अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड योजना फेल
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने पत्र में लिखा कि ग्रामीण इलाकों में तो कोरोना की जांच तक नहीं हो रही है। शहरी इलाकों के लोगों को जांच कराने में काफी मुश्किलें हैं। कई दिन तक रिपोर्ट नहीं आती. 23 करोड़ की आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास सिर्फ 126 परीक्षा केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं। पूरी दुनिया में कोरोना की जंग चार स्तंभों पर टिकी है। जांच, उपचार, ट्रैक और टीकाकरण। यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे तो फिर हम इस जानलेवा वायरस को कैसे हराएंगे ?
प्रियंका ने लिखा कि दूसरी सबसे बड़ी चिंता अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाइयों की घोर किल्लत और इनकी बड़े पैमाने पर कालाबाजारी को लेकर है। आयुष्मान कार्ड योजना फेल हो चुकी है. उसे कोई अस्पताल नहीं मान रहा। लोगों को ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जीवन रक्षक दवाओं के लिए 3-4 गुना कीमत चुकानी पड़ रही है।
मौत के आंकड़ों में खेल बंद करे सरकार
तीसरी चिंता श्मशान घाट पर निर्भरता से हो रही लूट-खसोट और कुल मौतों के आंकड़ों को कम बताने को लेकर है। प्रियंका गांधी ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में आंकड़ों को कम दिखाने का खेल हो रहा है। लोगों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी नहीं मिल रही। अपने प्रियजनों को श्मशान घाटों तक ले जाने के लिए परिवारों को एंबुलेंस के लिए 12-12 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है, क्योंकि कूपन नहीं है।
प्रियंका ने लिखा कि चौथी चिंता उत्तर प्रदेश में सुस्त टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर है। टीकाकरण शुरू हुए 5 माह बीत गए, लेकिन प्रदेश में एक करोड़ से कम लोगों को ही अब तक टीका लगाया जा सका है। दूसरी लहर महीनों पहले आनी शुरू हो गई थी।
प्रियंका गांधी(Priyanka Gandhi) ने कहा कि मानवता की इस लड़ाई में लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अकेला मत छोड़िए। आप उनके प्रति जवाबदेह हैं। इस संकट के समय यदि आप दृढ़ निश्चय लेकर सरकार के पूरे संसाधन नहीं डालेंगे तो भावी पीढ़ियां आपको कभी माफ नहीं करेंगी। इस महामारी का सच सामने ला रहे लोगों को जेल में बंद करने और उनकी संपत्ति जब्त करने के आदेश के पीछे आपकी जो भी मंशा हो, कृपया सबसे पहले इस जानलेवा वायरस को काबू करने की कोशिश पर अपना ध्यान केंद्रित करें।
प्रियंका गांधी ने सरकार को दिए ये सुझाव
- सभी स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए।
- सभी बंद किए जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से तुरंत अधिसूचित करें। युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन युक्त बेड की उपलब्धता बढ़ाएं। सभी सेवानिवृत्त चिकित्सा कर्मियों, मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ को उनके घरों के पास स्थित अस्पतालों में काम करने के लिए बुलाया जाए।
- कोरोना संक्रमण में मौत के आंकड़ों को छिपाने की बजाए श्मशान, कब्रिस्तान और नगर पालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए।
- आरटीपीसीआर जांच की संख्या बढ़ाएं. सुनिश्चित करें कि कम से कम 80 परसेंट जांच आरटीपीसीआर से हो। ग्रामीण क्षेत्रों में नए जांच केंद्र खोलें और पर्याप्त जांच किटों की खरीद और प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त किया जाए।
- आंगनबाड़ी और आशा कर्मियों की मदद ली जाए। वह ग्रामीण इलाकों में दवाओं और उपकरणों की कोरोना किट बांटें।
- ऑक्सीजन के भंडारण की एक नीति बनाई जाए हर ऑक्सीजन टैंकर को पूरे राज्य भर में एंबुलेंस का स्टेटस दिया जाए।
- गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी, पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से रोजी-रोटी छोड़कर घर लौटने वाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद दी जाए।
- बुलंदशहर में बने भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कारपोरेशन में टीके के निर्माण की संभावना तलाशी जाए।
- कोरोना की पहली लहर से बुनकर, कारीगर, छोटे दुकानदार, छोटे कारोबार तबाह हो चुके हैं। दूसरी लहर में उन्हें कम से कम कुछ राहत जैसे बिजली, पानी, स्थानीय टैक्स आदि से राहत दी जाए।
- सरकार प्रदेश के सभी लोगों, दलों और संस्थाओं को आगे आने और मदद करने के लिए प्रोत्साहित करे।