Farmer movement

किसान आंदोलन कितना उचित

1146 0

हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान आंदोलित हैं। वे दिल्ली के लिए कूच कर चुके हैं। बैरिकेडिंग तोड़ रहे हैं। सड़कें जाम कर रहे हैं। जहां उन्हें रोका जा रहा है,वहीं धरने पर बैठ रहे हैं। ये किसान तकरीबन एक लाख की संख्या में हैं। उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून , मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा कानून, सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता कानून पर आपत्ति है। उन्हें भय है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण की व्यवस्था समाप्त कर सकती है।

किसान अपने उत्पाद राज्य के बाहर ले जाने लगेंगे तो कृषि मंडियां खत्म हो जाएंगी। बड़ी कंपनियां अगर अनुबंध पर खेती कराने लगेंगी तो इससे किसानों को नुकसान होगा। वे उनसे ढंग से मोल—तोल नहीं कर पाएंगे। किसान आढ़तियों से पैसा नहीं ले पाएंगे। किसान आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को जमाखोरी और कालाबाजारी की आजादी के तौर पर देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि केंद्र सरकार द्वारा संसद से पास ये तीनों कानून मंडी तोड़ने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को ख़त्म करने वाले और कॉरपोरेट ठेका खेती को बढ़ावा देने वाले हैं। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने पहले से ही किसानों के दिमाग में यह बात डाल रखी है।

हालांकि केंद्र सरकार इस कानून के बनने से पहले और बनने के बाद भी किसानों को सुस्पष्ट कर चुकी है कि उनकी आशंका निराधार है। सरकार जो कुछ भी कर रही है, उसके पीछे उसका उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना ही है। यह पहला मौका नहीं, जब किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। हर साल दो—चार बार इस तरह का आंदोलनात्मक जनज्वार तो उठता ही है।

घरेलू वायदा बाजार में सोना चमका, चांदी चमक पड़ी फीकी

देश में 70 प्रतिशत किसान हैं जिसमें 60 प्रतिशत प्रत्याक्ष और परोक्ष रूप से खेती—किसानी पर निर्भर हैं। भारत में 10.07 करोड़ किसानों की हालत दयनीय है, इनमें से 52.5 प्रतिशत किसान कर्ज में दबे हुए हैं। देश में एक किसान के पास औसतन 1.1 हेक्टेयर जमीन हैं। हर कर्जदार किसान पर औसत 1.046 लाख रुपये का कर्ज है। नाबार्ड के 2017 के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में केवल 5.2 प्रतिशत किसानों के पास ट्रैक्टर हैं, 1.8 प्रतिशत के पास पावर टिलर, 0.8 प्रतिशत के पास स्प्रिंकलर, 1.6 प्रतिशत के पास ड्रिप सिंचाई व्यवस्था और 0.2 प्रतिशत के पास हार्वेस्टर हैं। इस असमानता को अगर राज्यवार देखें तो हम पाएंगे कि पंजाब में 31 प्रतिशत किसानों के पास ट्रैक्टर हैं। गुजरात में 14 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 13 प्रतिशत किसानों के पास ट्रैक्टर हैं, जबकि देश में ट्रैक्टर मालिक किसानों का औसत 5.2 प्रतिशत है।

इसी तरह आंध्र प्रदेश में 15 प्रतिशत और तेलंगाना के 7 प्रतिशत किसानों के पास पावर टिलर हैं, जबकि भारत का औसत 1.8 प्रतिशत है। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी का कहना है कि ये कानून खेती-किसानी की कब्र खोदने के लिए बनाए गए हैं। वे किसानों के इस आंदोलन को युद्ध करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि हम युद्ध लड़ने जा रहे हैं। हमें नहीं पता कि रास्ते में क्या होगा? हारेंगे या जीतेंगे लेकिन इरादा हमारा यह है कि हम उनके हर बैरीकेड तोड़ेंगे। वह चीन की दीवार कर लें लेकिन हम तोड़ेंगे। युद्ध हमेशा शत्रे से लड़ा जाता है और केंद्र में तो देश की ही सरकार है। बढ़ूनी जैसे नेताओं को यह तो बताना ही चाहिए कि वे किससे युद्ध लड़ने जा रहे हैं।

भारत और यहां की सरकार शत्रु तो नहीं है जो उससे युद्ध करने की बात कही जा रही है। इसके अतिरिक्त और भी कुछ किसान नेता हैं जो बार—बार दिल्ली कूच करने का आह्वान करते हैं और देश की अर्थव्यवस्था को, यातायात व्यवस्था को अक्सर ध्वस्त करने की कोशिश करते हैं। इसमें अगर योगेंद्र यादव को अपवाद मानें तो वीएम सिंह,बलवीर सिंह राजेवाल और राकेश टिकैत की गणना बड़े किसानों में होती है। देश में छोटे किसानों की संख्या 85 प्रतिशत है और बड़ी जोत के किसान मुट्ठी भर हैं। इतनी छोटी जोत के किसानों का दुनिया का कोई भी कानून भला नहीं कर सकता। छोटे किसानों के यहां तो इतना उत्पादन भी नहीं होता कि वे अपने घर के भोजन व्यय से आगे की सोच सकें। मंडी जाने और अन्य राज्यों में अपने उत्पाद ले जाने का तो सवाल ही नहीं उठता।

आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसान नेताओं का कहना है कि सरकार पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है लेकिन उन्हें भी तो बताना चाहिए कि वे किसके लिए राजनीति—राजनीति खेल रहे हैं। उन्हें यह सब करने के लिए किसका समर्थन और पैसा मिल रहा है? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का दावा है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वे हाल ही में संसद में पारित तीनों कानूनों को फाड़कर रद्दी की टोकरी में डाल देंगे। सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों को लगता है कि आावाज दबाने की बजाय किसानों की बात सुनी जानी चाहिए।

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी कहा है कि सरकार तीन दिसंबर को किसानों की बात सुनेगी, उनके प्रतिनिधियों से बात करेगी तो इसमें हर्ज क्या है? एक ओर पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है। मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बढ़ाने की बात हो रही है, वहीं कांग्रेस और वामदल दिल्ली ही नहीं, देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण बढ़ाने की फिराक में हैं। जो किसान नेता एक लाख से अधिक किसानों को दिल्ली लाने का काम कर रहे हैं और इसके लिए पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ रहे हैं, उन्हें यह तो सोचना चाहिए कि वे देश के किसानों को महाघातक कोरोना के गाल में झोंकने को क्यों आमादा हैं? कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश को परेशान करने वाला क्यों होता है? किसान नेताओं का उद्देश्य किसान का भला करना है या प्रधानमंत्री आवास घेरकर अपना शक्ति प्रदर्शन करना है? अगर वे वाकई किसानों के हितैषी हैं तो उन्हें आंदोलन की बजाय संवाद का मार्ग चुनना चाहिए था।

अरबाज खान अपने भाईजान के दुश्मन नं 1 से मिलाया हाथ

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी को नए कृषि कानून का हिस्सा बनाने की मांग को लेकर दिल्ली आ रहे किसानों की आवाज दबाने की बजाय उनकी बात सुननी चाहिए। एक देश, एक चुनाव की चिंता करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक देश, एक व्यवहार भी लागू करने की नसीहत देने वालों को अपनी कथनी और करनी पर भी तो विचार करना चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री अपने राज्य के किसानों को दिल्ली और हरियाणा की सीमा तक पहुंचाकर सरकार को नसीहत दे रहे हैं कि वह किसानों की बातें मांग ले।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की इस बात में दम हे कि किसानों के मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्हें भड़काना नहीं चाहिए। कृषि कानूनों में सुधार किसानों के हित में है और उन्हें अपनी फसल को कहीं भी बेचने की आज़ादी मिल गई है। वह कृषि विज्ञान केंद्रों का ज्ञान और राज्यों के संसाधनों का लाभ छोटे किसानों तक पहुंचाए जाने तथा गांव-गांव फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने पर जोर दे रहे हैं। कृषि का क्षेत्र भी लाभप्रद हो और इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित हो, इस दिशा में केंद्र व राज्य सरकारें लगातार काम कर रही हैं। आईसीएआर के जरिये कृषि शिक्षा को सतत बढ़ावा दिया जा रहा है।

कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए भी सरकार लगातार प्रयास कर रही हैं। कृषि क्षेत्र आय केंद्रित भी बने, इस पर सरकार का पूरा ध्यान है। छोटे रकबे में भी किसानों की आय वृद्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान योजना लागू की। देश के 86 प्रतिशत छोटे किसानों का रकबा तो नहीं बढ़ाया जा सकता, लेकिन उन्हें तकनीकी समर्थन देकर,किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)से जोड़कर उन्हें समृद्ध करने की दिशा में सरकार आगे तो बढ़ ही रही है। 10 हजार नए एफपीओ बनाने, एक लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश से छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना, मछलीपालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन व अन्य माध्यमों से कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने सहित अन्य उपाय कर सरकार किसानों की समृद्धि के लिए प्रयासरत है। उसका मानना है कि गांव-गांव इंफ्रास्ट्रक्चर होगा तो किसान उपज बाद में उचित मूल्य पर बेच सकेंगे।

छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स गांव-गांव खुलने से भी किसानों को लाभ मिलेगा। मृदा स्वास्थ्य परीक्षण में भी इस सरकार ने रिकार्ड कार्य किया है। इसलिए यह कहना कि नरेंद्र मोदी सरकार किसान विरोधी है,किसी भी लिहाज से उचित नहीं है। वैसे किसान नेताओं को सरकार को अपना दुश्मन मानने की बजाय संवाद की राह अपनानी चाहिए। इस विषम कोरोना काल में आंदोलन के जरिये किसानों को संक्रमण की जद में जाना किसी भी लिहाज से उचित नहीं है। छोटे किसानों को भी पता होना चाहिए कि इस तरह के आंदोलनों का लाभ अंतत: बड़े किसानों को ही होता है। छोटे किसानों की हालत तो बस प्यासे चातक पक्षी की ही तरह होती है। लाभ के मामले में उसके हाथ कुछ नहीं लगना। कुल मिलाकर यह आंदोलन भी गांठ से मजबूत किसानों को ही लाभ देगा।

Related Post

CM Yogi

मुख्यमंत्री ने मां पाटेश्वरी देवी मंदिर में की पूजा-अर्चना, प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की

Posted by - November 21, 2024 0
बलरामपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने अपने दो दिवसीय बलरामपुर दौरे के दूसरे दिन गुरुवार को श्री मां पाटेश्वरी…
CM Yogi

उत्तर प्रदेश को निवेश के सबसे बेहतरीन गंतव्य के रूप में मिली है पहचानः

Posted by - January 26, 2023 0
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने 74वें गणतंत्र दिवस (Republic Day) के अवसर पर अपने सरकारी आवास पांच कालिदास…
CM Yogi held a meeting on Jal Jeevan Mission

विंध्य-बुंदेलखंड में 15 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा तक हर घर नल से जल का संकल्प: मुख्यमंत्री

Posted by - October 12, 2025 0
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र के हर घर में नल से शुद्ध जल की…
CM Yogi

22 जनवरी को स्कूल-कॉलेज में रहेगी छुट्टी, सीएम योगी ने जारी किया निर्देश

Posted by - January 9, 2024 0
लखनऊ। अयोध्या में बहुप्रतीक्षित श्रीरामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर चल रहीं हैं। 22 जनवरी…
राष्ट्रीय मतदाता दिवस

मतदान को पुनीत कर्तव्य मान , देशवासी मताधिकार का करें प्रयोग: एम वेंकैया नायडू

Posted by - January 25, 2020 0
नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर देशवासियों से मतदान…