लखनऊ। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर बनाने की विभागवार रणनीति परवान चढ़ रही है। अब सरकार का फोकस सकल घरेलू राज्य उत्पाद दर (GSDP) को बढ़ाने पर है। इसके लिए विभागवार लक्ष्य को तय किया गया है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं (ITES) सेक्टर के लक्ष्य को 56,548.4 करोड़ रुपये (6.93 बिलियन डॉलर) से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 6,03,840 करोड़ (74 बिलियन डॉलर) का करने का लक्ष्य है।
आईटीईएस नीति-2022 (ITES Policy) लाने जा रही है, जिस पर कैबिनेट की बैठक में मुहर लगने की संभावना है। नई नीति के तहत प्राइवेट डेवलपर्स के माध्यम से प्रदेश में 4 आईटी सिटी, 18 आईटी पार्क और तीन उत्कृष्टता केंद्र विकसित किए जाएंगे। इसके लिए सरकार फरवरी में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस-2023) में आईबीएम, एक्सचेंजर, टाटा कंसल्टेंसी जैसी आईटी क्षेत्र की अन्य बड़ी कम्पनियों को आकर्षित करेगी। इससे प्रदेश की जीएसडीपी में आईटी व आईटीईएस सेक्टर (IT and ITES sector) का योगदान 2.3 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2027 तक 7.4 प्रतिशत होने की संभावना है। वहीं, ग्रोथ रेट 23 प्रतिशत से बढ़कर 61 प्रतिशत तक होने की उम्मीद है। इस बारे में हाल ही में मुख्य सचिव के यहां हुए एक प्रस्तुतीकरण में इस पर मुहर लग गई है।
प्रदेश के चार क्षेत्रों पश्चिमांचल, मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड के चार जनपदों में आईटी सिटी बनाए जाएंगे। 100 एकड़ में विकसित होने वाले इन आईटी सिटी को प्राइवेट डेवलपर्स विकसित करेंगे। इसके लिए सरकार पूंजीगत निवेश पर 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति देगी जिसकी अधिकतम सीमा 100 करोड़ रुपये होगी।
इसी तरह से पांच एकड़ में आईटी पार्क (IT Park) विकसित किया जाएगा। इस पर 20 करोड़ रुपये के व्यय पर 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति दी जाएगी। इन दोनों योजनाओं में जमीन खरीदने पर स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। वहीं आईटी और आईटीईएस सेक्टर में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसकी स्थापना पर कुल परियोजना लागत के 50 प्रतिशत रुपये तक प्रतिपूर्ति दी जाएगी। जिसकी अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपये होगी।
आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के विशेष सचिव अक्षय त्रिपाठी का कहना है कि हम आईटी व आईटीईएस ( IT and ITES sector) को प्रदेश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन बनाने जा रहे हैं। इसके लिए प्राइवेट डेवलपर्स के माध्यम से आईटी सिटी, आईटी पार्क और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इससे प्रदेश के आईटी ग्रेजुएट को किसी अन्य प्रदेश में नहीं जाना पड़ेगा और उन्हें यही जॉब मिल सकेगी।