नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा संसद की शपथ ली। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा करते हुए सदन से वाकआउट करते हुए कांग्रेस सांसदों ने शेम-शेम के नारे लगाए। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने गोगोई की नियुक्ति को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमले बताकर इसकी आलोचना की है। इसके बाद राज्यसभा में मौजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष के विरोध की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी इस सदन की शोभा कई गणमान्य न्यायाधीशों ने बढ़ाई है, लेकिन इस तरह से विपक्ष का विरोध शर्मनाक है।
एम वैंकेया नायडू बोले- सदन में इस तरह से राष्ट्रपति के फैसले का विरोध गलत
उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। हंगामे के दौरान सभापति एम वैंकेया नायडू ने कहा कि हम सभी की अपनी राय हो सकती है, लेकिन सदन में इस तरह से राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के फैसले का विरोध गलत है।
रंजन गोगोई को नामित किए जाने के बाद कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला, कपिल सिब्बल और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए तो पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने उम्मीद जताई थी कि गोगोई इस प्रस्ताव को ठुकरा देंगे। हालांकि, रंजन गोगोई मीडिया से बातचीत में पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रपति के प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि रंजन गोगोई 12 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य सीनियर जजों के सात संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों को लेकर सार्वजनिक तौर पर सवाल खड़े करके चर्चा में आए थे। इसके बाद वह चीफ जस्टिस बने और राम मंदिर से लेकर सबरीमाला सहित तमाम मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए।
                        
                
                                
                    
                    
                    
                    
                    
