Independence Day

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जानिए ऐसी ग्रामीण महिलाएं जिन्होंने बनाई खुद की पहचान

1378 0

भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। इसके ग्रामीण और शहरी वितरण में अंतर बहुत बड़ा है जिसके चलते विभिन्न वर्गों के लोगों को एक-दूसरे के साथ समायोजित करने में कठिनाई होती है। सभी सामाजिक बाधाओं को पार करने वाली महिलाओं की सफलता की कहानियों की एक श्रृंखला ने कई लोगों को प्यार और सम्मान से भरा जीवन जीने का अधिकार दिया है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से नये भारत का मार्ग होगा प्रशस्त : रामनाथ कोविंद

आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्र से बाहर निकलकर खुद की अलग पहचान बनाई और सफलता की ऊंचाइयों को छुआ।

दालिमि पतगिरि :

असम के सूदूर ग्रामीण इलाके में रहने वालीं दालिमि पतगिरि ने अपनी गरीबी को दूर रखते हुए सफल होकर दिखाया है। अपनी काबिलियत के बल पर उन्होंने लोगों को साबित कर दिया है कि अगर महिला चाहे तो वह क्या नहीं कर सकती। किसी समय गरीबी में अपने दिन बिताने वाली एक सामान्य गृहिणी ने गरीबी को दूर रखते हुए बर्तन बनाने का काम शुरू किया। Arecanut Sheets की मदद से बर्तन बनाए गए। उन्होंने कई ऐसे महिलाओं को प्रेरणा दी कि जो कि घर में बंद है और अपने हुनर को लोगों के सामने नहीं ला पा रही हैं। उन्होंने महिलाओं को आजादी का सही मायने समझाया।

कल्पना सरोज :  

महाराष्ट्र की रहने वाली कल्पना सरोज 2 रुपए प्रति दिन के हिसाब से काम करने वाली मजबूर थीं लेकिन आज उन्होंने मुंबई में 100 डॉलर मिलियन का एम्पायर खड़ा कर लिया है। 12 साल की उम्र में सरोज की शादी कर दी गई। इसके बाद सुसराल में उनके पति उस पर शारीरिक प्रताड़ना करने लगे। पिता की मदद से वह सुराल से वापस आ गईं और कपड़ों की एक फैक्ट्री में काम करने लगीं। इसके बाद उन्होंने टेलरिंग का बिजनेस शुरू किया और बाद में एक फर्नीचर स्टोर खोला। धीरे धीरे एक सफल महिला बिजनेस वुमेन के रूप में दिखी साल 2013 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया।

नौरोती देवी :

राजस्थान के एक दलित परिवार में जन्मी नौरोती देवी के जीवन का सफर पत्थर काटने से शुरू हुआ था जो कि कंप्यूटर शिक्षित सरपंच पर जाकर रुका। उन्होंने कभी स्कूल में पढ़ाई नहीं की और न ही कोई डिग्री हासिल की है। उन्होंने 6 महीने का साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने जल्द ही काफी कुछ सीख लिया और साल 2010 में हरमदा इलाके की सरपंच बन गईं। अपने 5 साल के कार्यकाल में इलाके के विकास के लिए बहुत कुछ किया। उन्होंने अल्कोहल माफिया के खिलाफ लड़ाई की। साथ ही घरों में शौचालय की व्यवस्था भी की।

डी ज्योति रेड्डी :

तेलंगाना की रहने वाली ज्योति रेड्डी जिनकी सफलता की कहानी खेत पर काम करने वाली एक मजदूर से शुरू हुई थी। अब मिलियन डॉलर कंपनी की सीईओ बनने तक हर महिला को प्रेरित करती है। ज्योति का जन्म वारंगल इलाके में खेत पर काम करने वाले मजदूरों के एक परिवार में हुआ था। गरीबी के चलते ज्योति के माता पिता ने उसे एक अनाथाश्रम को सौंप दिया था। जब ज्योति 16 साल की थी तो उसकी शादी उससे 10 साल बड़े एक आदमी से करा दी गई। उसे जबरन खेत पर काम कराया गया। इसके लिए उसे 5 रुपए प्रति दिन के हिसाब से मिलते थे। इसके बाद वह अपनी मेहनत से एक स्कूल की टीचर बन गईं और अमेरिका जाने के लिए पढ़ाई करने लगीं। 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद सफल बिजनेस वुमेन के रूप मे दिख रही हैं।

Related Post

महंगाई की चौतरफा मार झेल रहा आम इंसान, राहुल बोले- जनता हताश है, देश में टैक्स वसूली का राज है

Posted by - July 17, 2021 0
देश की जनता पर महंगाई की चौतरफा वार जारी है, शनिवार को एक बार फिर कांग्रेस नेता राहल गांधी ने…
cm dahmi

आयुष्मान योजना के संबंध में लापरवाही नहीं की जाएगी बर्दाश्त: सीएम धामी

Posted by - December 24, 2022 0
देहरादून। मुख्यमंत्री (CM Dhami) ने कहा कि सीमावर्ती गांव हमारे सीमान्त प्रहरी नहीं बल्कि अमूल्य धरोहर भी हैं। उत्तराखंड हिमालयी…