशियों की नजर में अच्छा बनने वालों की यहां कमी नहीं है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बिल्कुल सही कहा है कि जबतक यह देश चीन पर निर्भरता कम नहीं करेगा, तब तक वह आत्मबल से मजबूत नहीं हो सकता। उन्होंने मोबाइल में चीनी उपकरणों का जिक्र किया। सवाल यह है कि जबतक हम शार्ट कट की संस्कृति से नहीं उबरेंगे, तब तक हमारा अपना कुछ मौलिक होगा ही नहीं।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि आगामी 25 साल भारत के सृजन का अमृत काल है। हर क्षण कीमती होता है, विचारणीय तो यह है कि हम उसका इस्तेमाल कैसे करते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस अमृतकाल की बात कर रहे हैं, वह लक्ष्य केंद्रित है। योजना आधारित है। उनका इशारा यह है कि इस समय का बेहतर उपयोग कैसे हो सकता है, क्या कुछ नया और किया जा सकता है। सम्पूर्ण विकास की प्राप्ति कैसे हो सकती है। भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी रूपरेखा तय कर दी है। 100 लाख करोड़ रुपये की गतिशक्ति योजना, ग्रीन हाईड्रोज़न मिशन, 75 वंदे भारत ट्रेन संचालन और सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश की घोषणा को कमोबेश इसी स्वरूप में देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का नारा भी दिया है। साथ ही देशवासियों को यह नसीहत भी दी है कि उन्हें अभी से अपने लक्ष्य में जुट जाना चाहिए। इस देश के पास खोने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है।

लाल किले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्बोधन कांग्रेस के पूर्व मंत्री जयराम रमेश को बकवास लग सकता है लेकिन देश की तरक्की में, उसके प्रोत्साहन में वह मील का पत्थर बन सकता है। उनके आवाहन गीत ‘यही समय है, सही समय है, भारत का अनमोल समय है। असंख्य भुजाओं की शक्ति है, हर तरफ़ देश की भक्ति है, तुम उठो तिरंगा लहरा दो, भारत के भाग्य को फहरा दो’ के अपने मायने हैं। उनके इस विश्वास की सराहना की जानी चाहिए कि इस देश के लोग अगर खुद को बदलें तो 21वीं सदी में भारत के सपनों को पूरा होने से कोई बाधा नहीं रोक सकती।

पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान पर भी निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि भारत विस्तारवाद और आतंकवाद की चुनौतियों से निरंतर जूझ रहा है। यह भरोसा भी दिलाया है कि प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय योजना औद्योगिक गतिविधियों को तो बढ़ावा देगी ही, यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करेगी। ऊर्जा के मामले में देश को आत्मिनर्भर बनाने का उनका आश्वासन काबिले तारीफ है। बुनियादी विकास ढांचा और संरचना क्षेत्र विकसित करने की बात तो उन्होंने की ही, इसके लिए एक समग्र रुख की जरुरत पर भी बल दिया। इस बाबत अतिशीघ्र गतिशक्ति- राष्ट्रीय मास्टर प्लान योजना शुरू करने की घोषणा भी की। देशवासियों को वे यह बताना और जताना भी नहीं भूले कि उसे विकास क्षेत्र में पूर्णता हासिल करनी है। आज दुनिया भारत को एक नई दृष्टि से देख रही है। भारत आज अपना लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और गगनयान भी बना रहा है और यह स्वदेशी उत्पादन में भारत के सामर्थ्य को उजागर करता है।

उन्होंने देशवासियों को उनका हनुमत बल भी याद दिलाया है। उन्हें यह बताया है कि हमारी ताकत हमारी जीवटता है, हमारी ताकत हमारी एकजुटता है। हमारी प्राण शक्ति, राष्ट्र प्रथम सदैव प्रथम की भावना है। 21वीं सदी में भारत को नयी ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए भारत के सामर्थ्य का सही और पूरा इस्तेमाल जरूरी है और इसके लिए जो वर्ग या क्षेत्र पीछे छूट गए हैं उन्हें आगे बढ़ाना ही होगा। आज पूर्वोत्तर में संपर्क का नया इतिहास लिखा जा रहा है। ये संपर्क दिलों का भी है और बुनियादी ढांचों का भी है। बहुत जल्द पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियों को रेल सेवा से जोड़ने का काम पूरा होने वाला है। हमारा पूर्वी भारत, पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख सहित पूरा हिमालय का क्षेत्र हो या हमारा तटीय क्षेत्र या फिर आदिवासी अंचल हो, यह भविष्य में भारत के विकास का बड़ा आधार बनेंगे। लद्दाख में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय’ का जिक्र कर उन्होंने हिमालयीय क्षेत्र में विकास के संतुलन की भी बात कही।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश के 80 प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं, जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। देश में पहले जो नीतियां बनीं, उनमें इन छोटे किसानों पर अपेक्षित ध्यान केंद्रित नहीं किया गया। अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भारत की आजादी के 100 साल पूरे होने तक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के अपने लक्ष्य को पूरा कर लें।

देश की आजादी का अमृत महोत्सव मनाना गौरव की बात है लेकिन हमें आत्मविश्लेषण भी करना होगा कि जो देश हमारे साथ या हमारे बहुत बाद आजाद हुए थे, वे हमसे अधिक सशक्त और समर्थ कैसे हो गए? इसलिए कि वे अपने राष्ट्र के लिए काम करते हैं, जीते हैं और हम केवल अपने लिए। उन्हें राष्ट्र की चिंता है और हमें निजता की। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत का विजन कैसे पूरा होगा, चिंतन तो इस पर होना चाहिए। सभी के सामर्थ्य को उचित अवसर देने की भावना को मूर्त रूप दिए बिना हम इस देश को वैसे भी आगे नहीं ले जा सकते।

Related Post

MCD election

MCD उपचुनाव : पांच में से चार सीटों पर आप जीती, कांग्रेस के हिस्से में एक सीट, भाजपा की बड़ी हार

Posted by - March 3, 2021 0
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम  (delhi mcd)के पांच वार्ड पर उपचुनावों के लिए बुधवार सुबह शुरू हुई मतगणना में चार…
CM Yogi

आप स्कूल में मेरा एडमिशन करा दीजिए… , नन्ही बच्ची के अंदाज को देख मुस्कुरा उठे सीएम योगी

Posted by - June 23, 2025 0
लखनऊ: गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में संत की भूमिका, मुख्यमंत्री (CM Yogi) के रूप में सख्त प्रशासक का दायित्व, लेकिन इन…
governor

राज्यपाल ने बताईं सरकार की उपलब्धियां, कहा- मेरी सरकार की प्रतिस्पर्धा अब स्वयं से

Posted by - May 23, 2022 0
लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) ने राज्य सरकार (State government) के पिछले पांच वर्षों को सुशासन का काल कहा…