Ramlila

अब कुंभकर्ण और मेघनाद का नहीं होगा दहन, जानें पूरा मामला

224 0

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ऐशबाग में होने वाले रामलीला (Ramlila) में इस बार 350 साल की परंपरा टूटेगी। इस बार लंकापति रावण (Ravan) के साथ उसके पुत्र मेघनाथ (Meghnad) और छोटे भाई कुंभकर्ण (Kumbhakarna) का पुतला दहन नहीं किया जाएगा। ऐशबाग रामलीला समिति (Aishbagh Ramlila Samiti) के महामंत्री आदित्य द्विवेदी ने बताया कि रावण के भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ ने बलिदान दिया था।

आदित्य द्विवेदी ने कहा, ‘जब कुंभकरण को निद्रा से जगाया गया, तब कुंभकरण ने पूछा कि आखिर उसे समय से पहले क्यों जगाया गया तो लंका के पदाधिकारियों ने बताया कि लंका पर राम की सेना ने आक्रमण कर दिया है इसीलिए उसे समय से पूर्व लगाया गया है तो कुंभकरण ले आक्रमण का कारण पूछा लंका के पदाधिकारियों ने बताया कि महाराज रावण ने राम की धर्मपत्नी सीता का अपहरण कर उसे लंका ले आए हैं जिसके चलते लंका पर युद्ध का खतरा मंडरा चुका है।’

आदित्य द्विवेदी ने आगे कहा, ‘कुंभकरण अपने भाई रावण के पास गया और कहा कि आपने साक्षात जगदंबा को उठा लाये हैं, अब समूल विनाश निश्चित है, अभी भी समय है, अगर श्रीराम की पत्नी को वापस कर दिया जाए तो युद्ध टल सकता है, ऐसे में रावण ने कुंभकरण से कहा कि यदि तुम युद्ध में जाने से भयभीत हो तो मैं अकेले ही युद्ध कर लूंगा, रावण की यह बात सुनकर कुंभकरण ने कहा छोटे भाई के रहते बड़ा भाई युद्ध भूमि में जाए यह उचित नहीं।’

आदित्य द्विवेदी ने बताया, ‘रामायण में इसका उल्लेख मिलता है कि कुंभकरण ने समर भूमि में जाने से पहले रावण से कहा कि यदि वह वीरगति को प्राप्त हो जाता है तो समझ लीजिएगा कि शत्रु कोई और नहीं बल्कि स्वयं नारायण है और उनसे संधि कर लें।’

आदित्य द्विवेदी ने आगे बताया, ‘लंकापति रावण के पुत्र मेघनाथ जब युद्ध भूमि में गए और राम-लक्ष्मण का सामना किया, इस दौरान उन्होंने राम-लक्ष्मण पर कई शक्तियों का प्रयोग किया, ब्रह्मास्त्र से लेकर नारायणास्त्र तक राम-लक्ष्मण की परिक्रमा करके वापस लौट आए, यह दृश्य देख मेघनाथ आश्चर्यचकित और अचंभित हो गए थे, जिसके बाद वह जान गए थे राम लक्ष्मण को युद्ध में पराजित नहीं किया जा सकता और वह युद्ध से अपने पिता को बताने आए थे कि उनसे संधि कर ली जाए, अभी भी देरी नहीं हुई है।’

‘लेकिन रावण ने मेघनाद से उल्टा कहा कि शत्रु के प्रभाव में आकर ऐसी व्याख्या और बखान ना करें युद्ध भूमि से भाग आना यह कायरता को दर्शाता है यह बात सुनकर मेघनाथ अपने पिता से विनम्रता पूर्वक कहते हुए कहा कि वह युद्ध भूमि से भागकर नहीं अपितु उनको सावधान करने आया था। इसके बाद मेघनाथ ने कहा कि वह अपने राज्य और पिता की आन-बान और शान के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देगा।’

आदित्य द्विवेदी बताते हैं कि यह दोनों योद्धाओं ने अपना जीवन बलिदान किया था और ऐसे में अब उनका सम्मान होना चाहिए, इसीलिए समिति ने निर्णय किया है कि 350 साल की परंपराओं को तोड़कर नई परंपरा चालू की जाए।

Related Post

Siddharth

अभी भी सही आंकड़े देकर अखिलेश अपनी गलती सुधार सकते हैं: सिद्धार्थ नाथ

Posted by - March 22, 2022 0
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री एवं सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह (Siddharth Nath singh) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi…
यूपी बोर्ड परीक्षा

यूपी बोर्ड परीक्षा: पंचायत चुनाव के कारण तारीखों में हो सकता है बदलाव

Posted by - March 23, 2021 0
लखनऊ। यूपी में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कारण उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद मतलब यूपी बोर्ड परीक्षा (UP…
AK Sharma

नगरों की साफ सफाई का प्रयास किया जाए, कहीं पर भी न दिखाई दे कूड़ा का ढेर: एके शर्मा

Posted by - September 16, 2023 0
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा (AK Sharma) ने सभी 762 निकायों में 15 सितंबर…
Yogi Cabinet

1.5 करोड़ किसानों को योगी सरकार का होली गिफ्ट, निजी नलकूप पर 100 प्रतिशत बिजली बिल माफ

Posted by - March 5, 2024 0
लखनऊ । योगी सरकार (Yogi Government) ने प्रदेश के करोड़ों किसानों को होली से पहले ही बड़ा तोहफा प्रदान किया…
Anandiben Patel

महाकुम्भ में डुबकी लगाकर अभिभूत हुईं राज्यपाल, कहाः वर्षों तक नहीं भूल पाएंगे दिव्य अनुभव

Posted by - February 16, 2025 0
महाकुम्भनगर। तीर्थराज प्रयागराज में महाकुम्भ-2025 (Maha Kumbh) के महासमागम में रविवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी…